दिल्ली के कोविड अधिकृत जीटीबी अस्पताल में सीनियर डॉक्टरों की कमी, 95 पद खाली

दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए अधिकृत जीटीबी अस्पताल में इस समय 300 से अधिक कोरोना संक्रमित भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के शिक्षक संघ का कहना है कि बीते चार सालों से ऐसी ही स्थिति है, बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

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(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए अधिकृत जीटीबी अस्पताल में इस समय 300 से अधिक कोरोना संक्रमित भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के शिक्षक संघ का कहना है कि बीते चार सालों से ऐसी ही स्थिति है, बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना मरीजों की इलाज के लिए निर्धारित दिल्ली सरकार का गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है.

पिछले चार सालों से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है और अस्पताल द्वारा बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस समय अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के 95 पोस्ट्स खाली हैं. जबकि, दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप के मुताबिक इस समय अस्पताल में 302 कोरोना मरीज भर्ती हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के शिक्षक संघ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखा है कि अस्पताल में डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.

वीसी को लिखे पत्र में कहा गया, ‘कोरोना महामारी से पहले और लॉकडाउन के दौरान भेजे गए पत्रों के जरिये बार-बार याद दिलाए जाने के बावजूद कोई प्रगति दिखाई नहीं देती है. इस देरी के कारण यूसीएमएस और जीटीबी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी हो रही है, जिसका कोरोना संकट के समय बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा.’

इस साल फरवरी में संस्थान ने सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के पदों के लिए विज्ञापन निकाला था, लेकिन लॉकडाउन के कारण प्रक्रिया में देरी हुई.

वरिष्ठ डॉक्टरों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया में देरी अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं को बाधित करेगी जो कि अब कोविड-19 संकट के मोर्चे पर हैं.

यूसीएमएस शिक्षक संघ के अध्यक्ष आमिर खान मारूफ ने कहा, ‘पिछले चार वर्षों से यूसीएमएस में वरिष्ठ डॉक्टरों की भर्ती नहीं हुई है. ये आवश्यकताएं विभाग और भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के अनुसार हैं और पिछले कुछ वर्षों से ये पूरी नहीं हुई हैं. अस्पताल को हाल ही में कोविड-19 सुविधा में बदल दिया गया है और अब रिक्त पदों को भरना बेहद जरूरी है.’

सीनियर डॉक्टरों की कमी के कारण पोस्टगेजुएशन के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को कोविड-19 के काम पर लगाया गया है.

पिछले महीने 29 मई को दिल्ली सरकार ने अस्पताल को 1,500 बेड की सुविधा के साथ कोरोना अस्पताल में बदल दिया. 

यूसीएमएस के प्रिंसिपल डॉ. एके जैन ने स्वीकार किया है कि अस्पताल में ये समस्या है और कहा है कि विश्वविद्यालय जल्द ही खाली पदों को भरेगा.

उन्होंने कहा, ‘सीनियर रेजिडेंट के लिए आयु पात्रता में भारत सरकार ने बदलाव की थी, जिसके कारण इस प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन हुए हैं. अधिकतम उम्र, जो 33 साल थी, अब बदलकर 40 साल कर दी गई है. हम डीयू से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं जो अगले दो दिनों में आने की उम्मीद है. इसके तुरंत बाद, हम एक शुद्धि-पत्र जारी करेंगे जिसके बाद प्रक्रिया को शुरू होने में एक सप्ताह और लगेगा.’