यह मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल का मामला है. पारिवारिक विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी, जिनके शव की कोरोना जांच में उसे संक्रमित पाया गया. अस्पताल को शक़ है कि ग़लती से शव किसी और को सौंप दिया गया है.
मुंबई के एक अस्पताल से 27 साल के एक कोरोना मरीज का शव गायब हो गया है. मुंबई के इस राजावाड़ी अस्पताल का संचालन बीएमसी करता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कोरोना मरीज की कथित तौर पर उनके चचेरे भाइयों द्वारा हत्या कर दी गई थी. देवनार पुलिस हत्या मामले की जांच कर रही है जबकि तिलक नगर पुलिस शव के गायब होने के मामले की जांच कर रही है.
पुलिस का कहना है कि तीन जून की रात को लगभग 10.30 बजे पारिवारिक विवाद के बाद कथित तौर पर युवक के उसके चचेरे भाइयों ने चाकू से उस पर हमला किया और उसके पेट में चाकू घोंप दिया गया. इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
मृतक के पारिवारिक मित्र ने बताया कि इसके बाद उन्हें राजावाड़ी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें पोस्टमार्टम से पहले शव की कोरोना जांच करनी होगी. पांच जून को उन्होंने हमें बताया कि वह कोरोना संक्रमित था.’ परिवार ने छह जून को एक एंबुलेंस का बंदोबस्त करने की व्यवस्था की लेकिन किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव को ले जाने के लिए कोई भी ड्राइवर तैयार नहीं हुआ.
रविवार को एंबुलेंस के साथ राजावाड़ी अस्पताल गए. सुबह से शाम तक सभी शवों की कई बार जांच हुई लेकिन हमें उसका शव कहीं नहीं मिला. अस्पताल को संदेह है कि गलती से शव किसी और को सौंप दिया गया है.
बीएमसी के डिप्टी एग्जिक्यूटिव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने कहा कि वह इस घटना से वाकिफ नहीं है और राजावाड़ी अस्पताल सीधे तौर पर इस मामले को देख रहा है.
पुलिस उपायुक्त (जोन 6) शशि मीणा ने कहा, ‘हम जांच कर रहे हैं कि शव किस तरह गायब हुआ. अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.’
देश भर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में हुआ यह इस तरह का कोई पहला मामला नही है.
दिल्ली के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि उसके कोरोना संक्रमित पिता एलएनजेपी अस्पताल से लापता हैं और किसी भी वार्ड में नहीं मिल रहे हैं. अस्पताल प्रशासन को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
दिल्ली के इसी अस्पताल में एक कोरोना संक्रमित मरीज के शव को गलती से एक दूसरे परिवार को सौंपने का मामला भी सामने आया था.
कलामुद्दीन नाम के शख्स ने एक गलत शव को अपना पिता समझकर उसे दफना दिया लेकिन उन्हें बाद में पता चला कि ये उनके पिता का शव नहीं था. उन्होंने बाद में अपने पिता का शव दफनाया. जिसे उन्हें दफनाया वे एजाजुद्दीन नाम के शख्स के भाई थे और कोरोना संक्रमित थे.
बताया गया था कि अस्पताल की मोर्चरी में मोइनुद्दीन नाम के दो लोगों के शव थे जिसके चलते शवों की शिनाख्त में गलती हुई.
इससे पहले गुजरात के अहमदाबाद सिविल अस्पताल से भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जहां एक परिवार के कोरोना संक्रमित एक बुजुर्ग सदस्य की मौत होने की बात कहकर अस्पताल प्रशासन की ओर से उन्हें एक शव सौंपा गया था, जिसका अंतिम संस्कार परिवार ने कर दिया. बाद में अस्पताल प्रशासन की ओर से उनसे कहा गया कि इस सदस्य की हालत स्थिर है.
अहमदाबाद सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले कई मरीजों के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया था कि डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही और उदासीनता की वजह से उनके परिजन की जान गई.
एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने उसकी 81 वर्षीय दादी को जिंदा रखने के लिए उनसे पाइप को हाथ से दबाकर हवा भरते रहने को कहा था. 27 मई को ऐसा करने के कुछ देर बाद ही बुजुर्ग की मौत हो गई.
वहीं, 15 मई को अहमदाबाद स्थित दानीलिमडा इलाके में एक कोविड-19 मरीज का शव लावारिस हालत में एक बस अड्डे पर मिला था. मृतक के परिजनों ने इस घटना के लिए अस्पताल और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया था.
मध्य प्रदेश के इंदौर से एक मामला सामने आया, जिसमें कोरोना से एक मरीज की मौत की जानकारी 16 दिनों की देरी से दी गई थी.