केंद्र सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति देने के विरोध में कोल इंडिया के मज़दूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की है. सरकार ने इस क़दम से देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की इजाजत देने के विरोध में कोल इंडिया के मजदूर संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रही.
ट्रेड यूनियन के एक नेता का कहना है कि यह हड़ताल 100 फीसदी शांतिपूर्ण है.
कोल इंडिया की भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित पांच श्रमिक यूनियनें वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के फैसले के विरोध में गुरुवार से हड़ताल पर हैं.
हिंद मजदूर संघ से संबद्ध हिंद खदान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष नाथूलाल पांडे ने बताया, ‘यह तीन दिवसीय की हड़ताल 100 प्रतिशत शांतिपूर्ण रही है. यह अपने-आप में एक सफलता है.’
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जो कोयला खदानें बंद थीं, उनका शनिवार को भी परिचालन बंद है.
इंटक समर्थित इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडेरेशन के महासचिव एसक्यू जामा ने कहा कि हड़ताल अभी जारी है.
उन्होंने कहा, ‘करीब 80 फीसदी श्रमिक हड़ताल में शामिल हैं. हड़ताल से 75 से 80 फीसदी कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है.’
उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर प्रबंधन अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) या बाहरी श्रमिकों से काम शुरू करवाने का प्रयास कर रहा है लेकिन पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं.
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने कहा, ‘पिछले दो दिन की तुलना में शनिवार को हड़ताल में अधिक मजदूर शामिल हुए.’
सेन ने कहा, ‘सभी ट्रेड यूनियनें निजी कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक खनन के खिलाफ हैं. हम आने वाले दिनों में भी इसका विरोध जारी रखेंगे.’
वहीं, कोयला इंडिया ने हड़ताल कर रहे मजदूरों से काम पर लौटने की अपील की है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोल इंडिया के सीएमडी प्रमोद अग्रवाल ने कहा, ‘देश में कोविड-19 की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर विचार करते हुए कोल इंडिया और मैं आपसे राष्ट्रहित में काम पर लौटने की अपील करता हूं.’
उन्होंने अपनी अपील में कहा कि कोयला मंत्री ने उनकी मांगों पर विचार करते हुए आश्वासन दिया है कि कोल इंडिया के निजीकरण और कोल इंडिया से सीएमपीडीआईएल को अलग करने का सवाल ही नहीं उठता.
उन्होंने कहा, ‘इसका मौजूदा और भावी रोजगार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा और कोल इंडिया का कोई भी कोयला ब्लॉक वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए नहीं दिया जाएगा.’
यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जो घरेलू कोयला उत्पादन का 80 फीसदी से अधिक है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जून को 41 कोयला ब्लॉक के वाणिज्यिक खनन को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इस कदम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.
इसके बाद कोयला क्षेत्र से जुड़े श्रमिक संगठनों ने सरकार के फैसले के विरोध में कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) में दो जुलाई से तीन दिन की देशव्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय करते हुए बारे में नोटिस दिया था.
श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों में कोयला खदानों में वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी पर रोक, कोल इंडिया की परामर्श इकाई सीएमपीडीआईएल के कंपनी से अलगाव पर रोक, संविदा कर्मचारियों को उच्च शक्ति प्राप्त समिति द्वारा तय वेतन को देना और एक जनवरी 2017 से 28 मार्च 2018 के बीच सेवानिवृत्त लोगों के लिए ग्रेच्युटी राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाना शामिल है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)