केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से 2,679 विदेशी नागरिकों का वीज़ा निरस्त करने और उन्हें तबलीग़ी जमात की गतिविधियों में शामिल होने के चलते प्रतिबंधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करने की मांग की है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विदेशी नागरिकों को वीजा प्राप्त करने या रद्द वीजा को जारी रखने का कोई मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है.
केंद्र ने 2,679 विदेशी नागरिकों के वीजा निरस्त करने और उन्हें तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल होने के चलते प्रतिबंधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है.
सरकार ने कहा कि जब तक जमात के लोगों के खिलाफ चल रहा मुकदमा पूरा नहीं हो जाता, तब तक उन्हें उनके देश वापस नहीं भेजा जा सकता है.
केंद्र ने कहा कि दुनियाभर में वीजा जारी करना पूरी तरह सरकारों का संप्रभु कार्य है और वीजा नहीं दिए जाने, खारिज किए जाने या निरस्त किए जाने से संबंधित मामलों को चुनौती नहीं दी जा सकती.
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि मामला दर मामला के आधार पर अलग-अलग आदेश जारी किए गए.
गृह मंत्रालय के हलफनामे के अनुसार, ‘पहली बात तो सक्षम प्राधिकारों ने वीजा निरस्त करने, लोगों को प्रतिबंधित करने तथा इस बारे में उठाए गए अन्य कदमों के संबंध में अलग-अलग आदेश जारी किए है.’
मंत्रालय ने कहा कि तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के कुल 2,765 मामलों में से 2,679 के वीजा (जिनमें नौ ओसीआई कार्ड धारक हैं) पहले ही निरस्त किए जा चुके हैं.
इसमें कहा गया, ‘तबलीगी जमात के 47 सदस्य नेपाली नागरिक हैं, जिनके पास कोई वीजा नहीं है. बाकी 39 मामलों में वीजा को निरस्त करने पर विचार चल रहा है. इन 39 मामलों में 18 वीजा भारतीय मिशनों ने जारी किए थे और 21 मामलों में पासपोर्ट संख्या संबंधी गलत या अधूरी जानकारी दी गई जो मांगी गई है.’
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना की पीठ कर रही है.
लाइव लॉ के मुताबिक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कहा, ‘यदि कोई उल्लंघन है तो पहले याचिकाकर्ताओं को वापस भेजा जाए. आमतौर पर उल्लंघन की स्थिति में विदेशियों को उनके देश वापस भेजा जाता है.’
इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं कि जिसकी इजाजत पर्यटक वीजा पर नहीं दी गई थी और इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मामला बनता है.
उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट रूप से सीआरपीसी के तहत जांच के दायरे में पाया गया है और उन्होंने फॉरेनर्स एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, जिसके तहत तबलीगी गतिविधि जैसे कार्यों में शामिल होने से पहले उन्हें इजाजत लेनी चाहिए थी.’
वीजा उल्लंघन के अलावा यह भी कहा गया था कि तबलीगी जमात के लोगों ने कोविड-19 महामारी को फैलाया है, जिसके कारण कई लोगों की जिंदगियां खतरे में आ गई हैं.
केंद्र ने कहा, ‘याचिकाकर्ता देश लौटने के लिए मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं. संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए मौलिक अधिकार से ये स्पष्ट है कि देश में रहने, बसने और देश की सीमाओं के किसी भी कोने तक आजाद घूमने का अधिकार सिर्फ भारत के नागरिकों को दिया गया है.’
याचिकाकर्ताओं द्वारा अपना पक्ष दायर किए जाने के बाद मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)