राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों में एम्बुलेंस चालक, लैब टेक्नीशियन, नर्सें, डेंटिस्ट, आयुष और एलोपैथिक डॉक्टर शामिल हैं. उनकी मांग है कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करते हुए राज्य स्वास्थ्यकर्मियों के समान पद के लिए समान वेतन और सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया दी जाएं.
कोहिमा: नगालैंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 1,800 से अधिक कर्मचारियों ने अपनी सेवा नियमित किए जाने और स्वास्थ्यकर्मियों के समान वेतन की मांग को लेकर रविवार से ‘काम रोको’ विरोध शुरू कर दिया जबकि राज्य सरकार पहले ही कोविड-19 महामारी से जूझ रही है.
एनएचएम कर्मचारियों में एम्बुलेंस चालक, प्रयोगशाला तकनीशियन, नर्सें, दंत, आयुष और एलोपैथिक डॉक्टर शामिल हैं.
एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. शासिनलो माघ ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से राज्य में तैनात 1,850 कर्मचारियों ने तीन सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होने तक रविवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.
उनकी मांग है कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित किया जाए, राज्य स्वास्थ्यकर्मियों के समान पद के लिए समान वेतन दिया जाए और सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया करायी जाएं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि एनईएएन के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया गया है और मामले को सुलझा लिया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि एनएचएम कर्मचारियों की अनुपस्थिति में विभाग वर्तमान कोविड-19 स्थिति का प्रबंधन कैसे कर रहा है, अधिकारी ने कहा, ‘यह मुश्किल है लेकिन एनएचएम के कर्मचारी जहां भी लगे हैं, जिला टास्क फोर्स द्वारा कुछ तात्कालिक व्यवस्था की जा रही है.’
रविवार को नगालैंड में पांच लोग कोरोना वायरस संक्रमण से पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके साथ राज्य में कुल मामलों की संख्या 168 हो गई.
नागालैंड एनएचएम मिशन के निदेशक डॉ. केविचुसा मेदिखरू ने एनईएएन के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि वर्तमान महामारी की स्थिति से निपटने के लिए विभाग में जनशक्ति की कमी है और हम एनएचएम द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को न केवल इस अवधि में बल्कि अतीत में भी स्वीकार करते हैं.’
उन्होंने कहा कि विभाग एनएचएम कर्मचारियों की मांगों पर निष्पक्ष सुनवाई करने के लिए तैयार है. डॉ. मेधीखरू ने उनसे खुली चर्चा के लिए आगे आने का आग्रह किया ताकि उनकी शिकायतों का निवारण किया जा सके.
उन्होंने कहा कि विभाग ने इस मुद्दे के समाधान के लिए कदम उठाए हैं.
राज्य में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए, कोविड-19 महामारी से निपटने और इसमें भाग लेने की आवश्यकता को बताते हुए मिशन निदेशक ने आंदोलनकारी कर्मचारियों से सार्वजनिक सेवा के हित में विरोध को तुरंत बंद करने का अनुरोध किया ताकि एक साथ महामारी से निपटा जा सकें.
एनईएएन के अध्यक्ष डॉ. शासिनलो माघ ने कहा, ‘हम कोविड -19 महामारी के समय यह कदम नहीं उठाना चाहते थे, लेकिन राज्य मंत्रिमंडल के 11 जून के फैसले में अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने पर विचार नहीं किया गया इसलिए यह कदम उठाना पड़ा.’
कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए 11 जून को राज्य मंत्रिमंडल ने 11 जिला अस्पतालों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के 53 पदों और उन सुविधाओं के लिए स्टाफ नर्स के 143 पदों के नियुक्ती को मंजूरी दी थी.
माघ ने कहा कि एनएचएम कर्मचारी 2005-06 में राज्य में मिशन की स्थापना के बाद से सेवाएं दे रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘जब तक हमारी तीन सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होती, हम आंदोलन करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘हम आम जनता के स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं से चिंतित हैं, जिसमें स्वस्थ होने वाले कोविड-19 मरीज और अन्य बीमार और जरूरतमंद लोग भी शामिल हैं. हमें अपने संघर्ष के काम पर भी पछतावा है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)