जोरहाट इलाके में उल्फा-आई और एनएससीएन-आईएम के सदस्यों के होने की मौजूदगी की सूचना मिलने पर सेना और पुलिस के संयुक्त अभियान में जयंत बोरा को उनके घर से हिरासत में लिया गया था.
गुवाहाटीः असम के जोरहाट जिले में आतंकवाद रोधी अभियान के तहत हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति की मौत के मामले में प्रशासन ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जोरहाट के काकोडोंगा गांव के रहने वाले जयंत बोरा (30) को भारतीय सेना और राज्य पुलिस की संयुक्त टीम ने 14 जून की रात हिरासत में लिया था.
जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि इलाके में उल्फा-आई और एनएससीएन-आईएम के सदस्यों के होने की मौजूदगी की सूचना मिलने पर चरादेओ में सेना की 244 फील्ड रेजिमेंट की टीम और जोरहाट के बोरहोला के पुलिसकर्मियों ने संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया था.
ऑपरेशन के दौरान, बोरा को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) का सदस्य होने के संदेह में उसके घर से हिरासत में लिया गया.
बोरा के पिता पूर्व सैनिक हैं.
बोरा को पहले बोरहोल पुलिस थाने लाया गया, जहां की शिकायत के बाद उन्हें स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, वहां राहत न मिलने पर जेएमसीएच ले जाया गया, जहां उसे उन्हें घोषित कर दिया गया.
बोरा की मौत के लिए सेना और पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए गांववालों ने बोरा का शव स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
जोरहाट की डिप्टी कमिश्नर रोशनी अपरान्जी कोराती ने 15 जून को मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए.
कोराती ने कहा, ‘हमने 10 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. हमने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी इस मामले की जांच करने के लिए पत्र लिखा है.’
असम के तीन पुलिसकर्मियों को इस घटना के संबंध में 16 जून को सस्पेंड कर दिया गया. पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया है और जांच जारी है.
राज्य के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा, ‘मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आश्वासन दिया है कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी. मृतक के परिवार वालों को छह लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी.’
कृषि मंत्री अतुल बोरा 16 जून को मृतक युवक के घर पहुंचे थे.