असम: कोविड वार्ड में लगातार 11 दिन ड्यूटी देने के आदेश के विरोध में आए डॉक्टर्स

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच असम सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर कहा है कि पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था किए बिना बेड बढ़ाना एक निरर्थक कवायद होगी. अगर उचित योजना नहीं बनाई गई, तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.

(फोटो: पीटीआई)

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच असम सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर कहा है कि पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था किए बिना बेड बढ़ाना एक निरर्थक कवायद होगी. अगर उचित योजना नहीं बनाई गई, तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.

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गुवाहाटी: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की असम शाखा ने कोविड-19 स्थिति के प्रबंधन के लिए हाल में नीतियों में किए गए बदलाव पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दावा किया कि उनका पालन करना मुश्किल है और वे किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेंगे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, डॉक्टरों के संगठन ने स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को बेहद सख्त शब्दों में पत्र लिखकर उसने यह भी जानना चाहा है कि मरीजों का इलाज करते समय बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित क्यों हुए?

इस संबंध में शर्मा और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पीटीआई के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.

उचित संख्या में डॉक्टरों का इंतजाम किए बिना अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ाने और कोविड वार्ड में स्वास्थ्यकर्मियों की लगातार 11 दिन ड्यूटी लगाने जैसे सरकार के फैसलों पर संगठन ने शर्मा से अनुरोध किया कि वे महामारी से लड़ने में उचित योजना बनाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुभवी पेशेवरों को विश्वास में लें.

बता दें कि जून के अंत में असम में कोविड-19 के मामलों में अचानक बढ़ोतरी के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली असम की गठबंधन सरकार ने कई नियमों में बदलाव किया है.

पत्र में कहा गया, ‘स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों को लगातार 11 दिन कोविड वार्ड में ड्यूटी में लगाने और कोरोना निगेटिव आने पर दोबारा ड्यूटी से पहले केवल तीन क्वारंटीन में रहने जैसे सरकार के कदम का आईएमए सख्त विरोध करता है.’

पत्र में कहा गया कि ज्यादातर केंद्रों में एयर कंडीशनिंग के बिना गर्मियों में पीपीई किट पहननकर 11 दिनों तक लगातार कोविड वार्डों में काम करना स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बहुत कष्टदायी और थका देने वाला होगा. आईएमए ने आशंका जताई कि यह फैसला फ्रंटलाइन कर्मियों को हतोत्साहित करेगा.

पत्र में आईएमए ने दावा किया, ‘पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था किए बिना अस्पताल के बिस्तर बढ़ाना एक निरर्थक कवायद होगी क्योंकि हमारे पास डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की बहुत सीमित संख्या है और वर्तमान में कोविड-19 रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. अगर उचित योजना नहीं बनाई गई तो सरकार के लिए हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.’

आईएमए ने कोविड ड्यूटी में लगे स्वास्थ्य कर्मचारियों की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट पर करने के सरकार के फैसले पर भी आपत्ति जताई. आईएमए ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान(आईसीएमआर) ने कहा है कि इस टेस्ट से निगेटिव परीणाम आने पर कोविड की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है और आरटी-पीसीआर टेस्ट से पुष्टि की आवश्यकता होती है.

असम आईएमए अध्यक्ष डॉ. सत्यजीत बोरा ने पत्र में दावा किया कि इस तरह के अनियोजित और असंवेदनशील कदम स्वास्थ्यकर्मियों को और अधिक खतरे में डाल देंगे.

पत्र में आईएमए ने कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के साथ करने वाले इतने सारे स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों के संक्रमित होने की सरकार से समीक्षा की मांग की.

बोरा ने पीटीआई को बताया कि राज्य के करीब 60 डॉक्टर कोरोना संक्रमित हैं जबकि ऐसा कोई भी आंकड़ा पैरामेडिकल और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपलब्ध नहीं है.

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