इस मामले में एनआईए ने 28 जुलाई को रोवेना के पति और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ़्तार किया है. सितंबर 2019 में उनके नोएडा स्थित घर पर पुणे पुलिस द्वारा छापेमारी की गई थी.
नई दिल्ली: एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी को गिरफ्तार करने के बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनकी पत्नी डॉ. जेनी रोवेना के घर रविवार को छापा मारा.
रोवेना दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. एनआईए के आठ पुरुष और दो महिलाओं की एक टीम ने सुबह साढ़े सात बजे के करीब रोवेना के नोएडा स्थित घर पर छापा मारा और वहां की तलाशी ली.
रोवेना ने द वायर को बताया कि एजेंसी के लोग करीब 11 बजे उनके घर से गए हैं. उन्होंने कहा, ‘वे अचानक से मेरे घर पर आ गए. मैं और मेरी बेटी अकेले थे. उन्होंने (एनआईए ऑफिसर्स) कहा कि यह सबूत इकट्ठा करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. वे जीएन साईबाबा डिफेंस कमेटी से जुड़े कुछ हार्ड डिस्क और अन्य सामान उठाकर ले गए हैं.’
उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी के लोग मुंबई में विशेष एनआईए कोर्ट द्वारा जारी सर्च वारंट लेकर आए थे.
मिरांडा हाउस की प्रोफेसर ने कहा, ‘मैं दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस से दूर रहती हूं. मैं शायद ही वहां किसी को जानती हूं. मैंने अधिकारियों से कहा कि मैं उन्हें तभी अंदर आने की इजाजत दूंगी जब वे मुझे अपने दोस्तों को इसके बारे में बताने देंगे.’
रोवेना ने बताया कि एनआईए ने जो दस्तावेज जब्त किए हैं वे सभी जीएन साईबाबा डिफेंस कमेटी से जुड़े हुए हैं. ये सभी दस्तावेज सार्वजनिक हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साईंबाबा के समर्थन में आयोजित कई सार्वजनिक प्रदर्शनों और चर्चा के दौरान इन्हें वितरित किया गया है.
मालूम हो कि डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादियों से कथित तौर पर जुड़े होने का दोषी पाया गया है. शारीरिक रूप से 90 फीसदी अक्षम साईबाबा इस समय नागपुर केंद्रीय जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं.
भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद मामले के सिलसिले में पुलिस ने 28 जुलाई को हेनी बाबू को गिरफ्तार किया था,
बाबू जाति के विरोध में मुखर रूप से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं और जीएन साईबाबा डिफेंस कमेटी के सक्रिय सदस्य भी हैं.
कोर्ट ने बाबू को चार अगस्त तक के लिए एनआईए की हिरासत में भेजा है. हेनी बाबू एमटी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार होने वाले बारहवें शख्स हैं.
इससे पहले इस मामले के संबंध में पुणे पुलिस ने सितंबर 2019 में उनके नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की थी. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के शनिवारवाडा में हुए एलगार परिषद के कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है.
पुणे पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र क्रमश: 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी, 2019 को दाखिल किया था.
एनआईए ने इसी साल 24 जनवरी में इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली और अप्रैल में आनंद तेलतुम्बडे और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया.
हेनी बाबू को गिरफ्तार करने के बाद एनआईए ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ कि हेनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं और गिरफ्तार अन्य आरोपियों के साथ ‘सह-साजिशकर्ता’ हैं.
हालांकि बाबू की पत्नी ने इन आरोपों से इनकार करते हुए इस गिरफ़्तारी को एक ढोंग बताया था और एजेंसी द्वारा हेनी बाबू पर अपने सहयोगियों को फंसाने का दबाव बनाने की बात कही थी.
रोवेना का कहना था कि एनआईए से जुड़े सूत्रों का कहना था कि बाबू का रिकॉर्ड बहुत बेदाग है, लेकिन ऐसी संभावना है कि किसी ने उनके लैपटॉप में उन्हें मामले में फंसाने वाली सामग्री प्लांट की हो.
रोवेना ने द वायर से बात करते हुए कहा था, ‘अधिकारी उनसे (बाबू) लगातार पूछ रहे थे कि क्या उन्हें अपने छात्रों, साथ काम करने वालों या और किसी पर शक है. वे (एनआईए) चाहते थे कि इस मामले में और लोगों को फंसाया जाए.’
मालूम हो कि पिछले कुछ सालों में कई अधिकार कार्यकर्ताओं, अकादमिक जगत के लोगों, वकीलों, पत्रकारों इत्यादि के घरों पर पुलिस द्वारा अचनाक छापा मारा गया है और उन्हें ‘अर्बन नक्सल’ करार देकर गिरफ्तार किया गया है.
साल 2018 से पुलिस ने कम से कम 11 ऐसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है और उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने से लेकर कथित माओवादियों के साथ संबंध रखने जैसे आरोप लगाए गए हैं.
शुरू में इन मामलों की जांच महाराष्ट्र की पुणे पुलिस कर रही थी. लेकिन पिछले साल दिसंबर में राज्य में जैसे ही कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की सरकार आई, इस मामले को आनन-फानन में एनआईए को दे दिया गया. इस लेकर विपक्षी दलों ने आलोचना भी की थी.
गौरतलब है कि पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले एल्गार सम्मेलन आयोजित किया गया था.
पुलिस के मुताबिक इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषणों की वजह से जिले के कोरेगांव-भीमा गांव के आसपास एक जनवरी 2018 को जातीय हिंसा भड़की थी.
एनआईए ने एफआईआर में 23 में से 11 आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें कार्यकर्ता सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा हैं.
तेलतुम्बड़े और नवलखा को छोड़कर अन्य को पुणे पुलिस ने हिंसा के संबंध में जून और अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया था.
(सुकन्या शांता के इनपुट के साथ)