एटलस साइकिल ने बंद किया आख़िरी कारखाना, हज़ार के क़रीब कर्मचारी बेरोज़गार

तीन जून को उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद में देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस ने अपना आख़िरी कारखाना अनिश्चितकाल के लिए बंद करते हुए कहा कि उनके पास उत्पादन का पैसा नहीं है. इससे पहले कंपनी मध्य प्रदेश के मालनपुर और हरियाणा के सोनीपत की इकाइयां भी बंद कर चुकी है.

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Ghaziabad: Workers shout slogans during a protest outside the factory after the manufacturers of famous Atlas Cycles shut their operations due to financial constraints on Wednesday, in Ghaziabad, Thursday, June 4, 2020. The company was facing financial crisis from the past many years even after the closure of its Malanpur unit but with the shutting of the Sahibabad unit, it has closed down its last factory. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI04-06-2020 000064B)

तीन जून को उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद में देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस ने अपना आख़िरी कारखाना अनिश्चितकाल के लिए बंद करते हुए कहा कि उनके पास उत्पादन का पैसा नहीं है. इससे पहले कंपनी मध्य प्रदेश के मालनपुर और हरियाणा के सोनीपत की इकाइयां भी बंद कर चुकी है.

Ghaziabad: Workers shout slogans during a protest outside the factory after the manufacturers of famous Atlas Cycles shut their operations due to financial constraints on Wednesday, in Ghaziabad, Thursday, June 4, 2020. The company was facing financial crisis from the past many years even after the closure of its Malanpur unit but with the shutting of the Sahibabad unit, it has closed down its last factory. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI04-06-2020 000064B)
गुरुवार को कारखाने के बाहर प्रदर्शन करते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

3 जून को दुनिया भर में विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. संयोग से जब इसी दिन सुबह जब देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी एटलस के उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद स्थित कारखाने के कर्मचारी काम के लिए पहुंचे तो गेट पर नोटिस लगा मिला कि इस इकाई को बंद कर दिया गया है और सभी कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 1989 में शुरू हुए इस कारखाने के गेट पर एक नोटिस लगा था जिसमें लिखा था कि कारखाने को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जा रहा है. कंपनी के पास कारखाना चलाने का पैसा नहीं है, न ही उनके पास कोई निवेशक है.

नोटिस में यह भी कहा गया था कि कंपनी 2 साल से घाटे में है और दैनिक खर्च भी नहीं निकाल पा रही है, इसलिए कर्मचारियों को ले-ऑफ पर भेजा जा रहा है. इसका अर्थ है कि कंपनी के पास उत्पादन के लिए धन नहीं है, ऐसे में कर्मचारियों को निकला नहीं जा रहा है, पर उन्हें वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन साप्ताहिक अवकाश को छोड़कर रोजाना अपनी हाजिरी लगानी होगी.

साहिबाबाद की साइट-4 में साइकिल बनाने वाले इस कारखाने में स्थायी और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को मिलाकर लगभग 1,000 लोग काम करते थे. बताया जाता है कि साइकिलों का सर्वाधिक उत्पादन यहीं होता था. कंपनी यहां हर साल लगभग 40 लाख साइकिल बनाती थी.

बंटवारे के बाद कराची से आए जानकी दास कपूर ने साल 1951 में एटलस साइकिल कंपनी शुरू की थी. साहिबाबाद स्थित कारखाने के बंद होने से पहले कंपनी मध्य प्रदेश के मालनपुर और हरियाणा के सोनीपत की इकाइयां भी बंद कर चुकी है.

बुधवार को यह नोटिस मिलने के बाद नाराज़ कर्मचारियों ने कारखाने के सामने जमा होकर प्रदर्शन भी किया. अमर उजाला की खबर के अनुसार, प्रदर्शन की सूचना पर पहुंची लिंक रोड पुलिस ने कर्मचारियों के एकत्र होने पर हल्का बल प्रयोग कर सभी को हटाया.

एटलस साइकिल यूनियन के महासचिव महेश कुमार ने बताया कि इस कारखाने में परमानेंट और कांट्रेक्ट आधार पर करीब एक हजार कर्मचारी काम करते हैं और वे भी पिछले 20 साल से कंपनी में हैं.

उन्होंने बताया कि बुधवार को कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे तो उन्हें गार्डों ने अंदर नहीं घुसने दिया और नोटिस देखने को कहा. उन्होंने कंपनी के प्रबंधकों से इस बारे में बात करने का प्रयास किया, लेकिन किसी की बात नहीं हो सकी.

कुछ देर में कर्मचारियों की भीड़ बढ़ती गई. सभी को इस बारे में मालूम हुआ तो उनका गुस्सा भड़क गया और सभी कंपनी के बाहर ही प्रदर्शन करने लगे, फिर पुलिस ने आकर उन्हें हटाया.

यहां बहुत से कर्मचारी बहुत लंबे समय से काम कर रहे हैं. उनका डर है कि उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अब कहीं और काम नहीं मिलेगा.

नवभारत टाइम्स से बात करते हुए 1989 से यहां काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया, ‘लगभग पूरी उम्र इसी फैक्ट्री में काम करते हुए निकल गई. अब इस उम्र में शायद कहीं और नौकरी भी नहीं मिलेगी. अब क्या करेंगे? परिवार कैसे चलेगा? कुछ समझ नहीं आ रहा. परिवार को खाना कहां से खिलाऊंगा. कहां से खर्चे पूरे होंगे?’

एनडीटीवी की रिपोर्ट बताती है कि लॉकडाउन के बाद मार्च और अप्रैल में कर्मचारियों को वेतन मिला था. हालांकि मई महीने की तनख्वाह नहीं आई. 1 जून से कारखाना खुला था और दो दिन तक कर्मचारी आए और काम किया था.

वहीं, एटलस साइकिल लिमिटेड कर्मचारी यूनियन ने इस मामले में श्रम विभाग के प्रमुख सचिव और श्रमायुक्त को पत्र भेजकर विरोध जताया है. कंपनी की तरफ से अधिकारिक बयान नहीं आया है.

यूनियन का कहना है कि कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना से अचानक ले-ऑफ लागूकर नोटिस चिपका दिया. साथ ही कर्मचारियों को गेट पर ही रोक दिया गया. यह गैर-कानूनी है. यूनियन ने दोनों पक्षों को बुलाकर राहत देने की मांग की है.

इस बारे में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और कहा कि लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार को अपनी नीति एवं योजना स्पष्ट करनी चाहिए.

साइकिल कारखाना बंद होने से जुड़ी खबर साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, ‘बुधवार को विश्व साइकिल दिवस के मौके पर साइकिल कंपनी एटलस की गाजियाबाद फैक्ट्री बंद हो गई. 1000 से ज्यादा लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए.’

प्रियंका ने कहा, ‘सरकार के प्रचार में तो सुन लिया कि इतने का पैकेज दिया गया, इतने एमओयू हुए, इतने रोजगार पैदा हुए, लेकिन असल में तो रोजगार खत्म हो रहे हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं. लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां और योजना स्पष्ट करनी पड़ेगी.’

फैक्ट्री बंद होने के बाद पंजाब के लुधियाना के डीलर्स कंपनी में अपने बकाये के लिए चिंतित हैं. शहर की कई इकाइयां एटलस को साइकिल बनाने के पुर्जे सप्लाई करती थीं.

यूनाइटेड साइकिल्स पार्ट्स एंड मैन्युफैक्चरर्स के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत सिंह विश्वकर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘कंपनी पर विक्रेताओं का करीब 125 करोड़ रुपये बकाया है. मेरी कंपनी के 20 लाख रुपये बकाया हैं. पिछले साल भी बकाये के लिए विक्रेताओं ने प्रदर्शन किया था, जिसके बाद पैसे जारी किए गए थे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)