गुजरात की चार राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को होने वाले चुनाव से पहले पिछले दो दिनों में कांग्रेस के तीन विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. इससे पहले मार्च में पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. ऐसे हालात में दो सीटें हासिल करने की उम्मीद कर रही कांग्रेस को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ सकता है.
नई दिल्ली: गुजरात की चार राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को होने वाले चुनाव से पहले पिछले दो दिनों में कांग्रेस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इससे गुजरात से दो राज्यसभा सीट हासिल करने की कांग्रेस की उम्मीदों को झटका लगा सकता है.
बीते गुरुवार को कांग्रेस के दो विधायकों अक्षय पटेल और जीतू चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था. पटेल वडोदरा की कर्जन सीट का और चौधरी वलसाड की कपराडा सीट का प्रतिनिधित्व करते थे.
इसके बाद शुक्रवार को मोरबी से विधायक बृजेश मेरजा ने इस्तीफा दे दिया. विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने तीनों विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं.
इन तीन विधायकों के हालिया इस्तीफे के साथ मार्च में राज्यसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद से गुजरात में कांग्रेस के आठ विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. इससे पहले मार्च में भी कांग्रेस के पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था.
पांचों विधायकों के इस्तीफे के बाद उन पर कार्रवाई करते हुए गुजरात कांग्रेस ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था.
अपने पांच विधायकों के इस्तीफे के बाद ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधियों की खरीद-फरोख्त के डर से 15 मार्च को कांग्रेस ने अपने करीब दो दर्जन विधानसभा सदस्यों को जयपुर भेज दिया था. हालांकि, इसके बाद चुनाव स्थगित हो गए थे.
बता दें कि राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव मूल रूप से 26 मार्च को होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था.
पिछले महीने लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि चार सीटों के लिए मतदान 19 जून को होगा.
अब 182 सदस्यों वाले गुजरात विधानसभा में कांग्रेस पार्टी की संख्या 65 पर सिमट गई है. वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के 103 विधायक हैं.
कांग्रेस ने गुजरात में अपने विधायकों के इस्तीफा देने को लेकर शुक्रवार को भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि खरीद-फरोख्त का वायरस सत्तारूढ़ दल के डीएनए में है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यह कटाक्ष भी किया कि देश आत्मनिर्भर नहीं बना, लेकिन भाजपा आत्मनिर्भर बन चुकी है.
उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर गुजरात में विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ का आरोप लगाते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘यह (खरीद-फरोख्त) एक वायरस है, जो भाजपा के डीएनए में है. वह इस वायरस को फैला रही है.’ सिब्बल ने कहा, ‘जनता पहचान रही है कि हमें तो सड़कों पर चला रहे हैं और खुद विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं.’
बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीटें हासिल कर जीत हासिल कर ली थी. कांग्रेस पार्टी को 81 सीटें मिली थीं.
हालांकि, पिछले ढाई सालों में कई कांग्रेस विधायक या तो भाजपा में शामिल हो गए या फिर इस्तीफा दे दिया. मार्च, 2020 में राज्यसभा चुनावों की घोषणा होने तक कांग्रेस की संख्या कम होकर 73 रह गई थी. उसके बाद हुए आठ अन्य इस्तीफों से पार्टी की हालत और कमजोर हो गई है.
73 विधायकों के साथ मार्च में पार्टी को उम्मीद थी कि वह दोनों सीटें जीत लेगी. हालांकि, मौजूदा हालात में निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी के समर्थन के बाद भी दो राज्यसभा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस के पास चार विधायकों की कमी हो गई है.
ऐसे हालात में कांग्रेस को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ सकता है. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेताओं- शक्तिसिंह गोहिल और भरतसिंह सोलंकी को नामांकित किया है.
वहीं, 103 विधायकों के साथ भाजपा तीन सीटें हासिल कर सकती है. भाजपा ने चुनाव के लिए अभय भारद्वाज, रमीला बारा और नरहरि अमीन को मैदान में उतारा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)