नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष कोनराड संगमा ने पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद बताया कि उनका दल भाजपा के साथ सरकार में है और बीते सप्ताह इस्तीफ़ा देने वाले विधायक मंत्री बने रहेंगे, पर उनके पोर्टफोलियो में बदलाव हो सकता है.
नई दिल्ली/इंफाल: नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिसके बाद मणिपुर में अपनी सरकार को स्थिर रखने के लिए भाजपा ने एक बार फिर क्षेत्रीय दल का समर्थन हासिल कर लिया.
मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एनपीपी के चार, भाजपा के तीन बागी विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुश्किल में घिर गई थी.
इसके बाद नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक हिमंता बिस्वा शर्मा एनपीपी के प्रतिनिधिमंडल को शाह से मिलवाने लेकर गए थे.
नेडा में भाजपा और पूर्वोत्तर के उसके सहयोगी दल शामिल हैं. शाह के साथ बैठक के बाद शर्मा ने ट्वीट किया, ‘कोनराड संगमा और मणिपुर के उप मुख्यमंत्री वाई. जॉय कुमार सिंह के नेतृत्व में एनपीपी के प्रतिनिधिमंडल ने आज नयी दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. मणिपुर के विकास के लिए भाजपा और एनपीपी मिलकर काम करते रहेंगे.’
बाद में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात की. एनपीपी और अन्य असंतुष्ट विधायक बीरेन सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दिल्ली से लौटकर संवाददाताओं से बात करते हुए कोनराड संगमा ने कहा कि सरकार में वापसी का फैसला भाजपा नेताओं के इस आश्वासन पर लिया गया है कि उनके सभी मसलों और शिकायतों का ध्यान रखा जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हमने भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जहां हमने गठबंधन के तौर पर पेश आ रही परेशानियों के बारे में उन्हें विस्तार में बताया. दोनों ही नेताओं ने हमें इस बारे में आश्वस्त किया कि हमारी शिकायतों का ध्यान रखा जायेगा. यही वजह है कि एनपीपी ने इस्तीफे वापस लेने और भाजपा सरकार के साथ गठबंधन में बने रहने का निर्णय लिया है.’
संगमा ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा नेताओं उन्हें आश्वस्त किया है कि वे पार्टी के नेताओं से सीधे जुड़ेंगे और मणिपुर के मामलों पर निजी तौर पर नजर रखेंगे.
उन्होंने कहा पिछले हफ्ते इस्तीफ़ा देने वाले एनपीपी विधायक सरकार में मंत्री बने रहेंगे, लेकिन उनके पोर्टफोलियो में बदलाव हो सकता है.
ज्ञात हो कि बीते हफ्ते मणिपुर के उपमुख्यमंत्री वाई. जॉयकुमार सिंह समेत ने एनपीपी के चार मंत्रियों ने भाजपा नीत सरकार से इस्तीफा दे दिया था.
चूंकि एनपीपी के राज्य में चार ही विधायक थे, तो इस्तीफे के बाद भाजपा के साथ गठबंधन भी टूटा और एन. बीरेन सरकार मुश्किल में आ गयी थी.
इनके साथ इस्तीफ़ा देने वालों में तीन भाजपा विधायक, एक ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के और एक निर्दलीय विधायक भी थे, जिसमें से भाजपा विधायकों ने बाद में कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी.
वहीं एनपीपी विधायकों ने भी कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी. इसके बाद कांग्रेस ने इन सभी नौ विधायकों को अपने पक्ष में लेते हुए सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) नाम से एक गठबंधन बनाया है.
इसी दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोइरंगथेम ओकेंद्र ने कहा था कि पार्टी को उम्मीद है कि राज्य में एसपीएफ सरकार की बनेगी.
Thank you Her Excellency @nheptulla Ji. We have noted, and acknowledge your advice that this is the time to work for the development of #Manipur, and stand by the people of the the state, especially in times like these when we are in the midst of a pandemic. https://t.co/affIv7uvD4
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) June 26, 2020
इंफाल लौटने पर एनपीपी की टीम और शर्मा सीधे मणिपुर की राज्यपाल के कार्यालय पहुंचे और आधिकारिक रूप से एसपीएफ से समर्थन वापस लेते हुए भाजपा सरकार के साथ दोबारा गठबंधन पर मुहर लगा दी.
वहीं, पार्टी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और महासचिव राम माधव ने इंफाल में जोर देकर कहा कि राज्य सरकार स्थिर रहेगी.
राम माधव ने इंफाल हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘यह मुझसे जान लीजिए, हम 2022 तक स्थिर हैं (जब राज्य में अगले विधानसभा चुनाव होने हैं).’
वहीं. एन. बीरेन सिंह ने भी इस मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की बात कहते हुए कहा कि यह एक ‘पारिवारिक मामला’ है और उम्मीद जताई कि राजनीतिक संकट जल्द सुलझ जाएगा.
2017 में मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 21 सीटें जीती थीं और 28 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी.
हालांकि इसके फौरन बाद ही एक कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गए. फिर भाजपा को एक टीएमसी विधायक के साथ चार एनपीपी और नगालैंड में भाजपा की सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार विधायकों का साथ मिला, जिसके बाद उत्तर-पूर्व के किसी राज्य में पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)