असम: तेल के कुएं में क़रीब दो महीने से लगी आग में फिर हुआ विस्फोट, तीन विदेशी विशेषज्ञ घायल

असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान गांव में 27 मई को ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक तेल के कुएं में हुए ब्लोआउट के बाद इससे अनियंत्रित तरीके से गैस रिसाव शुरू हुआ था. इसमें नौ जून को आग लग गई थी, जिस पर अब तक क़ाबू नहीं पाया जा सका है.

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(फोटो: पीटीआई)

असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान गांव में 27 मई को ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक तेल के कुएं में हुए  ब्लोआउट के बाद इससे अनियंत्रित तरीके से गैस रिसाव शुरू हुआ था. इसमें नौ जून को आग लग गई थी, जिस पर अब तक क़ाबू नहीं पाया जा सका है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

तिनसुकिया/डिब्रूगढ़: असम के तिनसुकिया जिले में ऑयल इंडिया लिमिटेड (ऑयल) के बाघजन कुएं के पास बुधवार को भीषण विस्फोट हुआ जिसमें एक माह से भी ज्यादा वक्त से कुंए में लगी आग को बुझाने के काम में लगे तीन विशेषज्ञ घायल हो गए.

ऑयल के प्रवक्ता त्रिदीप हजारिका ने बताया कि ऑयल इंडिया के कुएं नंबर 5 के पास विस्फोट हुआ है। इस दौरान वहां तीन विदेशी विशेषज्ञ मौजूद थे, जो इस घटना में घायल हो गए हैं।

ऑयल इंडिया लिमिटेड के जनसंपर्क मामलों के वरिष्ठ प्रबंधक जयंत बोरमुदोई ने बताया कि विशेषज्ञों को डिब्रूगढ़ के एक अस्पताल ले जाया गया है.

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों की पहचान एंथनी स्टीवन रेनॉल्ड्स, डग डलास और क्रेग नील डंकेन के रूप में की गई है.

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ कुएं की आग को बुझाने के काम में लगे थे उसी वक्त विस्फोट हुआ.

गौरतलब है कि 27 मई को राजधानी गुवाहाटी से करीब 450 किलोमीटर दूर तिनसुकिया जिले के बाघजान गांव में ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक तेल के कुएं में विस्फोट (ब्लोआउट) हो गया था, जिसके बाद इस कुएं से अनियंत्रित तरीके से गैस रिसाव शुरू हुआ था.

ब्लोआउट वह स्थिति होती है, जब तेल और गैस क्षेत्र में कुएं के अंदर दबाव अधिक हो जाता है और उसमें अचानक से विस्फोट के साथ और कच्चा तेल या प्राकृतिक गैस अनियंत्रित तरीके से बाहर आने लगते हैं.

कुएं के अंदर दबाव बनाए रखने वाली प्रणाली के सही से काम न करने से ऐसा होता है. इसके बाद नौ जून को यहां भीषण आग लग गई, जिसमें दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई थी.

तबसे देश और विदेश के तमाम विशेषज्ञों द्वारा इस आग और रिसाव पर काबू पाने के प्रयास किए जा रहे थे. आग लगने की घटना के बाद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे.

तब से यह रिसाव और आग अब तक नियंत्रित नहीं की जा सकी है. बीते हफ्ते ऑयल इंडिया लिमिटेड ने बताया था कि आग पिछले 50 दिन से जारी है और उम्मीद है कि शुक्रवार तक आग पर काबू पा लिया जाएगा.

ऑयल इंडिया लिमिटेड ने एक ट्वीट में बताया था कि कुंआ परिसर से बड़े मलबे को हटा लिया गया है और इस संबंध में ओआईएल, ओएनजीसी, सिंगापुर अलर्ट डिजास्टर कंट्रोल के विशेषज्ञ आगे की योजना तैयार कर रहे है.

तब से यह रिसाव लगातार हो रहा है, जिसके चलते भारी प्राकृतिक नुकसान हो रहा है. आसपास के संवेदनशील वेटलैंड, डिब्रु-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और लुप्त हो रही प्रजातियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

स्थानीय रहवासियों ने बताया था कि उन्होंने पास के मागुरीबिल झील में डॉल्फिंस के शव पड़े देखे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आसपास के गांवों के धान के खेत, तालाब और वेटलैंड प्रदूषित हो चुके हैं और खतरा हर दिन बढ़ रहा है.

गांव वालों ने गैस रिसाव के बाद शुरुआती सप्ताह में बताया था कि उन्हें गैस की महक आ रही है और इस उद्यान में कई जगहों पर तेल फैल चुका है. कई छोटे चाय किसानों ने बताया कि गैस की परतें चाय बागान के ऊपर इकट्ठी हो गई हैं.

इसके बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस आग पर काबू पाने में असफल रहने पर ऑयल इंडिया पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. अधिकरण का कहना है कि कुएं में लगी आग से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है.

ऑयल इंडिया ने पिछले हफ्ते बताया था कि स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन और अवरोधकों की वजह से पिछले कुछ महीनों में उत्पादन में बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है.

बयान में कहा गया कि अब भी बाघजान ईपीएस में प्रदर्शन चल रहा है. इस विरोध की वजह से बागजन ईपीएस के तहत आने वाले चार गैस के कुएं और आठ तेल के कुएं सात जुलाई से ही बंद हैं.

पीएसयू ने यह भी बताया था कि वर्तमान में ईआरएम इंडिया, टेरी और सीएसआईआर-एनआईईएसटी जैसी कई एजेंसियों द्वारा गांवों और आस-पास के वन क्षेत्रों में विस्फोट के विभिन्न आकलन और प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है.

राहत और पुनर्वास प्रक्रिया के बारे में कहा गया था कि जिला प्रशासन द्वारा क्षतिपूर्ति के नुकसान के आकलन के लिए सर्वेक्षण तिनसुकिया और डूमडोमा दोनों क्षेत्रों में जारी है.

तिनसुकिया और डूमडोमा सर्कल दोनों में 14 जुलाई तक कुल सर्वे किए गए परिवारों की संख्या 1,491 है. मई में कुएं में आग लगने और बाद में पिछले महीने 9,000 से अधिक लोगों को 13 राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया था.

ऑयल इंडिया लिमिटेड की ओर से सभी प्रभावित परिवारों को वित्तीय मदद देने की बात कही गई थी.

बुधवार को हुए विस्फोट के बाद बाघजान में आग बुझाने के काम को रोक दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट के कारणों और उसकी प्रकृति के बारे में पता किया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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