जेएनयू के एक पीएचडी छात्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि लॉकडाउन से कुछ दिन पहले ही वो अपनी पत्नी के साथ एक फील्ड-वर्क पर गए थे. वापस लौटने पर विश्वविद्यालय प्रबंधन उन्हें दोबारा हॉस्टल में रहने की अनुमति नहीं दे रहा था.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा दंपति को राहत देते हुए उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के हॉस्टल में फिर से रहने की इजाजत दे दी. दंपति ने खाप पंचायत की इच्छा के विरुद्ध जाकर शादी की थी.
जस्टिस नाजमी वजीरी की एकल पीठ ने विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए आश्वासन को स्वीकार किया कि विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दंपति को शर्तों के साथ हॉस्टल में फिर से रहने की इजाजत दी जाएगी.
याचिकाकर्ता एक पीएचडी छात्र हैं और उन्होंने दलील दी थी कि वे पिछले पांच सालों से अपनी पत्नी के साथ जेएनयू के शादीशुदा लोगों के लिए निर्धारित हॉस्टल में रह रहे थे. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से कुछ ही दिन पहले वे अपनी पत्नी के साथ कुछ फील्ड-वर्क के लिए बाहर गए थे. हाल में जब वे वापस लौटे तो उन्हें हॉस्टल में घुसने से मना कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि कॉलेज ने उन्हें उनके खुद के सामान को लेने और पिछले कुछ सालों से रहने की एकमात्र जगह में जाने से मना कर दिया था.
लाइव लॉ के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने खाप पंचायत और परिवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर शादी की है, इसलिए उनके पास अपने पैतृक घर लौटने का कोई रास्ता नहीं है.
इसे लेकर विश्वविद्यालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने फील्ड-वर्क पर जाने से पहले संस्थान को कोई सूचना नहीं दी थी. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को हॉस्टल में रहने की समयसीमा को पहले ही बढ़वाना चाहिए था.
इसे लेकर कोर्ट ने कहा कि हॉस्टल याचिकाकर्ता के रहने का एकमात्र स्थान है और इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है.
पीठ ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि वे किसी फील्ड-वर्क पर गए थे, उन्हें पुन: प्रवेश से इनकार नहीं किया जा सकता है. उनके लिए कहीं और रहने की कोई जगह नहीं है और खासकर महामारी जैसी स्थिति में याचिकाकर्ता को किसी अन्य जगह पर रहने के लिए घर मिलना संभव नहीं है. उन्हें आवंटित किए गए आवास में रहने से मना नहीं किया जाना चाहिए.’
कोर्ट की बातों को संज्ञान में लेते हुए विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए वकील ने संस्थान से निर्देश प्राप्त किए और कहा कि विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ता के मामले पर पुनर्विचार किया है और उनकी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें और उनकी पत्नी को हॉस्टल में फिर से एंट्री दी जाएगी.