सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
नई दिल्ली: एक सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली में सर्वेक्षण में शामिल किए गए लोगों में से करीब 23 प्रतिशत कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं. केंद्र सरकार ने यह जानकारी मंगलवार को दी.
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि शेष 77 प्रतिशत लोगों के लिए अब भी विषाणुजनित बीमारी का जोखिम है और रोकथाम के उपाय समान कठोरता के साथ जारी रहने चाहिए.
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एनसीडीसी द्वारा दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच किया गया अध्ययन यह भी दिखाता है कि बड़ी संख्या में संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण नहीं थे. इस अध्ययन में 21,387 नमूने शामिल किए गए.
सिंह ने कहा, ‘एलिसा जांच किट की संवेदनशीलता और विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए, आंकड़े समायोजित किए गए और यह दिल्ली में 22.86 प्रतिशत पाया गया. इसे ही सही आंकड़ा माना जाना चाहिए. कुल 11 जिलों में 20 प्रतिशत से अधिक सीरो-प्रीवलेंस हैं.’
उन्होंने कहा कि सीरो-निगरानी इसलिए की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि दिल्ली की कुल आबादी में कितने अनुपात में लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं और प्रत्येक जिले से लिए गए नमूनों की संख्या उस क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले दिन में एक बयान में कहा, ‘सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि औसतन पूरी दिल्ली में आईजीजी एंटीबॉडी की मौजूदगी 23.48 प्रतिशत है. यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि कई संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं थे.’
सिंह ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों को साझा करते हुए कहा कि इसमें पता चला कि राष्ट्रीय राजधानी के 11 जिलों में से आठ में 20 प्रतिशत से अधिक आबादी के शरीर में कोविड-19 से लड़ने वाली एंटीबॉडी थीं.
उन्होंने कहा, ‘इसका अर्थ है कि वैश्विक महामारी के करीब छह माह के प्रसार के दौरान, दिल्ली में केवल 22.86 प्रतिशत लोग ही प्रभावित हुए जबकि शहर में घनी आबादी वाले कई इलाके हैं.’
मंत्रालय ने इसका श्रेय संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन, नियंत्रण एवं निगरानी के उपाय, संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने समेत सरकार द्वारा किए गए अन्य प्रयासों तथा कोविड के संदर्भ में नागरिकों के उचित व्यवहार को दिया.
मंत्रालय ने कहा कि शारीरिक दूरी, मास्क या कवर का इस्तेमाल, हाथों की स्वच्छता और भीड़-भाड़ वाली जगह से बचने जैसे कदमों का सख्ती से पालन करना होगा.
दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमें गठित की गई थीं. चयनित व्यक्तियों से उनकी लिखित सहमति लेने के बाद रक्त के नमूने लिए गए और उनके सीरम में आईजीजी एंटीबॉडी तथा संक्रमण की जांच की गई.
इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा स्वीकृत कोविड कवच एलिसा का इस्तेमाल किया गया.
दिल्ली में सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किए जाने का फैसला नीति आयोग में स्वास्थ्य एवं पोषण इकाई के प्रमुख डॉ. वीके पॉल की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने की.
इसमें एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और एनसीडीसी एवं दिल्ली सरकार के विशेषज्ञ शामिल थे.
राजधानी के दक्षिण-पूर्वी जिले में सीरो उपलब्धता 22.12 प्रतिशत, शाहदरा में 27.61, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 23.31, नई दिल्ली में 22.87, मध्य दिल्ली में 27.86, दक्षिण-पश्चिमी में 12.95, उत्तर-पूर्वी जिले में 27.7, पूर्वी दिल्ली में 23.9, उत्तरी दिल्ली में 25.26, दक्षिणी दिल्ली में 18.61 और पश्चिमी दिल्ली में सीरो उपलब्धता 19.13 प्रतिशत पाई गई.
नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने कहा, ‘क्योंकि एंटीबॉडीज बनने में लगभग 14 दिन लगते हैं, इसलिए अध्ययन दिल्ली की जून के तीसरे सप्ताह (महीने के 18वें और 19वें दिन) की तस्वीर दिखाता है जब संक्रमण के मामले तेज गति से बढ़ रहे थे.’
दिल्ली में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,349 नए मामले सामने आए जिससे शहर में कुल मामलों की संख्या 1.25 लाख से अधिक हो गई. राजधानी में महामारी की वजह से 3,690 लोगों की मौत हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इससे पहले आईसीएमआर ने एक प्रारंभिक सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन 21 राज्यों के 83 जिलों में किया गया था.
विशेषज्ञों की समीक्षा के लिए भेजे गए इस सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन के शुरुआती परिणामों से पता चला कि 0.73 फीसदी आबादी संक्रमित हो सकती है जिसमें शहरी आबादी की संख्या 1.09 फीसदी है.
आईसीएमआर ने कहा है कि वह जल्द ही देशभर में एक सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन करेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)