कक्षा 12 की एनसीईआरटी राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव

एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर की अलगाववादी राजनीति से जुड़ी जानकारियों को हटा दिया है, जबकि चुनावी राजनीति और राज्य के विशेष दर्ज़े को ख़त्म किए जाने संबंधी पाठ को शामिल कर लिया गया है.

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(फोटो साभार: एनसीईआरटी)

एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर की अलगाववादी राजनीति से जुड़ी जानकारियों को हटा दिया है, जबकि चुनावी राजनीति और राज्य के विशेष दर्ज़े को ख़त्म किए जाने संबंधी पाठ को शामिल कर लिया गया है.

एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किबात में 'क्षेत्रीय आकांक्षाएं' नाम से जोड़ा गया नया अध्याय. (फोटो: hindi.aglasem.com)
एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किबात में ‘क्षेत्रीय आकांक्षाएं’ नाम से जोड़ा गया नया अध्याय. (फोटो: hindi.aglasem.com)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में एक अध्याय को बदल दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर की अलगाववादी राजनीति की जगह पर चुनावी राजनीति और राज्य के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने से संबंधित विषय को शामिल कर लिया गया है.

जम्मू कश्मीर राज्य के दर्जे को केंद्र शासित प्रदेश में बदले जाने को ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ नामक राजनीतिक विज्ञान की किताब में ‘क्षेत्रीय आकांक्षाएं’ अध्याय में शामिल किया गया है.

बता दें कि पिछले साल पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था. इसके साथ ही पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- लद्दाख और जम्मू कश्मीर, में बांट दिया गया था.

कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की किताब में से जम्मू कश्मीर में विभिन्न तरह की अलगाववादी राजनीति को पेश करने वाले अध्याय ‘अलगाववाद और उसके बाद’ को हटा दिया गया है.

हटाए गए हिस्से में कहा गया था, ‘1989 से कश्मीर में सामने आने वाली अलगाववादी राजनीति ने अलग-अलग रूप धारण किए हैं और इसमें कई तरह के हितधारक शामिल हैं. अलगाववादियों का एक हिस्सा भारत और पाकिस्तान से स्वतंत्र अलग कश्मीरी राष्ट्र के चाहने वाले हैं. फिर ऐसे समूह हैं जो चाहते हैं कि कश्मीर का पाकिस्तान में विलय हो.’

इसमें कहा गया था, ‘इनके अलावा तीसरा धड़ा है जो भारतीय संघ के भीतर राज्य के लोगों के लिए अधिक स्वायत्तता चाहता है. स्वायत्तता का विचार जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के लोगों को एक अलग तरीके से आकर्षित करता है. वे अक्सर उपेक्षा और पिछड़ेपन की शिकायत करते हैं, इसलिए राज्य की स्वायत्तता की मांग उतनी ही मजबूत है.’

हटाए गए अध्याय में आगे कहा गया था कि शुरुआत में उग्रवाद को समर्थन मिला था, लेकिन उसने अब शांति के लिए आग्रह किया है और केंद्र ने विभिन्न अलगाववादी समूहों के साथ बातचीत शुरू कर दी है.

उपर्युक्त हिस्से को अब नए टॉपिक ‘2002 और उसके बाद’ से बदल दिया गया है जो 2002 में लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई पीडीपी और कांग्रेस, 2009 में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस और 2014 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के बारे में बात करता है.

इसके बाद अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का उल्लेख करते हुए कहा जाता है, ‘महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद, बाहरी और आंतरिक तनाव के प्रमुख कार्य देखे गए. जून 2018 में भाजपा द्वारा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख- में बांट दिया गया.’

इसमें आगे कहा गया, ‘अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जे के बावजूद जम्मू कश्मीर में हिंसा, सीमा पार आतंकवाद और आंतरिक और बाहरी प्रभाव के साथ राजनीतिक अस्थिरता की घटनाएं देखने को मिलीं. इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली गई, जिसमें निर्दोष नागरिक, सुरक्षाकर्मी और आतंकवादी शामिल थे. इसके अलावा कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर विस्थापन भी हुआ.’

अध्याय में अब संयुक्त राष्ट्र के 1948 के प्रस्ताव का जिक्र है जिसने जम्मू कश्मीर में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत संग्रह की सिफारिश की थी.

इसके अलावा एनसीईआरटी ने कश्मीर में शांति पर एक राजनीतिक कार्टून भी हटा दिया है जिसमें गोलियों से छलनी एक कबूतर को दर्शाया गया था.

फारूक अब्दुल्ला की सरकार की बर्खास्तगी पर पूर्व जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बीके नेहरू का एक उद्धरण भी अब अध्याय में नहीं है. बीके नेहरू ने कहा था कि कश्मीरी अब अपने चुने हुए नेता (1984 में) को दूसरी बार सत्ता से हटाने पर आश्वस्त थे कि भारत कभी भी उन्हें खुद पर शासन करने की अनुमति नहीं देगा.

बता दें कि एनसीईआरटी की किताबें सीबीएसई से संबंधित सभी स्कूलों में इस्तेमाल की जाती हैं. 19 स्कूली प्रणालियों (बोर्ड और एससीईआरटी) में से 14 ने इन किताबों को अपना लिया है.