सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामले में विनोद दुआ पर दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बढ़ाई

हिमाचल प्रदेश के एक भाजपा नेता ने विनोद दुआ पर एक शो के माध्यम से फ़र्ज़ी सूचनाएं फैलाने और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. दुआ के ख़िलाफ़ राजद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने जैसे आरोपों में केस दर्ज किया गया है.

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(फोटो: द वायर)

हिमाचल प्रदेश के एक भाजपा नेता ने विनोद दुआ पर एक शो के माध्यम से फ़र्ज़ी सूचनाएं फैलाने और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. दुआ के ख़िलाफ़ राजद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने जैसे आरोपों में केस दर्ज किया गया है.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के मामले में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ को उनके यूट्यूब के एक कार्यक्रम को लेकर हिमाचल प्रदेश पुलिस की किसी दंडात्मक कार्रवाई से मिले संरक्षण की अवधि सोमवार को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी.

दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में भाजपा के एक स्थानीय नेता ने देशद्रोह का मामला दर्ज कराया है. 

जस्टिस उदय यू. ललित और विनीत सरन की पीठ ने कहा कि विनोद दुआ को इस मामले में हिमाचल प्र्रदेश पुलिस द्वारा पूछे जा रहे किसी भी पूरक प्रश्न का जवाब देने की जरूरत नहीं है. पीठ ने इस मामले को अब 27 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

लाइव लॉ के मुताबिक हिमाचल पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल दी.

मेहता ने एक या दो दिन के लिए स्थगन मांगा था, लेकिन पीठ ने कहा कि चूंकि इस पूरे हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामले सूचीबद्ध हैं, इसलिए इसकी सुनवाई अगले सोमवार को होगी.

बीते सात जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच रिपोर्ट नहीं सौंपने के कारण हिमाचल प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई थी और निर्देश दिया था कि एक हफ्ते के भीतर पुलिस सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट जमा कराए.

न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा था कि जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यदि कोर्ट को पत्रकार की दलीलें सही लगती हैं तो न्यायालय सीधे एफआईआर खारिज कर देगी.

आज (सोमवार) जब सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने मामले को टालने के लिए कहा तो दुआ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किल से सवाल पर सवाल पूछा जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है माई लॉर्ड. हमसे सवाल पर सवाल पूछे जा रहे हैं. यदि सॉलिसिटर मामले को टालना चाहते हैं तो मैं इस पर रोक लगाने की मांग करता हूं. आपने कई मामलों पर रोक लगाई है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि जब अन्य मामलों पर रोक लगाई जा सकती है तो इस पर क्यों नहीं? हमारे सिर पर तलवार लटकाकर उन्हें क्या मिल रहा है?’

भाजपा के स्थानीय नेता अजय श्याम की शिकायत पर छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक क्षति करने जैसे आरोपों में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

पुलिस ने विनोद दुआ को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था. अजय श्याम का आरोप है कि विनोद दुआ ने अपने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पर वोट हासिल करने के लिए मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.

भाजपा नेता ने दुआ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ‘द विनोद दुआ शो’ के माध्यम से ‘फर्जी सूचनाएं’ फैलाई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है.

शीर्ष अदालत ने इस मामले को लेकर विनोद दुआ की याचिका पर 14 जून को रविवार के दिन सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक उन्हें गिरफ्तार करने से हिमाचल प्रदेश पुलिस को रोक दिया था.

न्यायालय ने सात जुलाई को विनोद दुआ को प्राप्त संरक्षण की अवधि पहले 15 जुलाई तक और फिर 20 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी थी.

दुआ ने अपनी याचिका में उनके खिलाफ प्राथमिकी निरस्त करने और उन्हें परेशान करने के कारण जुर्माना लगाने का अनुरोध न्यायालय से किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)