तुथुकुडी ज़िले में कथित तौर पर हिरासत में हुई पिता-पुत्र की मौत की जांच कर रही न्यायिक टीम की शिकायत पर मद्रास हाईकोर्ट ने तीन पुलिसकर्मियों पर अवमानना की कार्रवाई शुरू की है. साथ ही सथनकुलम पुलिस स्टेशन का नियंत्रण राजस्व अधिकारियों को सौंपने का आदेश दिया है.
चेन्नई: तमिलनाडु के तुथुकुडी जिले में पिता और पुत्र की कथित तौर पर हिरासत में हुई मौत की जांच के लिए मद्रास हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट ने अदालत को लिखा है कि संबंधित थाने के अधिकारियों ने सबूत नष्ट कर दिए, जांच में सहयोग नहीं किया था और न्यायिक टीम को डराने की कोशिश की.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कोविलपट्टी के न्यायिक मजिस्ट्रेट भारतीदासन ने अदालत से कहा है कि वहां के डराने वाले माहौल ने उन्हें रविवार मध्यरात्रि को जांच रोकने और सथनकुलम पुलिस स्टेशन छोड़ने पर मजबूर कर दिया था.
बता दें कि तुथुकुडी जिले में 59 वर्षीय जयराज और उनके 31 वर्षीय बेटे बेनिक्स इमानुएल को निर्धारित समय के बाद भी मोबाइल की दुकान खोले रखने पर सथनकुलम पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों द्वारा 19 जून को गिरफ्तार किया गया था.
चार दिनों के बाद दोनों की अस्पताल में मौत हो गई थी. दोनों की मौत के बाद चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.
न्यायिक मजिस्ट्रेट की शिकायत के बाद हाईकोर्ट ने सोमवार को जिला अधिकारी को निर्देश दिया कि वे सथनकुलम पुलिस स्टेशन पर नियंत्रण करने के लिए राजस्व अधिकारियों को नियुक्त करें.
अदालत ने एएसपी डी. कुमार, डीएसपी प्रतापन और कॉन्स्टेबल महाराजन के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई शुरू की है, जिसका नाम भारतीदासन ने अपनी शिकायत में दिया है.
सोमवार शाम को तमिलनाडु सरकार ने एक आदेश पारित किया जिसमें जयराज और बेनिक्स की मौतों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
हाईकोर्ट को लिखे गए मजिस्ट्रेट के पत्र से जयराज और बेनिक्स को प्रताड़ित किए जाने की भी पुष्टि होती है.
पत्र में मजिस्ट्रेट ने कहा है कि गवाहों ने बयान दिया है कि रात से लेकर सुबह तक पिता-पुत्र दोनों को लाठियों से पीटा गया था. खून से सनी लाठियों और जिस मेज पर लिटाकर उन्हें पीटा गया था, उसे साफ कर दिया गया था.
मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘जब हमने अधिकारियों से लाठियों को पेश करने के लिए कहा तो उन्होंने नहीं किया. इसके बाद हमने उन्हें मजबूर किया तब जाकर उन्होंने लाठियां जमा कीं.’
भारतीदासन की शिकायत के हवाले से हाईकोर्ट के एक सूत्र ने कहा, ‘न्यायिक टीम रविवार दोपहर करीब 12.45 बजे सथनकुलम स्टेशन पहुंची. अपनी शिकायत में मजिस्ट्रेट का कहना है कि उपस्थित दो वरिष्ठ अधिकारियों एएसपी कुमार और डीएसपी प्रतापन ने उनके वहां उपस्थिति को तवज्जो देने का कोई प्रयास नहीं किया. इसके बजाय कुमार ने उन्हें शारीरिक तौर पर डराने का प्रयास किया है.’
सूत्रों ने कहा कि जब न्यायिक टीम ने निरीक्षण के लिए दैनिक रजिस्टर और अन्य दस्तावेज मांगे, तो दोनों अधिकारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए अपने अधीनस्थों को गाली दी और धमकी भरे अंदाज में बात की.
सूत्रों के अनुसार, भारतीदासन का कहना है कि निरीक्षण में देरी करने के लिए दस्तावेजों को एक-एक करके बाहर लाया गया.
न्यायिक टीम में ऐसे विशेषज्ञ शामिल थे, जो सीसीटीवी फुटेज को डाउनलोड और पुनर्प्राप्त कर सकते थे, जो मामले में महत्वपूर्ण सबूत साबित हो सकते हैं.
हालांकि, भारतीदासन ने अपने पत्र में लिखा है कि सिस्टम को इस तरह से सेट किया गया था कि डेटा हर दिन मिट जाता है. 19 जून को दर्ज की गई घटनाओं (जब जयराज और बेनिक्स ने सथनकुलम स्टेशन में रखे गए थे) को डिलीट पाया गया था.
भारतीदासन लिखते हैं कि पुलिस स्टेशन परिसर की तस्वीरें और वीडियो लेने के बाद उन्होंने पूछताछ के लिए सबसे पहले कॉन्स्टेबल महाराजन को बुलाया था.
वह कहते हैं कि कॉन्स्टेबल आगे नहीं आना चाहता था, वह डरा हुआ दिखाई दे रहा था. हालांकि, बाद में महाराजन ने मजिस्ट्रेट से कहा कि आप यहां कुछ नहीं कर सकते हैं.
जयराज और बेनिक्स को प्रताड़ित करने में अधिकारियों के साथ महाराजन पर भी आरोप है. हालांकि, जब मजिस्ट्रेट ने उनकी लाठी मांगी तो पहले उसने कहा कि उनके पैतृक घर पर है, फिर कहा कि पुलिस क्वार्टर पर है और अंत में उसने लाठी होने की बात से ही इनकार कर दिया.
उसने सहयोग करने से मना कर दिया और उनके अनुरोध पर बहुत बेरुखी से पेश आया. मजिस्ट्रेट के अनुसार, महाराजन से पूछताछ के दौरान ही जब एक अन्य पुलिसकर्मी से उसकी लाठी मांगी गई तो वह’ भाग गया.’
न्यायिक टीम ने हेड कॉन्स्टेबल रेवती से भी बात की जो कि 19 जून की रात को पुलिस स्टेशन में मौजूद थीं. सूत्रों के अनुसार, मजिस्ट्रेट ने कहा कि उन्होंने रेवती के साथ काफी समय बिताया और उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश की.
हालांकि रेवती अपने वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया के भय से काफी डरी हुई और परेशान थीं. अपनी सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद ही उन्होंने गवाह बनने की बात कही है.
इस बीच, पुलिस स्टेशन के बाहर एक पेड़ के नीचे खड़े पुलिसकर्मी खुलेआम न्यायिक टीम को गाली दे रहे थे, जबकि अन्य उसे अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहे थे. मजिस्ट्रेट ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनकी इरादा साफ तौर पर गवाहों को धमकाने का था.
मजिस्ट्रेट ने अपनी शिकायत में कहा है कि जब उन्हें लगा कि हालात बद से बदतर हो रहे हैं तब उन्होंने पुलिस स्टेशन छोड़ने का फैसला किया.
इस बारे में इस अख़बार द्वारा तमिलनाडु के डीजीपी जेके त्रिपाठी ने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं धमकी के आरोपों पर तुथुकुडी के पुलिस अधीक्षक अरुण बालगोपाल ने कहा, ‘मैं बाद में टिप्पणी करूंगा.’
तुथुकुडी जिला अधिकारी संदीप नंदूरी ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट उन्हें रिपोर्ट नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा, यदि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई शिकायत है, तो अदालत उचित कार्रवाई के लिए निर्देश देगी. मैंने सुना है कि मद्रास हाईकोर्ट ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. अभी मुझे आदेश की प्रति नहीं मिली है.