चीनी विदेश मंत्रालय ने बीते शुक्रवार अपना दावा दोहराया था कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर है. इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन का दावा ख़ुद उनके द्वारा अतीत में अपनाए गए रुख के अनुरूप नहीं है.
नई दिल्ली: भारत ने गलवान घाटी पर संप्रभुता के चीन के दावे को शनिवार को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि पड़ोसी देश के ‘बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए और अमान्य’ दावे स्वीकार्य नहीं हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीन का दावा उनके द्वारा अतीत में अपनाए गए रुख के अनुरूप नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक लंबे समय से इस इलाके में गश्त करते रहे है और कोई घटना नहीं घटी. उन्होंने भारतीय सैनिकों द्वारा अतिक्रमण के चीन के आरोपों को खारिज कर दिया.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘गलवान घाटी के संबंध में स्थिति ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट है. गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चीनी पक्ष की ओर से बढ़ा-चढ़ाकर किए गए और अमान्य दावे करने के प्रयास स्वीकार्य नहीं हैं. वे अतीत के खुद चीन के रुख के अनुरूप नहीं हैं.’
बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय ने एक सिलसिलेवार ब्योरा पेश करते हुए शुक्रवार को अपना दावा दोहराया था कि गलवान घाटी एलएसी के चीन की तरफ है.
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था, ‘गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से में आती है. कई वर्षों से वहां चीनी सुरक्षा गार्ड गश्त कर रहे हैं और अपनी ड्यूटी निभाते हैं.’
हालांकि इससे पहले भारत ने 18 जून को इस इलाके पर संप्रभुता के चीनी सेना के दावे को खारिज कर दिया था.
दरअसल, कई दशकों के बाद पहली बार चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पश्चिमी थिएटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने कहा था, ‘गलवान घाटी क्षेत्र पर संप्रभुता हमेशा चीन से संबंधित रही है.’
चीन के दावे के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में शनिवार को श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय सेनाएं गलवान घाटी समेत भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के सभी सेक्टरों में एलएसी की स्थिति से पूरी तरह परिचित हैं.
उन्होंने कहा, ‘वे यहां ईमानदारी से इसका पालन करते हैं, जैसा वे अन्य कहीं भी करते हैं. भारतीय पक्ष ने एलएसी के पार कभी कोई कार्रवाई नहीं की है. बल्कि वे लंबे समय से इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं और कोई घटना नहीं घटी.’
उन्होंने कहा, ‘मई 2020 की शुरुआत से चीनी पक्ष इस क्षेत्र में भारत के सामान्य, परंपरागत गश्ती के तरीकों को बाधित कर रहा है. इसके कारण टकराव हुआ जिस पर ग्राउंड कमांडरों ने द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकॉलों के प्रावधानों के अनुसार ध्यान दिया.’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम इस दलील को स्वीकार नहीं करते कि भारत यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदल रहा है. इसके विपरीत हम यथास्थिति बनाकर रख रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र के अन्य इलाकों में एलएसी में घुसपैठ की कोशिश की थी लेकिन इन कोशिशों पर भारतीय पक्ष की ओर से यथोचित जवाब दिया गया.
श्रीवास्तव ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बुधवार को फोन पर हुई बातचीत का उल्लेख भी किया.
उन्होंने कहा, ‘हम अपेक्षा करते हैं कि चीनी पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और चैन सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रियों के बीच बनी समझ का गंभीरता से पालन करेगा, जो हमारे द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए बहुत आवश्यक है.’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने छह जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत में हुए फैसलों का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों ने यथास्थिति को बदलने की कोई गतिविधि संचालित नहीं करने की सहमति जताई थी. हालांकि चीनी पक्ष ने गलवान घाटी इलाके में एलएसी के संदर्भ में इन सहमतियों से हटते हुए एलएसी पर ही ढांचे खड़े करने शुरू किए.’
उन्होंने कहा, ‘जब यह कोशिश नाकाम हो गई तो चीनी सैनिकों ने 15 जून को हिंसक कार्रवाई की जिसमें सीधे तौर पर जवान हताहत हुए.’ प्रवक्ता ने कहा कि जयशंकर ने वांग को इस संबंध में भारत का विरोध कड़े से कड़े शब्दों में जाहिर किया था.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘दोनों मंत्रियों ने इस बात पर भी रजामंदी जताई थी कि पूरे हालात को जिम्मेदाराना तरीके से संभाला जाएगा और दोनों पक्ष छह जून को बनी पीछे हटने की सहमति को गंभीरता से लागू करेंगे.’
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष नियमित संपर्क में हैं तथा सैन्य और कूटनीतिक प्रणालियों की जल्द बैठकों के बारे में इस समय विचार-विमर्श चल रहा है.
किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए तैयार: वायु सेना प्रमुख
लद्दाख में गलवान घाटी सहित कई इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच तनातनी के दौरान वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायु सेना चीन के साथ लगती सीमा पर किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और ‘उपयुक्त जगह पर तैनात है.’
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना चीन की वायुसेना की क्षमता, उनके हवाई अड्डों, संचालनात्मक अड्डों और क्षेत्र में उनकी तैनाती से पूरी तरह अवगत है. उन्होंने कहा कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए वायु सेना ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.
तेलंगाना के डुंडीगल में वायुसेना अकादमी (एएफए) में संयुक्त स्नातक परेड (सीजीपी) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वायुसेना लक्ष्य पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और वह लद्दाख की गलवान घाटी में हमारे शूरवीरों के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगी.
उन्होंने यह भी कहा कि हालात को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं.
सैन्य सूत्रों के अनुसार भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के अनेक क्षेत्रों में गंभीर गतिरोध के हालात बने हुए हैं.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीन-भारत सीमा पर विभिन्न जगहों पर आईटीबीपी की करीब 20 कंपनियों (दो हजार जवानों) को तैनात किया जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)