कृषक मुक्ति संग्राम समिति नेता अखिल गोगोई के ख़िलाफ़ असम पुलिस ने 12 मामले दायर किए हैं, जिसमें यूएपीए के तहत दर्ज मामले भी शामिल हैं. गोगोई को बीते साल सीएए के ख़िलाफ़ हुए हिंसक प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका के लिए एनआईए ने गिरफ़्तार किया था.
नई दिल्ली: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने किसान नेता और असम के जाने-माने कार्यकर्ता अखिल गोगोई को बीते गुरुवार को तीन मामलों में जमानत दे दी.
विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में राज्य के छाबुआ पुलिस थाने द्वारा ये मामले दायर किए गए थे.
गोगोई इस समय जेल में बंद हैं और पिछले हफ्ते ही वो कोरोना संक्रमित पाए गए थे. आरोप है कि जेल प्रशासन उनकी देखभाल नहीं कर रहा है और उचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं.
असम पुलिस ने कार्यकर्ता के खिलाफ 12 मामले दायर किए हैं, जिसमें से तीन में जमानत मिली है. गोगोई के खिलाफ माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में भी केस दर्ज किए गए हैं.
उनके वकील के अनुसार अखिल गोगोई के खिलाफ आईपीसी की धारा 144, 143, 148, 153, 153 (ए), 153 (बी) के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम (पीडीपीपीए) की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए हए हैं.
चांदमारी और छाबुआ पुलिस थाने द्वारा दायर किए गए दो मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ले लिया है और आरोपों में कठोर यूएपीए कानून के तहत भी आरोप जोड़ दिए गए हैं.
गोगोई की पत्नी गीताश्री तामुली ने कहा कि वह एनआईए के दो मामलों को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने द वायर से कहा, ‘जमानत मिलने से थोड़ी राहत मिली है लेकिन संघर्ष अभी जारी है. एनआईए द्वारा दर्ज किए गए मामलों में माओवादियों से संबंध रखने से लेकर छाबुआ विधायक का घर जलाने तक के आरोप हैं.’
पिछले साल 12 दिसंबर को गोगोई को जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. उस समय राज्य की भाजपा सरकार ने खिलाफ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन तेजी से फैल रहा था.
गोगोई की गिरफ्तारी के बाद किसान मुक्ति संघर्ष समिति (केएमएसएस) के अन्य नेताओं धरज्या कोंवर, बिट्टू सोनोवाल, और मानस कोंवर को भी एनआईए द्वारा यूएपीए के तहत ‘देश के खिलाफ जंग’ शुरू करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
गोगोई पर गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होकर दंगा भड़काने, घातक हथियारों से लैसे होने, भड़काऊ भाषण देने, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कई आरोप लगाए गए थे.