बीते 20 मई को जारी किए राज्य सरकार के आदेश में केंद्र सरकार के 2018 के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सभी सरकारी अधिकारी अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों के लिए ‘दलित’ या ‘हरिजन’ शब्द का उपयोग करने से बचेंगे क्योंकि इनका संविधान या क़ानून में कोई उल्लेख नहीं है.
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने सभी विभागों और अधिकारियों से कहा है कि सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाले सदस्यों के लिए ‘दलित’ नाम का इस्तेमाल करने से बचें. एक सरकारी परिपत्र में इस संबंध में निर्देश दिया गया है.
परिपत्र में कहा गया है कि अंग्रेजी में संवैधानिक शब्द ‘शेड्यूल्ड कास्ट’ है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्तियों को दर्शाने के लिए अन्य राष्ट्रीय भाषाओं में इसका उपयुक्त अनुवाद इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति के आदेश में अधिसूचित है.
राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी करते हुए इस शब्द का उपयोग किसी भी मामले- सौदेबाजी, प्रमाण-पत्रों आदि में नहीं किए जाने का आदेश अपने सभी विभागों और मंत्रालयों को दिया है.
सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि कर्नाटक सरकार भी 2010 में ही इन शब्दों का उपयोग नहीं करने के लिए आदेश जारी कर चुकी है.
यह परिपत्र 20 मई को जारी किया गया है और इसमें 2018 के केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लेख किया गया है. यह निर्देश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के आदेश के संदर्भ में जारी किए गए थे.
आदेश में कहा गया था, ‘केंद्र /राज्य सरकार और उसके अधिकारी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए ‘दलित’ नाम का उपयोग करने से बचेंगे, क्योंकि इसका संविधान या कानून में उल्लेख नहीं मिलता है.’
साल 2018 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को अपने पत्राचार में दलित शब्द का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इस शब्द संविधान में इस्तेमाल नहीं किया गया है.
इसके बाद केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने का निर्देश देते हुए 10 फरवरी 1982 को जारी गृह मंत्रालय के एक आदेश का हवाला दिया था और अधिकारियों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र में ‘हरिजन’ शब्द को सम्मिलित न करने को कहा था.
इसके बाद इसी साल बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा था, जिसके बाद मंत्रालय ने मीडिया से आग्रह किया था कि वे अनुसूचित जाति के लोगों का उल्लेख करते हुए वे इस शब्द के इस्तेमाल से बच सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कर्नाटक सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के लिए ‘हरिजन’ और ‘गिरिजन’ शब्दों के उपयोग पर रोक लगा चुकी है इसलिए इन शब्दों का उपयोग भी ‘दलित’ शब्द के स्थान पर नहीं होना चाहिए.
सितंबर 2019 में राजस्थान सरकार ने कहा था कि राज्य के सरकारी स्कूलों के नाम और पते से भी ‘हरिजन’ शब्द हटाया जाएगा. तब कुछ संस्थाओं ने सरकारी स्कूलों के नाम में हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए इसे हटाने की मांग की थी.
संस्थाओं का कहना था कि ‘हरिजन’ शब्द संवैधानिक शब्द नहीं है. यह दलित समाज के मान सम्मान के विरुद्व है तथा इस वर्ग के लोगों में हीनभावना पैदा करता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)