सुप्रीम कोर्ट ने बीते मार्च महीने में कोरोना वायरस के मद्देनज़र जेलों में भीड़भाड़ को कम करने का निर्देश दिया था. राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन क़ैदियों को रिहा किया गया.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान जेल में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए पिछले डेढ महीने में 42,259 विचाराधीन कैदियों को देश भर की जेलों से रिहा किया गया है.
क्षमता से अधिक भरे जेलों में कोरोना वायरस फैलने का खतरा अधिक था, जिसके मद्देनजर कैदियों को रिहा करने को निर्णय लिया गया.
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया.
इसके बाद राजस्थान से 5,460, तमिलनाडु से 4,547, पंजाब से 3,698, महाराष्ट्र से 3,400, मध्य प्रदेश से 2,833, दिल्ली से 2,177, हरियाणा से 1,843, पश्चिम बंगाल से 1,715 और छत्तीसगढ़ से 1,643 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया.
दैनिक भास्कर के मुताबिक नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना के निरीक्षण में तैयार रिपोर्ट के अनुसार 59,163 कैदियों को रिहा किया गया जिनमें 42,529 विचाराधीन थे.
रिपोर्ट के अनुसार उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समितियों के सुझावों पर इन विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है.
शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन करने का निर्देश दिया था, जो कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने का निर्णय ले.
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 16,391 कैदियों को पैरोल आदि पर रिहा किया गया. मध्य प्रदेश से पैरोल पर सबसे अधिक 3,577 लोगों को रिहा किया गया. इसके बाद पंजाब से 3,479, हरियाणा से 2,859, उत्तर प्रदेश से 1,989, केरल से 1,128, दिल्ली से 1,010, पश्चिम बंगाल से 488 और कर्नाटक से 405 लोगों को पैराल पर रिहा किया गया.
वहीं छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और ओडिशा से क्रमश: 334, 228, 182, 133 और 103 कैदियों को पैराल पर रिहा किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)