भीमा कोरेगांव मामले में 2018 से जेल में बंद 81 वर्षीय वरवरा राव को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद सेंट जॉर्ज अस्पताल से नानावती अस्पताल में शिफ्ट किया गया. परिजनों का कहना है कि अब अस्तपाल ने राव की स्थिति और इलाज संबंधी कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है.
हैदराबाद: एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जेल में बंद कवि वरवर राव के परिवार के सदस्यों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में याचिका दायर कर जेल अधिकारियों और मुंबई के नानावती अस्पताल को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है कि वह उन्हें कोविड-19 से संक्रमित राव के स्वास्थ्य की पारदर्शी ताजा जानकारी मुहैया कराए.
एनएचआरसी में शुक्रवार को दायर याचिका में कहा गया है कि नानावती अस्तपाल ने राव की स्थिति और उनके उपचार के संबंध में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण परिवार को एनएचआरसी के पास जाना पड़ा.
राव के परिवार ने कहा, ‘आज हम आपको यह पत्र लिखने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि नानावती अस्तपाल ने हमें उनकी (राव) स्थिति और उनके उपचार के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है.’
उन्होंने कहा कि जब राव को तालोजा जेल से सेंट जॉर्ज अस्पताल और फिर नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब से उनके परिवार को केवल यह आधिकारिक जानकारी मुहैया कराई गई कि राव कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.
राव के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने से इनकार करना एनएचआरसी के 13 जुलाई के आदेश का सीधा उल्लंघन है. इस आदेश में एनएचआरसी ने जेल प्राधिकारियों को विशेष रूप से आदेश दिया था कि राव को हर प्रकार की चिकित्सकीय सहायता दी जाए और उनके परिवार के सदस्यों को इस बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराई जाए.
परिवार ने अनुरोध किया है कि राव के स्वास्थ्य के बारे में उसे हर छह घंटे में ताजा आधिकारिक जानकारी मुहैया कराई जाए.
कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जाने के बाद से राव (81) का 16 जुलाई से उपचार चल रहा है.
बता दें कि वरवरा राव को 13 जुलाई को चक्कर आने की शिकायत के बाद नवी मुंबई की तलोजा जेल से जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें सेंट जॉर्ज अस्पताल शिफ्ट किया गया.
जेजे अस्पताल में राव से मिलने पहुंचे उनके परिवार के सदस्यों का कहना था कि कथित तौर पर कोई भी डॉक्टर उनका इलाज नहीं कर रहा था.
उनके एक संबंधी ने कहा था, ‘उन्हें ट्रांसिट वार्ड में रखा गया था. उनके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और वह होश में नहीं लग रहे थे, वह अपनी पत्नी और बेटियों को पहचान नहीं पा रहे थे.’
इससे पहले उनके परिजनों ने पिछले दिनों उनसे बात करने के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर करते हुए जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया था.
कोरोना महामारी का हवाला देकर राव की अस्थाई रिहाई के लिए अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई थी, लेकिन विशेष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था.
इस पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता और कवि वरवरा राव जमानत पाने के लिए वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति और अपनी उम्र का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
वरवर राव जून 2018 से जेल में हैं. उन्हें 11 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन सभी पर एक जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. पुलिस का यह भी दावा है कि उनका माओवादियों के साथ संबंध हैं.
उनके परिजनों के साथ ही बीते दिनों इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को पत्र लिखकर अपील की थी कि उन्हें उचित इलाज दिया जाए.
उनका कहना था कि ऐसी बीमारी की अवस्था में राव को जेल में रखने की इजाजत कोई कानून नहीं देता है.
इससे पहले मई में राव को जेल में बेहोश होने के बाद जेजे अस्पताल भर्ती कराया गया था लेकिन तीन दिनों के भीतर ही उन्हें अस्पताल से वापस जेल भेज दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)