दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाख़िल कर दावा किया गया था कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली में आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को एक दिन में तीन वक़्त का गुणवत्ता वाला भोजन नहीं दिया रहा. साथ ही उन्हें साबुन, सैनेटाइज़र तथा अन्य ज़रूरी वस्तुएं भी नहीं दी जातीं.
नई दिल्ली: दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसने आप सरकार के निर्देश पर दो जुलाई से अपने विभिन्न आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को भोजन देना बंद कर दिया है.
डीयूएसआईबी ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी.
जनहित याचिका में दावा किया गया था कि दिल्ली में आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को एक दिन में तीन वक्त का गुणवत्ता वाला भोजन नहीं दिया जाता और उन्हें कोई साबुन, सैनेटाइजर तथा अन्य जरूरी वस्तुएं भी नहीं दी जातीं.
बोर्ड की दलील पर पीठ ने कहा कि लोग आश्रय गृहों में रह रहे हैं और क्या उन्हें भोजन नहीं दिया जाना चाहिए.
पीठ ने डीयूएसआईबी और दिल्ली सरकार से कहा, ‘कुछ किया जाना चाहिए. कोई समाधान निकालिए.’ पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख तय की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली के सराय काले खां स्थित एक आश्रय गृहों में रहने वाली एक महिला ने याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार ने 28 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आश्रय गृहों में एक दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
याचिका में दावा किया गया है कि अधिसूचना के अनुसार, ‘आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को एक दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिसके लिए प्रति दिन प्रति बेघर 100 रुपये की राशि खर्च की जा सकती है.’
याचिका में आरोप लगाया गया कि उपर्युक्त अधिसूचना का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए डीयूएसआईबी आश्रय गृहों में लोगों को सिर्फ दोपहर और रात को केवल 20-20 रुपये का भोजन प्रदान कर रहा था.
इसमें यह भी आरोप लगाया है कि खाने की गुणवत्ता खराब है और न्यूनतम मानक के नीचे है. खाने में केवल सादा चावल और दाल उपलब्ध कराया जा रहा है जो कि बाजार में उपलब्ध न्यूनतम गुणवत्ता के होते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)