मामला रीवा के संजय गांधी अस्पताल का है. 22 वर्षीय युवक को तीन अगस्त को भर्ती कराया गया था. परिजनों का आरोप है कि बाद में उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती किया गया. प्रबंधन ने उनकी जांच रिपोर्ट भी नहीं दी गई है और उनकी मौत के बाद भी कोई सूचना नहीं दी गई.
रीवा: मध्य प्रदेश के रीवा के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती 22 वर्षीय युवक की मौत के कुछ दिन बाद उसके परिजनों को 65 वर्ष के बुजुर्ग का शव थमा दिया गया. इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए सोमवार को एक डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है.
मऊगंज निवासी राम विशाल कुशवाहा ने बताया, ‘मेरे बेटे विवेक कुशवाहा (22) की तबीयत रक्षाबंधन के बाद खराब हुई थी. मऊगंज में इलाज कराया गया. राहत नहीं मिली तो तीन अगस्त को संजय गांधी अस्पताल (रीवा) में भर्ती कर दिया गया. संजय गांधी अस्पताल में पहले आईसीयू में रखा गया और बाद में कोविड-19 सेंटर में डाल दिया गया.’
उन्होंने बताया, ‘हमें अब तक कोविड-19 की उसकी जांच रिपोर्ट भी नहीं दी गई है. वह कोरोना वायरस संक्रमित था या नहीं, यह हमें अब तक पता नहीं है.’
कुशवाहा ने बताया, ‘अपने बेटे को कोविड सेंटर में भर्ती कराकर हम इंतजार कर रहे थे कि उसके बारे में कोई सूचना मिलेगी, लेकिन हमें कोई सूचना नहीं दी गई.’
उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन बाद मृतक का चचेरा भाई रामचंद्र कुशवाहा अस्पताल पहुंचा. उसने विवेक की सुध लेनी शुरू की तो पता चला कि विवेक की मौत हो गई है. मौत की जानकारी दिए बगैर ही उसके शव को सीधे शवगृह में भेज दिया गया.
इसके बाद परिजनों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. यत्नेश त्रिपाठी से संपर्क किया तो नौ अगस्त को मृतक का शव देखने के लिए उन्हें बुलाया गया लेकिन अस्पताल से विवेक का शव गायब मिला.
मृतक युवक के पिता ने बताया कि जिस बंधे हुए बैग में विवेक के नाम की पर्ची लगी थी, उसको खोलने पर देखा तो उसके अंदर किसी बुजुर्ग का शव रखा था.
आक्रोशित परिजनों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कमिश्नर कार्यलय का घेराव किया और लापरवाही बरतने के लिए सीएमएचओ सहित डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की.
दैनिक भास्कर के मुताबिक विवेक कुशवाहा के परिजन अपने मरीज के जीवित या मृत होने का सबूत अस्पताल से मांगने लगे. अस्पताल प्रबंधन ने टैगिंग में गलती स्वीकार करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं.
इसी बीच, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर राजेश कुमार जैन ने लापरवाही बरतने के लिए मेडिसिन विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. राकेश पटेल को निलंबित कर दिया है.
उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है.
मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि शायद अस्पताल प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही उनके बेटे के शव का अन्य शवों के साथ अंतिम संस्कार कर दिया और इस बारे में सच छिपाया जा रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)