अमेरिका ने क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के आपात इस्तेमाल पर रोक लगाई

अमेरिकी खाद्य और दवा नियामक संस्था ने कोविड-19 के उपचार के लिए आपात स्थिति में क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को दी गई मंज़ूरी वापस लेते हुए कहा कि ये मलेरिया रोधी दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में संभवत: प्रभावी नहीं हैं.

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(फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी खाद्य और दवा नियामक संस्था ने कोविड-19 के उपचार के लिए आपात स्थिति में क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को दी गई मंज़ूरी वापस लेते हुए कहा कि ये मलेरिया रोधी दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में संभवत: प्रभावी नहीं हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक संस्था (एफडीए) ने सोमवार को मलेरिया रोधी दवा क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के कोविड-19 के उपचार के लिए आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी को वापस ले लिया.

इसने कहा कि ये दवाएं वायरस संक्रमण रोकने में संभवत: प्रभावी नहीं हैं. एफडीए ने कहा कि उसका फैसला हाल की जानकारी पर आधारित है जिसमें क्लिनिकल ट्रायल डेटा के परिणाम भी शामिल हैं.

इसने कहा कि वर्तमान में अमेरिकी उपचार के दिशा-निर्देश भी कोविड-19 के मामलों में इन दवाओं के इस्तेमाल की अनुशंसा नहीं करते हैं.

एनडीटीवी के अनुसार, टेस्ट ट्यूब में वायरस को निष्क्रिय करने के लिए मार्च में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीनऔर क्लोरोक्वीन को अधिकृत किया गया था और शुरुआती छोटे अध्ययनों से पता चलता है कि वे मनुष्यों में भी अच्छी तरह से काम करते थे.

हालांकि, बड़े और बेहतर प्रयोगों ने पाया है कि ये दो दवाएं कोविड-19 के इलाज में या वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों के संक्रमण को रोकने में अप्रभावी हैं.

इस दौरान, उनके उपयोग के आसपास सुरक्षा चिंताओं को उठाया गया है, विशेष रूप से कुछ रोगियों में अनियमित धड़कन के जोखिम के कारण.

बता दें कि एफडीए की चेतावनियों के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा का समर्थन किया था. राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कहा था कि वह मलेरिया रोधी इस दवा को एहतियात के तौर पर स्वयं भी ले रहे हैं.

बता दें कि, मेडिकल जर्नल लांसेट के अध्ययन के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने क्लिनिकल ट्रायल में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन से मरीजों का इलाज करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि, लांसेट के अध्ययन पर सवाल उठने के बाद हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने इसका का क्लिनिकल ट्रायल दोबारा शुरू किया.

इसके बाद शीर्ष एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं द लांसेट और न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) में प्रकाशित दो विवादित अध्ययनों के लेखकों ने कोविड-19 पर अपना अनुसंधान वापस ले लिया था.

भारत ने भी पिछले महीने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा दिया था. भारत ने कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्य सेवाकर्मियों, निरुद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल अर्द्धसैन्य बलों/पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने की सिफारिश की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)