मीडिया संगठनों ने एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज करने, हिमाचल प्रदेश में छह पत्रकारों के ख़िलाफ़ 14 एफआईआर दर्ज करने और इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार को पूछताछ के लिए बुलाने की निंदा की है.
नई दिल्ली: मीडिया संगठनों ने अधिकारियों द्वारा कानून का कथित तौर पर दुरुपयोग कर पत्रकारों को ‘धमकी देने’ और प्रेस की स्वतंत्रता में ‘कटौती’ को लेकर चिंता जताई है.
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार महेंद्र सिंह मनराल से दिल्ली पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने और उन पर आपराधिक मुकदमा चलाने की धमकी देने को लेकर चिंता जताई और पुलिस आयुक्त से कहा है कि इस मामले में रिपोर्ट पेश करें.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार के एक विशेष संवाददाता की बीते नौ मई को प्रकाशित तबलीग़ी जमात के मौलाना साद कंधालवी से संबंधी एक रिपोर्ट को दिल्ली पुलिस ने पूरी तरह से कल्पना पर आधारित बताया था.
दिल्ली पुलिस ने 10 मई को इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह मनराल को नोटिस भेजकर इस मामले में हो रही जांच में उसी दिन शामिल होने के लिए कहा था. मनराल ने खबर दी थी कि पुलिस की जांच में पता चला है कि (इस बात की संभावना है कि) तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद के ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ की गई होगी.
पीसीआई ने बयान में कहा कि चूंकि मामला प्रेस के स्वतंत्रतापूर्वक कार्य को प्रभावित करता है, इसलिए दिल्ली के पुलिस आयुक्त से मामले के तथ्यों को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है.
एक अन्य मीडिया संगठन प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ नेशन’ के संपादक धवल पटेल के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने और हिमाचल प्रदेश में छह पत्रकारों के खिलाफ कथित तौर पर 14 प्राथमिकियां दर्ज करने की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की.
प्रेस क्लब की ओर से कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयां हमारी लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर धब्बा है.
संगठन ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पत्रकारों के खिलाफ दुर्भावना से की गई कार्रवाइयों को देखते हुए उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से अपील की है कि कार्यवाहियों में शुचिता के लिए वे दखल दें.
पीसीआई ने कहा, ‘हाल में मीडियाकर्मियों के खिलाफ जो निंदनीय पुलिस कार्रवाइयां हुई उसमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश के सत्तारूढ़ दलों की मिलीभगत थी.’
प्रेस स्वतंत्रता के लिए संपादकों, मीडियाकर्मियों और प्रमुख पत्रकारों का वैश्विक नेटवर्क वियना स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट (आईपीआई) ने भी ‘पत्रकारों को धमकी देने और प्रेस स्वतंत्रता को खत्म करने में, भारत में अधिकारियों द्वारा, कानून के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता जताई.’
आईपीआई के निदेशक (एडवोकेसी) रवि आर. प्रसाद ने कहा, ‘भारत में प्रेस स्वतंत्रता में अचानक आई गिरावट चिंताजनक है.’
आईपीआई ने आरोप लगाए कि भारत सरकार ने, सरकार की आलोचना और महामारी के बारे में रिपोर्टिंग से स्वतंत्र मीडिया को रोकने के लिए कई हथकंडे अपनाए हैं.
इससे पहले एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार महेंद्र सिंह मनराल के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अतिवादी एवं अनुपयुक्त कार्रवाई का विरोध किया था.
गिल्ड ने बयान जारी कर कहा था, ‘हालांकि मनराल पर कानून के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया गया लेकिन उन्हें धमकी दी गई कि अगर वह जांच में शामिल नहीं होते हैं तो आईपीसी की धारा 174 के तहत उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है जिसमें उन्हें कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)