दिल्ली हिंसाः पिंजरा तोड़ कार्यकर्ताओं के ‘नाम’ बताने वाले ने कहा कि उन्हें नहीं जानता

दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ जाफराबाद हिंसा के एक आरोपी शाहरुख ने अपने बयान में पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलीता और नताशा नरवाल का नाम लिया था. शाहरुख ने कहा कि हिंसा में आंखों की रोशनी लगभग खो देने के कारण उसे नहीं पता कि पुलिस ने उससे जिस बयान पर दस्तख़त कराए, उसमें क्या लिखा था.

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24 फरवरी 2020 को मौजपुर क्रासिंग पर उपद्रवी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ जाफराबाद हिंसा के एक आरोपी शाहरुख ने अपने बयान में पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलीता और नताशा नरवाल का नाम लिया था. शाहरुख ने कहा कि हिंसा में आंखों की रोशनी लगभग खो देने के कारण उसे नहीं पता कि पुलिस ने उससे जिस बयान पर दस्तख़त कराए, उसमें क्या लिखा था.

New Delhi: Protestors vandalize a car during a clash between a group of anti-Citizenship Amendment Act protestors and supporters of the new citizenship act, at Maujpur crossing, in northeast Delhi, Monday, Feb. 24, 2020. (PTI Photi) (PTI2_24_2020_000165B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा के दौरान दंगा और हत्या के एक मामले के 24 वर्षीय आरोपी कार मैकेनिक शाहरुख खान का कहना है कि उन्होंने पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलीता और नताशा नरवाल का नाम भी नहीं सुना है.

ज्ञात हो कि दिल्ली हिंसा मामले में कथित भूमिका के लिए देवांगना और नताशा पर भी मामला दर्ज किया गया है.

शाहरुख का बयान इसलिए अहम है क्योंकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि शाहरुख ने अपने इकबालिया बयान में कलीता और नरवाल का नाम लिया था.

पुलिस के मुताबिक, दिल्ली दंगों में शाहरुख बुरी तरह से घायल हो गए थे और एक आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी जबकि दूसरी आंख से देखने की क्षमता 90 फीसदी तक खत्म हो गई है.

दिल्ली के जाफराबाद दंगे मामले में शाहरुख आरोपी हैं. जाफराबाद में हुई हिंसा में 18 साल के अमान की हत्या हो गई थी. इस मामले में दो जून को दर्ज पुलिस की चार्जशीट में शाहरुख नामजद 12 आरोपियों में से एक हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शाहरुख का कहना है कि घटना के दिन उसकी छुट्टी थी और दोपहर के समय वह घर से बाहर निकला था.

शाहरुख ने कहा, ‘मैं पैदल जा रहा था, मैंने एक जनाजा जाते देखा और उसमें शामिल हो गया. हम जाफराबाद में एक स्कूल के पास पहुंचे ही थे कि दूसरी तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गई, फिर हमारी तरफ से भी लोगों ने जवाब में पत्थर फेंके. मैं भी इसमें शामिल हो गया.’

शाहरुख का कहना है कि उन्हें बुलेट के छर्रे लगे और वह सड़क पर गिर गए, जिसके बाद पहले पास के एक अस्पताल ले जाया गया और बाद में लोकनायक अस्पताल. वहां से गुरुनानक आई सेंटर रेफर किया गया, जहां चार-पांच दिन उनका इलाज चला.

शाहरुख की एक आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई जबकि दूसरी आंख से बेहद कम दिखता है. शाहरुख और उनके परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ बर्बरता की और पूछताछ के समय न पीटे जाने का आश्वासन देकर उनसे जबरन 10,000 रुपये वसूल किये.

कथित तौर पर खान से प्राप्त एक बयान में पुलिस का यह दावा है कि शाहरुख ने बताया कि मोहम्मद फैजान, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, सुहासिनी, गुल और अन्य इस हमले में शामिल थे. शाहरुख और उसका परिवार इससे इनकार कर रहा है.

शाहरुख का कहना है कि पुलिस ने जबरन उससे एक बयान पर हस्ताक्षर कराए, जिसे वह पढ़ भी नहीं सका क्योंकि उनकी आंखों की रोशनी लगभग चली गई है और उनकी मां, जो उस समय उनके साथ थीं, पढ़ना-लिखना नहीं जानती हैं.’

शाहरुख का कहना है, ‘हमें नहीं पता कि पुलिस ने बयान में क्या लिखा था.’

यह एक अकेला ऐसा उदहारण नहीं है, जहां दिल्ली दंगों से जुड़े मामले के बयानों को लेकर कोई विसंगति सामने आई हो.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे लगभग 12 बयान हैं, जिनमें से नौ बयान लगभग एक जैसे हैं. ये बयान सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए हैं और 20 साल के वेटर दिलबर नेगी की हत्या से जुड़े हैं.

दिल्ली दंगा मामले में 26 फरवरी को नेगी की हत्या कर दी गई थी और उसका क्षत-विक्षत जला हुआ शव शिव विहार की एक मिठाई की दुकान से मिला था, जहां वह काम करता था.

अखबार  के मुताबिक, ऐसे कई बयान हैं, जो बिल्कुल एक जैसे हैं. उदाहरण के तौर पर सीलमपुर दंगों में आजाद (24) राशिद-मोनू (20), अशरफ अली (29) और मोहम्मद फैजल (20) के बयान एक जैसे हैं.

आजाद ने अपने इकबालिया बयान में कथित तौर पर कहा है, ‘बीते कुछ दिनों में सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहे थे. मेरे दोस्तों ने मुझे बताया कि जिन लोगों के पास देश की नागरिकता के सबूत नहीं होंगे, उन्हें देश से निष्कासित कर दिया जाएगा. इसके आधार पर 24 फरवरी को सीलमपुर में दंगों की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे ये पूरे जमुना पार में फैल गए. 24 फरवरी को दोपहर लगभग दो या तीन बजे कई लोग शिव विहार तिराहे पर जुटना शुरू हुए और हिंदुओं के घरों पर पथराव करना शुरू कर दिया. हिंदुओं ने भी हमने पर पथराव किया. यह लंबे समय तक चलता रहा.’

पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, मोनू का बयान भी कुछ यही कहता है. जाफराबाद दंगों से जुड़े मामलों में अन्य आरोपियों मोहम्मद शोएब (22) और शाहरुख (24) के बयान भी ऐसे ही हैं.