तमिलनाडुः पुलिस हिरासत में पिता-पुत्र की मौत की जांच की मांग, यौन प्रताड़ना के आरोप

19 जून को तुथुकुडी में लॉकडाउन के दौरान तय समय के बाद दुकान खोलने पर पिता और पुत्र को गिरफ़्तार किया गया था, इसके चार दिन बाद अस्पताल में दोनों की मौत हो गई थी. परिजनों ने हिरासत में बर्बरता और यौन प्रताड़ना होने के आरोप लगाए हैं.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

19 जून को तुथुकुडी में लॉकडाउन के दौरान तय समय के बाद दुकान खोलने पर पिता और पुत्र को गिरफ़्तार किया गया था, इसके चार दिन बाद अस्पताल में दोनों की मौत हो गई थी. परिजनों ने हिरासत में बर्बरता और यौन प्रताड़ना होने के आरोप लगाए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)
(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

चेन्नईः तमिलनाडु के तूतीकोरिन में पुलिस हिरासत में पिता-पुत्र की मौत के मामले में जांच की मांग की जा रही है. पुलिस पर हिरासत में पिता और बेटे को यौन प्रताड़ना और बर्बर यातना देने के संगीन आरोप हैं.

द फेडरल की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस हिरासत में पिता, बेटे के साथ पुलिस द्वारा क्रूर यौन उत्पीड़न का भी आरोप है.

मृतक बेनिक्स के दोस्त राजकुमार का कहना है, ’20 जून को सुबह सात से दोपहर 12 बजे के बीच पिता और बेटे दोनों की सात बार लुंगी बदली गई क्योंकि उनके गुप्तांगों से बहुत खून बह रहा था.’

इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी पीड़ित के दोस्त और वकील हैं. राजकुमार का कहना है, ‘जब तक पुलिस ने दोनों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उन्हीं के वाहन नहीं मंगाए, तब तक हम उनके साथ हुई यौन प्रताड़ना से अनजान थे. जयराज और बेनिक्स को फटे कपड़ों में पुलिस स्टेशन से बाहर लाया गया, वे पूरी तरह से खून में सने हुए थे.’

राजकुमार ने कहा, ‘वे गुप्तांगों में गंभीर दर्द की शिकायत कर रहे थे. हमने उन्हें तुरंत लुंगी दी और कार की सीट पर कॉटन का मोटा कपड़ा फैला दिया ताकि उन्हें बैठने में ज्यादा दर्द नहीं हो लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही लुंगी दोबारा खून से पूरी तरह गीली हो गई इसलिए अस्पताल में घुसने से पहले उन्हें दोबारा नई लुंगी पहनाई गई.’

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर राज्य सरकार से न्याय की अपील की है.

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘पुलिस की बर्बरता एक भयानक अपराध है. यह एक त्रासदी है जब हमारे रक्षक ही उत्पीड़क बन जाते हैं. मैं पीड़ितों के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार से अपील करता हूं.’

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, डीएमके की सांसद कनिमोझी ने इस बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को पत्र लिखकर इसके लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों और अन्य के खिलाफ जांच करने की मांग की है.

कनिमोझी ने एनएचआरसी को लिखे पत्र में कहा है, ‘यह आरोप है कि पुलिस ने जांच की आड़ में जयराज और बेनिक्स के साथ मारपीट की. पुलिस अधिकारियों ने बेनिक्स के गुप्तांगों में लाठी डाली, जिससे उन्हें अनियंत्रित रक्तस्राव हुआ. पुलिस अधिकारियों ने कई बार अपने जूतों से जयराज के सीने पर लात मारी.’

कनिमोझी का कहना है कि आरोप है कि जब पुलिस दोनों को लेकर अस्पताल गई और फिटनेस प्रमाण पत्र देने की मांग की, तो डॉक्टरों ने प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया लेकिन सथनकुलम के पुलिसकर्मी ने डॉक्टरों को स्वास्थ्य प्रमाणपत्र देने के लिए मजबूर किया.

कनिमोझी पत्र में लिखती हैं, ‘जब दोनों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के लिए उनके घर ले जाया गयो तो उन्हें कथित तौर पर मजिस्ट्रेट से पचास मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया. न्यायिक हिरासत में लेने से पहले उनके चारों ओर पुलिसकर्मी तैनात थे.’

वह कहती हैं, ‘यह स्पष्ट है कि पुलिस अधिकारी, पीड़ितों की रिमांड का आदेश देने वाला मजिस्ट्रेट, दोनों की हेल्थ और फिटनेस की जांच करने वाले मेडिकल अधिकारी सभी सामूहिक रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफल रहे हैं.’

कनिमोझी पत्र में लिखती हैं, ‘तथ्यों और परिस्थितियों को देखकर लगता है कि पुलिस ने संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और प्रतिष्ठा के अधिकार समेत बुनियादी मानवाधिकारों की अवहेलना की है. पुलिस अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी को लेकर निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है.’

कनिमोझी का आरोप है कि राज्य में पुलिस की हिरासत में अब तक ऐसी लगभग 15 घटनाएं हो चुकी हैं और अब तक एक भी मामले में किसी भी अधिकारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए एनएचआरसी इस मामले पर विचार करें और आवश्यक कदम उठाएं ताकि इस आगे इस तरह की घटनाएं नहीं हो सके.’

विपक्षी दल डीएमके ने इस घटना पर एआईएडीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार ने इस घटना में पुलिस को कानून अपने हाथ में लेने कैसे दिया. उन्होंने इसके साथ ही मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की है.

डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने कहा, ‘कथित तौर पर पुलिस द्वारा दो लोगों को जो यातना दी गई है, ये राज्य सरकार द्वारा पुलिस को अपने हाथ में कानून लेने दिए जाने का नतीजा है.’

बता दें कि पुलिस ने तुथुकुडी में पिता और उसके बेटे को निर्धारित समय के बाद भी मोबाइल की दुकान खोले रखने पर 19 जून को गिरफ्तार किया था. चार दिनों के बाद दोनों की अस्पताल में मौत हो गई थी.

परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पिता और बेटे की हिरासत में बर्बर पिटाई की थी. पुलिस द्वारा की गई मारपीट और हिंसा के निशान मृतकों के शरीर पर थे.

परिवार की मांग है कि आरोपी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाए. वहीं मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीठ ने तुथुकुडी एसपी से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.

अदालत ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इंस्पेक्टर जनरल (साउथ) का बयान दर्ज किया है. मालूम हो कि दोनों की मौत के बाद चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने घटना पर दुख जताया, लेकिन यातना दिए जाने की बात पर उन्होंने ने चुप्पी साध ली. मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये और नौकरी देने की बात कही है.