सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने बीते रविवार को मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन लेक्चर में ये बातें कहीं.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा है कि समाज के सभी वर्गों में सहनशीलता का स्तर घट रहा है और बिना सोचे-समझे मैसेजेस फॉरवर्ड करने के कारण फेक न्यूज़ की संख्या बढ़ रही है.
जस्टिस कौल बीते रविवार को मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन लेक्चर में ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा, ‘आज के समय में बोलने की आजादी का विचार और विषय मुझे आकर्षित करता है. मुझे लगता है कि जिस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं, उसके संबंध में इस समय की चुनौतियां थोड़ी अलग हैं. खासतौर पर जिस तरीके से तकनीकि का विस्तार हुआ है, यह अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है.’
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस कौल ने कहा कि फेक न्यूज़ के प्रसार और गलत सूचना की समस्या के लिए तकनीकि विकास के कारण उपलब्ध हुए इन प्लेटफार्मों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय फेक न्यूज़ की समस्या और बढ़ गई है.
जज ने कहा, ‘फेक न्यूज़ अपने आप में कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है. इसका असर कई गुना ज्यादा है.’ उन्होंने सहिष्णुता को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि एक वर्ग जो दूसरे को असहिष्णु कहता है, खुद भी असहिष्णु हो जाता है.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कई सालों से विभिन्न वर्गों में सहिष्णुता का स्तर गिरता जा रहा है.’
जस्टिस कौल ने कहा कि अलग-अलग विचार रखने के कारण लोगों को ‘अर्बन नक्सल’ और ‘मोदी-भक्त’ कह दिया जाता है. इसके कारण मुक्त विचार-विमर्श का दायरा खत्म हो रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हमें बिना सहमत हुए एक दूसरे के विचारों को समझना होगा और एक दूसरे को प्रोत्साहित करना चाहिए.’
चित्रकार एमएफ हुसैन और लेखक पेरुमल मुरुगन मामले में कलात्मक आजादी के अधिकार को बरकरार रखने का फैसला देने वाले जस्टिस कौल ने कहा, ‘यदि आपको कोई किताब नहीं पसंद है, तो उसे फेंक दीजिए.’
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि न्यू मीडिया के कारण भविष्य में फेक न्यूज़ की बाढ़ आ जाएगी. बिना सोचे-समझे वॉट्सऐप मैसेज फॉरवर्ड करने के कारण फेक न्यूज़ बढ़ रहा है और एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई जहां किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है.
(जस्टिस संजय किशन कौल का पूरा लेक्चर सुनने के लिए यहां क्लिक करें.)