कोर्ट ने पिंजरा तोड़ कार्यकर्ताओं को जमानत दी, पुलिस ने एक अन्य मामले में कस्टडी मांग ली

दिल्ली कोर्ट ने कहा कि केस के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे.

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देवांगना कलीता और नताशा नरवाल.(फोटो साभार: ट्विटर)

दिल्ली कोर्ट ने कहा कि केस के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे.

देवांगना कलीता और नताशा नरवाल.(फोटो साभार: ट्विटर)
देवांगना कलीता और नताशा नरवाल. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के संबंध में गिरफ्तार की गईं ‘पिंजरा तोड़’ की कार्यकर्ताओं देवांगना कलीता (30) और नताशा नरवाल (32) को बीते रविवार को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी थी.

कोर्ट ने कहा था कि इनके खिलाफ लगाई गई आईपीसी की धारा 353 (किसी लोक-सेवक या सरकारी कर्मचारी के कर्तव्य पालन में बाधा पहुंचाने के उद्देश्य से उन पर हमला या किसी प्रकार का बल प्रयोग) सही नहीं है और ये कार्यकर्ता सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘केस के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे. आरोपियों की समाज में काफी अच्छी पहुंच है और वे काफी पढ़े-लिखे हैं. आरोपी जांच के संबंध में पुलिस के साथ सहयोग करने को तैयार हैं.’

हालांकि ये राहत ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई क्योंकि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इन दोनों कार्यकर्ताओं को हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा और आपराधिक साजिश के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट से 14 दिन पुलिस कस्टडी मांगी. हालांकि कोर्ट ने उन्हें दो दिन की पुलिस कस्टडी दी.

पुलिस का दावा है कि देवांगना कलीता और नताशा नरवाल फरवरी 22-23 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर सीएए विरोध प्रदर्शन आयोजित करने और रोड ब्लॉक करने वालों में शामिल थीं.

मालूम हो कि सीएए के विरोध में बीते फरवरी में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर लगभग 500 लोगों का एक समूह इकट्ठा हुआ था, जिसमें अधिकतर महिलाएं थीं.

23 फरवरी को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक सभा की थी, जहां उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था.

इसी के एक दिन बाद नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और इसका विरोध करने वालों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए, जिसमें कम से कम 52 लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए थे.

नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्राएं हैं. कलीता जेएनयू की सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज की एमफिल छात्रा, जबकि नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी छात्रा हैं. दोनों पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं.

दोनों महिलाओं को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, जाफराबाद पुलिस स्टेशन और क्राइम ब्रांच एसआईटी द्वारा तीन जांच का सामना करना पड़ रहा है.

महिलावादी संगठन पिंजरा तोड़ का गठन 2015 में किया गया था, जो हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं पर लागू तरह-तरह की पांबदियों का विरोध करता है. संगठन कैंपस के भेदभाव वाले नियम-कानून और कर्फ्यू टाइम के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहा है.