असम संग्रामी चाह श्रमिक संघ की ओर से दाख़िल याचिका में कहा गया है कि राज्य में 803 चाय बागान हैं, जिनमें करीब 10 लाख श्रमिक काम करते हैं. अनेक चाय बागानों के श्रमिकों को लॉकडाउन की अवधि का पारिश्रमिक नहीं दिया गया है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चाय बागानों के कामगारों के लिए कोविड-19 महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन की अवधि का पारिश्रमिक और राशन तत्काल दिलाने के लिए दायर दाचिका पर बुधवार को असम सरकार से जवाब मांगा.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार को दस दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया.
यह याचिका असम संग्रामी चाह श्रमिक संघ ने दायर की है. इसमें असम सरकार को प्रवासी कामगारों के पारिश्रमिक का भुगतान करने संबंधी गृह मंत्रालय के 29 मार्च के निर्देश पर सख्ती से अमल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
इस संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि असम सरकार के चाय आदिवासी कल्याण विभाग की वेबसाइट के अनुसार राज्य में 803 चाय बागान हैं, जिनमें करीब दस लाख चाय बागान श्रमिक काम करते हैं.
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्विज ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से पारिश्रमिक नहीं मिलने के कारण असम में चाय बागानों के श्रमिकों की स्थिति बहुत ही खराब है.
राज्य के अनेक चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों को लॉकडाउन की अवधि का पारिश्रमिक नहीं दिया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने असम सरकार के वकील नलिन कोहली से चाह श्रमिक संघ के वकील कॉलिन गोन्साल्विज के आरोपों को लेकर जवाब मांगा है, जिसमें 12 निजी चाय बागानों को डिफॉल्टर बताया गया है.
पीठ की ओर से यह भी कहा गया कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन वह 10 दिनों के भीतर इस संबंध में असम सरकार की प्रतिक्रिया जानना चाहेगा, क्योंकि यहां के चाय बागानों का एक समृद्ध इतिहास रहा है.
कोहली ने कहा कि असम सरकार के तहत आने वाले असम चाय निगम के पास 16 हजार कर्मचारियों के साथ 15 बागानों का स्वामित्व है. 15 हजार सत्यापित कर्मचारियों में से 10,523 कर्मचारियों को 19 फरवरी को भुगतान किया जा चुका है.
हालांकि उन्होंने अदालत से ये भी कहा कि वह 10 दिनों में इस संबंध में विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)