मामला राजस्थान के चूरू ज़िले का है. मुस्लिम मरीज़ों के साथ भेदभाव के संबंध में कर्मचारियों की कथित बातचीत लीक होने के बाद श्रीचंद बरडिया रोग निदान केंद्र के संचालक सुनील चौधरी ने फेसबुक पर माफी मांगी है.
जयपुर: राजस्थान में चूरू जिले के एक निजी अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा कोरोना वायरस संक्रमित मुस्लिम मरीजों को नहीं देखने के बारे में आपस में कथित रूप से चर्चा करने का एक व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट सामने आया है.
पुलिस ने रविवार को बताया कि अस्पताल के कर्मचारियों के बीच हुई बातचीत का एक स्क्रीनशॉट लीक होने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
चूरू के सरदार शहर स्थित श्रीचंद बरडिया रोग निदान केंद्र के कर्मचारियों ने यह कथित संदेश लिखा था.
एक साथ कई मैसेज करते हुए एक कर्मचारी ने लिखा, ‘कल से मुस्लिम मरीज का एक्स-रे नहीं करूंगा. ये मेरी शपथ है.’
दूसरी कर्मचारी ने आगे कहा, ‘अगर हिंदू पॉजिटिव होते और मुस्लिम डॉक्टर होता तो हिंदुओं को कभी नहीं देखते. मैं मुस्लिम मरीजों को नहीं देखूंगी. बोल देना मैडम हैं ही नहीं यहां.’
उन्होंने आगे सुझाव दिया कि मुस्लिम मरीजों को केवल मुस्लिम डॉक्टरों के पास भेजा जाना चाहिए.
मामला सामने आने के बाद अस्पताल के संचालक डॉ. सुनील चौधरी ने माफी मांगी है.
चौधरी ने फेसबुक पर माफी मांगते हुए कहा कि उनके अस्पताल के कर्मचारियों का उद्देश्य किसी भी प्रकार से किसी धार्मिक समुदाय के लोगो की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था.
चौधरी ने दावा किया कि यह मैसेज अप्रैल महीने का है, जब तबलीगी जमात के सदस्य जुटे थे और मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में चौधरी ने कहा, ‘हमारे इलाके में कई मामले सामने आए थे. आप देख सकते हैं कि किसी ने ऐसा लिखा है और इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन आपको सच्चाई भी जाननी चाहिए. अगर आप देखेंगे कि हम रोजाना कितने मुस्लिम मरीजों का इलाज करते हैं तब आप देखेंगे कि चैट में कही गईं बातों का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है. चारों तरफ फैले डर के माहौल के बीच मैं हर किसी को 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा था. हमने कभी भी किसी के भी साथ धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया.’
सरदार शहर पुलिस थानाधिकारी महेंद्र दत्त शर्मा ने बताया कि पुलिस कंट्रोल रूम को सोशल मीडिया पर वायरल हुए व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट के बारे में शिकायत मिली थी.
शर्मा ने बताया कि हम मामले की जांच कर रहे है. व्हाट्सएप में बताए गए लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
बता दें कि इससे पहले अप्रैल में राजस्थान के भरतपुर जिले के एक सरकारी अस्पताल ने कथित तौर पर एक गर्भवती महिला को मुस्लिम होने के कारण भर्ती नहीं किया था जिसके कारण एंबुलेंस में ही जन्मे बच्चे की मौत हो गई थी. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने अपनी जांच में कहा था कि इस आरोप को साबित नहीं किया जा सकता है.
महिला के 34 वर्षीय पति इरफान खान ने कहा था कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें तबलीगी जमात से जुड़ा हुआ कहा था और इलाज करने से इनकार कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)