भीमा कोरेगांव: अदालत ने डीयू प्रोफेसर हेनी बाबू को सात दिन की हिरासत में भेजा

28 जुलाई को गिरफ़्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के 54 वर्षीय प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को एनआईए में मुंबई की विशेष अदालत में पेश करते हुए दस दिन की हिरासत की मांग की थी.

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मुंबई में एनआईए अधिकारियों के साथ प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी. (फोटो: पीटीआई)

28 जुलाई को गिरफ़्तार किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के 54 वर्षीय प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को एनआईए में मुंबई की विशेष अदालत में पेश करते हुए दस दिन की हिरासत की मांग की थी.

मुंबई में एनआईए अधिकारियों के साथ प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी. (फोटो: पीटीआई)
मुंबई में एनआईए अधिकारियों के साथ प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद मामले के सिलसिले में गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू को एक विशेष अदालत ने बुधवार को चार अगस्त तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बीते 28 जुलाई को 54 वर्षीय हेनी बाबू एमटी  को इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं.

उन्हें बुधवार को मुंबई में एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया गया था. जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि मामले में आरोपी की कथित संलिप्तता के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

एनआईए ने अदालत में कहा कि आरोपी के प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से संबंध हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी के माध्यम से एनआईए ने दस दिनों के लिए हेनी बाबू की हिरासत की मांग करते हुए दावा किया कि केंद्रीय एजेंसी जांच के दौरान जब्त इलेक्ट्रॉनिक सामाग्री से बरामद पत्रों के आधार पर उससे पूछताछ करना चाहती है.

एनआईए ने यह भी दावा किया कि बाबू नक्सल गतिविधियों और नक्सली आंदोलनों के समर्थक थे. एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक सामानों से विभिन्न पत्र बरामद हुए हैं जो इस मामले में उनकी संलिप्तता के संकेत देते हैं.

एनआईए ने उनकी हिरासत यह कहते हुए मांगी थी कि अन्य आरोपियों की जांच के दौरान सामने आए विभिन्न तथ्यों का मिलान करना जरूरी है.

इस मामले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा भी शामिल हैं, जिन्हें अप्रैल में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

हेनी बाबू की तरफ से पेश हुए वकील ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा कि एनआईए द्वारा हेनी बाबू से बीते चार-पांच दिनों से पूछताछ की जा रही थी और इसलिए उन्हें आगे हिरासत में भेजे जाने की जरूरत नहीं है.

विशेष अदालत के न्यायाधीश एटी वानखेड़े ने उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को देखने के बाद पाया कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. अदालत ने आरोपी को सात दिन की एनआईए हिरासत में भेजने का आदेश दिया.

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के शनिवारवाडा में हुए एलगार परिषद के कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है.

पुणे पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र क्रमश: 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी, 2019 को दाखिल किया था.

एनआईए ने इसी साल 24 जनवरी में इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली और अप्रैल में आनंद तेलतुम्बडे और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया.

एनआईए ने कहा कि आगे की जांच में खुलासा हुआ कि हेनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं और गिरफ्तार अन्य आरोपियों के साथ ‘सह-साजिशकर्ता’ हैं.

हालांकि बाबू की पत्नी जेनी रोवेना ने इन आरोपों से इनकार करते हुए इस गिरफ़्तारी को एक ढोंग बताया है और एजेंसी द्वारा हेनी बाबू पर अपने सहयोगियों को फंसाने का दबाव बनाने की बात कही है.

रोवेना का कहना है कि एनआईए से जुड़े सूत्रों का कहना था कि बाबू का रिकॉर्ड बहुत बेदाग है, लेकिन ऐसी संभावना है कि किसी ने उनके लैपटॉप में उन्हें मामले में फंसाने वाली सामग्री प्लांट की हो.

रोवेना ने द वायर  से बात करते हुए कहा था, ‘अधिकारी उनसे (बाबू) लगातार पूछ रहे थे कि क्या उन्हें अपने छात्रों, साथ काम करने वालों या और किसी पर शक है. वे (एनआईए) चाहते थे कि इस मामले में और लोगों को फंसाया जाए.’

 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)