क्या बिहार में कोरोना से ज़्यादा मौतें क्वारंटीन सेंटर्स में हुई हैं?

बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार शाम तक राज्य में कोरोना संक्रमण से 25 मौतें हुई हैं. सरकार द्वारा क्वारंटीन सेंटर्स में हुई मौतों के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 10 ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर्स में 20 से अधिक जानें जा चुकी हैं.

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Nagpur: Labourers wearing face masks look through the windows of a building where they are sheltered, during ongoing COVID-19 lockdown in Nagpur, Thursday, April 23, 2020. (PTI Photo) (PTI23-04-2020_000182B)

बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार शाम तक राज्य में कोरोना संक्रमण से 25 मौतें हुई हैं. सरकार द्वारा क्वारंटीन सेंटर्स में हुई मौतों के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 10 ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर्स में 20 से अधिक जानें जा चुकी हैं.

Nagpur: Labourers wearing face masks look through the windows of a building where they are sheltered, during ongoing COVID-19 lockdown in Nagpur, Thursday, April 23, 2020. (PTI Photo) (PTI23-04-2020_000182B)
(फोटो: पीटीआई)

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के पूरे दौर में श्रमिक वर्ग पर सबसे ज्यादा मार पड़ी और अलग-अलग जगहों से विभिन्न कारणों से हुई उनकी मौत की खबरें आती रहीं. इन सबके बीच बिहार के कई जिलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे मजदूरों की मौत की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं.

3 जून को शाम 4 बजे तक प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 4,273 मामले सामने आए हैं, जिसमें 2,025 मरीज ठीक हो चुके हैं.

हालांकि राज्य सरकार ने क्वारंटीन सेंटर्स में रह रहे लोगों की मौत का अब तक कोई आंकड़ा नहीं बताया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राज्य के अलग-अलग जिलों में 9 मई से 28 मई के बीच 21 मौतें हो चुकी हैं.

गौर करने वाली बात यह है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में बुधवार शाम तक कोरोना संक्रमण से कुल 25 लोगों की मौत हुई है.

सरकार के मुताबिक, 31 मई तक राज्य में प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर में 14.03 लाख लोग रजिस्टर हो चुके हैं, जिनमें से क्वारंटीन अवधि पूरा कर चुके 8.76 लाख लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है.

राज्य में अभी कुल 11,581 प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर हैं. राज्य सरकार ने 15 जून के बाद सभी प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर्स को बंद करने का फैसला किया है.

बीते सोमवार तक बिहार लौटे लोगों का पंजीकरण किया गया है और उन्हें 5,000 से अधिक केंद्रों में क्वारंटीन किया गया है. पंजीकृत प्रवासियों के आखिरी जत्थे के 14 दिन की क्वारंटीन अवधि 15 जून को समाप्त होगी.

बेगूसराय

बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड में सिमरी मध्य विद्यालय के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे 47 वर्षीय मो. सईद अंसारी की 26 मई को मौत हो गई. कोलकाता में एक दुकान पर काम करने वाले सईद की क्वारंटीन अवधि एक दिन बाद ही पूरी होने वाली थी. उनके परिजन उनकी मौत के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं.

उनके भतीजे मोहम्मद अलीमाम कहते हैं, ’25 मई को ईद के दिन सेंटर में रह रहे एक व्यक्ति ने बाहर जाकर ताड़ी पी ली, जिसके बाद एसडीएम ने सबको घंटों धूप में खड़ा करवाकर जांच-पड़ताल किया. धूप में रहने के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई. उसी दिन उन्होंने कॉल कर बताया कि सीने में जलन है और सांस फूल रही है. लेकिन अस्पताल ले जाने के बजाय वहां उनको सिर्फ दवा दे दी गई.’

अलीमाम आगे बताते हैं, ’26 मई को फिर पता चला कि उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई, तब मैंने वहां के शिक्षक को एम्बुलेन्स बुलवाकर उन्हें इलाज के लिए भेजने को कहा. लेकिन एम्बुलेन्स या कोई गाड़ी वहां नहीं पहुंची. मैं प्राइवेट गाड़ी बुक कर वहां पहुंचा, लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई थी.’

अलीमाम के भाई सबाब आलम भी सईद के साथ उसी क्वारंटीन सेंटर में 15 मई से रह रहे थे. 28 मई को क्वारंटीन सेंटर से बाहर आए आलम बताते हैं, ‘वहां एक कमरे  में 8-10 आदमी गर्मी में रह रहे थे. कोई बीमार भी पड़ता था तो एक दिन बाद दवाई मिलती थी. सफाई के नाम पर सिर्फ झाड़ू लगती थी. सैनिटाइजेशन के नाम पर कुछ भी नहीं किया जाता था.’

इस बारे में जब बखरी बीडीओ अमित कुमार पांडे से संपर्क किया गया तब उन्होंने कहा कि वे अधिकारिक बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं, इसके लिए एसडीओ से बात करिए. एसडीओ से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.

इससे पहले 19 मई को बेगूसराय के एक अन्य क्वारंटीन सेंटर में रह रहे मोहम्मद हुमायूं नाम के युवक की भी तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई थी. जिले के परिहारा क्वारंटीन सेंटर में रह रहे हुमायूं का परिवार बखरी थाना क्षेत्र के चकहमीद गांव में रहता है.

उनकी पत्नी नाजला रोते हुए बताती हैं, ‘उनको कोई बीमारी नहीं थी. वे मुझे बताते रहते थे कि हमको यहां से ले चलो, खाने-पीने की बहुत दिक्कत है, कुछ भी सही सुविधा नहीं है, बहुत टेंशन हो रहा है.’

औरंगाबाद

25 मई को औरंगाबाद के ओबरा प्रखंड के अमिलौना गांव में एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति नाथुन साव की मौत हो गई. मृतक दो दिन पहले ही सूरत से लौटे थे और गांव के मिडिल स्कूल में बने क्वारंटीन सेंटर में रह रहे थे.

उनके परिवार के एक सदस्य प्रवीण कुमार ने बताया, ‘उन्हें अचानक बुखार आ गया और सांस फूलने लगा. सेंटर से हमलोग उन्हें ओबरा अस्पताल में लेकर आए लेकिन वहां से औरंगाबाद सदर अस्पताल भेज दिया गया. यहां कहा कि गया ले जाना पड़ेगा. गाड़ी से उन्हें लेकर जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.’

इससे पहले औरंगाबाद के ही सदर प्रखंड के परसडीह पंचायत के दोसमा मध्य विद्यालय में बने एक क्वारंटीन सेंटर में 23 मई को इंदल सिंह नाम के शख्स की मौत हुई थी. वे कुछ दिन पहले ही श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अहमदाबाद से लौटे थे.

22 मई की शाम उल्टी और दस्त की शिकायत की, तो उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के बाद उसी दिन उन्हें क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया. 23 मई को फिर तबीयत खराब हुई लेकिन अस्पताल में लाने से पहले ही उनकी मौत हो गई.

इस बारे में सदर प्रखंड के प्रमुख दिलीप सिंह ने बताया कि सुबह से लगातार कॉल किया जा रहा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. एम्बुलेन्स आने में काफी देरी हुई. लापरवाही के कारण उनकी मौत हुई.

औरंगाबाद के गोह प्रखंड में 10 मई को भी एक प्रवासी मजदूर की मौत हुई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मई को अहमदाबाद से वापस लौटे 60 वर्षीय व्यक्ति को पेट दर्द और उल्टी हुई थी जिसके बाद सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

इन मौतों के बारे में सवाल किए जाने पर औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा, ‘औरंगाबाद में एक भी क्वारंटीन सेंटर में मौत नहीं हुई है. जितनी भी मौत हुईं, वो सेंटर में नहीं हुई हैं, आप गलत कह रहे हैं.’

दरभंगा

26 मई की रात दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के काजी अहमद डिग्री कॉलेज में बने क्वारंटीन सेंटर में प्रवासी नूर उल नद्दाफ की मौत हो गई. नूर उल 24 मई को दिल्ली से लौटे थे.

नूर उल के भाई आमिर उल हसन बताते हैं, ’26 मई की रात करीब 1:30 बजे क्वारंटीन सेंटर से फोन आया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है. जब अपने भाई के साथ वहां पहुंचा तो देखा कि वह अचेत पड़े हुए थे.’

वे कहते हैं, ‘ये सीधे-सीधे प्रशासनिक लापरवाही का मामला है. अगर वहां उनकी देखभाल की जाती तो जान बचाई जा सकती थी. मुझे लोगों ने बताया कि वो काफी कराह रहे थे, दर्द से चिल्ला रहे थे, लेकिन वहां कोई मेडिकल ऑफिसर नहीं था. डॉक्टर ने बताया कि हार्ट अटैक से मौत हुई है.’

आमिर उल कहते हैं कि वे इस मामले में लापरवाही को लेकर पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराएंगे.

इससे पहले 20 मई को इसी प्रखंड के ही कमतौल मध्य विद्यालय के क्वारंटीन सेंटर में ड्यूटी पर तैनात एक शिक्षक राम प्रमोद झा की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी. दोनों मामले को लेकर दरभंगा के जिलाधिकारी और जाले प्रखंड के बीडीओ से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.

दरभंगा के कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के बहेड़ा क्वारंटीन सेंटर में रह रहे एक युवक की करंट लगने से मौत हो गई. इस सेंटर के प्रभारी रमाकांत सिंह ने बताया, ‘वो कमरे में रखे स्टैंड वाले पंखे की तार को ठीक कर रहा था, इसी दौरान करंट लगने से उसकी मौत हो गई. मामले की जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है.’

24 मई को दरभंगा के सिंहवाड़ा क्वारंटीन सेंटर में रह रहे रामपुरा निवासी अरुण यादव की इलाज के दौरान डीएमसीएच में मौत हो गई थी. हरियाणा से लौटे अरुण ने इससे एक ही दिन पहले 23 मई को बुखार की शिकायत की थी.

जिले के तारडीह प्रखंड के ठेंगहा क्वारंटीन सेंटर में रह रहे चंदेश्वर राम नाम के एक शख्स की मौत हुई थी. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्ति ने पेट में गैस की शिकायत की थी, जिसके बाद कथित तौर पर अस्पताल ले जाने के दौरान उसकी मौत हो गई.

मोतिहारी

मोतिहारी जिले में क्वारंटीन सेंटर्स में रह रहे 3 लोगों की मौत की खबर सामने आ चुकी है. 28 मई को जिले के पताही प्रखंड के देवापुर पंचायत के लहसनिया उर्दू माध्यमिक विद्यालय के क्वारंटीन सेंटर में मोहम्मद तैय्यब की मौत हो गई. तैय्यब 25 मई को ही महाराष्ट्र के पुणे से लौटे थे.

तैय्यब की पत्नी ने बताया, ’27 मई की रात पेट में गैस होने की शिकायत मिलने पर गांव के ही दुकानदार से दवा लाकर उनको दी थी. फिर पताही स्वास्थ्य केंद्र को भी इस बारे में बताया. डॉक्टर आए, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.’

पताही प्रखंड के एक क्वारंटीन सेंटर में इससे पहले 16 मई को भी एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई थी. राजस्थान से लौटे गुड्डू राय की पताही के ही स्वास्थ्य केंद्र में स्क्रीनिंग हुई थी जिसके बाद उन्हें भीतघरवा क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया.

उस सेंटर में उनकी तबीयत खराब हुई और फिर इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि उनके परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनको स्वास्थ्य केंद्र में सांप ने काट लिया था, लेकिन डॉक्टर को यह बात बताने के बावजूद उन्हें क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया.

28 मई को जिले के कल्याणपुर प्रखंड के शीतलपुर में बने क्वारंटीन सेंटर में एक मजदूर का शव पेड़ से लटका मिला. मृतक महाराष्ट्र के कोल्हापुर से लौटा था. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, परिवार वालों ने उसकी हत्या का आरोप लगाते हुए कहा था कि खाने-पीने को लेकर उनके साथ कुछ दिन पहले मारपीट भी की गई थी.

Patna: Migrants run across railway tracks after deboarding a train at Danapur railway station, during ongoing COVID-19 nationwide lockdown, in Patna, Saturday, May 30, 2020. (PTI Photo)
(फोटो: पीटीआई)

सीवान

सीवान के गोरियाकोठी प्रखंड के सिसई गांव के मध्य विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर में 24 मई को मुंबई से लौटे राजनाथ नाम के एक शख्स की मौत हो गई.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, युवक के पेट में अचानक दर्द होने पर उनके भाई क्वारंटीन सेंटर पर पहुंचे और सेंटर प्रभारी से इलाज की बात कही. इस पर उन्हें दो टेबलेट दे दी गईं.

इस बीच बीडीओ, सीओ और स्थानीय थाना प्रभारी को भी फोन किया गया, लेकिन वहां कोई नहीं पहुंचा. भाई के द्वारा जब लगातार इलाज कराने की बात कही गई तो दो घंटे बाद डॉक्टर की टीम पहुंची.

उनके जाने के बाद फिर से दर्द काफी बढ़ने पर प्राइवेट गाड़ी मंगवाकर उनके भाई जब उन्हें सदर अस्पताल लेकर जा रहे थे तो रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.

जिले में इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था, लेकिन एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि मामले को प्रशासन ने दबा दिया है.

घटना के बाद गांव के मुखिया अतेंद्र कुमार यादव ने बताया कि बीडीओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है, सब उन्हीं को देखना है. इसकी जांच होनी चाहिए. ये प्रशासन की लापरवाही है.

इससे पहले 13 मई को भी एक क्वारंटीन सेंटर में पारसनाथ ठाकुर नाम के एक व्यक्ति की मौत हुई थी. दरौली प्रखंड के पंचायत भवन सरकार भिटौली क्वारंटीन सेंटर में रह रहे इस शख्स की तबीयत खराब हुई थी, जिसके बाद उन्हें और उनके बेटे को प्रशासन ने सिवान के एक होटल में बने क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया था.

यहां 13 मई की देर रात उनकी मौत हो गई. पारसनाथ के बेटे रितिक ने प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने के बाद वीडियो बनाकर अपनी समस्या भी बताई थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

इन दोनों मौतों के बारे में सिवान के जिलाधिकारी से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी. इसके बाद उन्हें मैसेज कर सवाल भेजे गए, जिनका अब तक जवाब नहीं मिला है.

मधुबनी

जिले के ही अंधराठाढ़ी प्रखंड में 23 मई की रात कोलकाता से लौटे एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई थी. बताया गया था कि सहुरिया नवटोली विद्यालय के क्वारंटीन सेंटर में चार दिन से रह रहे शिवलखन राय की मौत सेंटर में ही कथित तौर पर हार्ट अटैक से हुई थी.

9 मई को मधुबनी के खुटौना प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, सिकटियाही स्थित क्वारंटीन सेंटर में प्रवासी मजदूर की पेट दर्द और उल्टी होने के बाद उनकी मौत हो गई थी. मृतक देवनारायण साह चंडीगढ़ में मजदूरी करते थे और वापस लौटने के बाद 30 अप्रैल से इस क्वारंटीन सेंटर में रह रहे थे.

रोहतास

रोहतास के शिवसागर प्रखंड के परमार्थ बीएड कॉलेज में बने क्वारंटीन सेंटर में 26 मई को रमाशंकर शर्मा नाम के शख्स की मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि स्थानीय पीएचसी के प्रभारी चिकित्सक ने कहा था कि उसकी तबीयत रास्ते में ही खराब हो गई थी. शर्मा मुंबई के ठाणे से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटे थे.

रोहतास के ही अकोढ़ीगोला प्रखंड के रामप्यारी बालिका उच्च विद्यालय, दरिहट में बने क्वारंटीन सेंटर में 26 मई को ही मनोज पाल नाम के व्यक्ति की मौत हुई थी. यह व्यक्ति अपने परिवार के साथ 15 मई को महाराष्ट्र से लौटे थे.

गया

20 मई को गया के मोहनपुर प्रखंड के मटिहानी पंचायत के कंचनपुर हाईस्कूल में बने क्वारंटीन सेंटर में  सांप काटने से एक 7 साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी.

इस बारे में हंगामा होने के बाद गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने 21 मई को बताया था, ‘बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया था. मामले की जांच शुरू कर दी गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.’

Patna: A medic wearing a protective suit takes a swab sample of a security guard during a nationwide lockdown in the wake of coronavirus pandemic, in Patna, Wednesday, April 22, 2020. (PTI Photo)(PTI22-04-2020_000110B)
(फोटो: पीटीआई)

खगड़िया

24 मई की रात को खगड़िया के गोगरी के कस्तूरबा विद्यालय क्वारंटीन सेंटर में  2 साल के बच्चे की सीढ़ी से गिरने से मौत हो गई. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे की मां ने बताया कि सीढ़ी से गिरने के बाद सेंटर में ही दवा दी गई लेकिन हालत नहीं सुधरी. फिर रेफरल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

इस मामले में गोगरी एसडीओ से सवाल किया गया तब उन्होंने ‘बाद में बात कीजिएगा, मीटिंग में हूं’ कहकर कॉल काट दिया. इसके बाद फोन करने पर कॉल रिसीव नहीं किया गया.

छपरा

जिले के इसुआपुर प्रखंड के टेढ़ा मध्य विद्यालय क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर तारकेश्वर महतो की 23 मई को मौत हुई थी. मीडिया रिपोर्ट में उनकी मौत की वजह कथित रूप से हार्ट अटैक बताई गई थी.

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि उनकी तबीयत काफी दिन से खराब हो रही थी.

इस पर छपरा के जिलाधिकारी से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘हम लोग उन्हें छपरा सदर अस्पताल सैंपल टेस्ट के लिए लाए थे. उनको तेज हार्ट अटैक आया था. उनकी रिपोर्ट (कोरोना जांच) भी निगेटिव आयी है. स्थानीय प्रशासन ने परिवारवालों से बात की, किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है.’

राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार से इन मौतों को लेकर संपर्क करने की कोशिश की गई थी, लेकिन बात नहीं हो सकी. उन्हें सवालों की एक सूची ईमेल की गई है, जिसका जवाब आने पर रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

इससे पहले राज्य के विभिन्न ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों के लगातार खाने-पीने और स्वच्छता संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत की खबरें आ चुकी हैं. कुछ सेंटर में रहने वाले कामगारों ने यह भी आरोप लगाया था कि उनके इस बारे में शिकायत करने के बाद पुलिस द्वारा उन पर लाठीचार्ज किया गया .

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)