प्रधानमंत्री ने कहा, गोरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है. देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है.
नई दिल्ली: कथित गोरक्षा के नाम पर आतंक और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कड़ा संदेश देते हुए ऐसे तत्वों पर कार्रवाई करने की बात कही है. सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में गाय और गोरक्षा के नाम पर मचे आतंक को लेकर सरकार संसद में घिर सकती है. विरोधी दलों ने संसद में गाय के मसले पर सरकार को घेरने का फैसला किया है. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री का यह बयान बेहद अहम और रणनीतिक है.
गोरक्षा के नाम पर कानून तोड़ने वालों को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्वाई करनी चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को गोरक्षा के नाम पर हो रही इस तरह की गुंडागर्दी की कड़ी भर्त्सना करनी चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि संसद सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, गोरक्षा के नाम पर कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सभी राज्य सरकारों को सख्त कार्वाई करनी चाहिए.
सरकारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा कर रहे लोगों पर राज्य सरकारें सख्ती दिखाएं. गोरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है. इसका फायदा देश में सौहार्द बिगाड़ने में लगे लोग भी उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा, देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है. राज्य सरकारों को ऐसे असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.
मोदी ने कहा कि गाय को हमारे यहां माता माना जाता है. लोगों की भावनाएं गाय से जुड़ी हुई हैं. लेकिन लोगों को यह भी याद रखना चाहिए कि गाय की रक्षा के लिए कानून है और कानून तोड़ना कोई विकल्प नहीं.
प्रधानमंत्री ने कहा, कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही है, वहां राज्य सरकारों को इनसे सख्ती से निपटना चाहिए.
राज्य सरकारों को यह भी देखना चाहिए कि कहीं कुछ लोग गोरक्षा के नाम पर अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी तो नहीं निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी राजनीतिक दलों को गोरक्षा के नाम पर हो रही इस गुंडागर्दी की कड़ी भर्त्सना करनी चाहिए.
हर नेता दागी नहीं
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कई दशकों में नेताओं की साख हमारे बीच के ही कुछ नेताओं के बर्ताव की वजह से कठघरे में है.
मोदी ने कहा, हमें जनता को ये भरोसा दिलाना ही होगा कि हर नेता दागी नहीं, हर नेता पैसे के पीछे नहीं भागता. इसलिए सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता के साथ ही भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई भी आवश्यक है.
मोदी ने कहा कि हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है कि वह अपने बीच मौजूद ऐसे नेताओं को पहचाने और उन्हें अपने दल की राजनीतिक यात्रा से अलग करता चले. कानून अगर अपना काम कर रहा है तो सियासी साजिश की बात करके बचने का रास्ता देख रहे लोगों के प्रति हमें एकजुट होकर काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश को लूटा है, उनके साथ खड़े रह कर देश को कुछ हासिल नहीं होगा. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद एवं उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं के खिलाफ अनियमितताओं के मामले की कानून अनुपालन एजेंसियों द्वारा जांच किए जाने के मद्देनजर प्रधानमंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कुछ विपक्षी दल इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं.
सभी दलों को धन्यवाद
प्रधानमंत्री ने कहा कि कल से मॉनसून सत्र का प्रारंभ हो रहा है. आज समय की मांग है कि समय का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग हो. एक-दो अपवादों को छोड़ दें तो पिछले तीन वर्षों मे लगभग हर सत्र में संसद के कामकाज के मामले में काफी बढ़ोतरी हुई है. मैं इसके लिए हर राजनीतिक दल को धन्यवाद देता हूं.
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मॉनसून सत्र में भी समय का सदुपयोग किया जाएगा और ये सत्र संसद के कामकाज के मामले में रिकॉर्ड बनाएगा. इसके लिए सभी दलों की सहभागिता आवश्यक है.
मोदी ने कहा कि समय, संसाधन और सदन की मर्यादा का ध्यान रखते हुए सार्थक विचार-मंथन से ही हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को भली-भांति निभा सकते हैं.
जीएसटी के लिए सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी के समय जिस तरह से सभी राजनीतिक दल एक साथ आए, उसके लिए मैं एक बार फिर आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं.
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू हुए 15 दिन से ज्यादा हो रहे हैं और इन 15 दिनों में ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं. कई राज्यों के बॉर्डर से चुंगी हट चुकी है और ट्रकों की आवाजाही आसान हुई है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों के सहयोग से केंद्र सरकार प्रयास कर रही है कि जिन व्यापारियों ने अब भी जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वो जल्द से जल्द इस प्रकिया को पूरा करें.
बजट सत्र पहले बुलाने का फायदा गिनाया
बजट सत्र पहले बुलाने के फायदों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पिछला बजट सत्र लगभग एक महीना पहले बुलाया गया था. सभी राजनीतिक दलों ने इसमें सहयोग किया था. मैं आप सभी को इसके बेहद सकारात्मक परिणाम बताना चाहता हूं.
मोदी ने कहा कि बजट की पूरी प्रक्रिया एक महीना पहले करने का असर ये हुआ कि मॉनसून से पहले ही अधिकांश विभागों के पास उनकी योजनाओं के लिए तय राशि पहुंच गई. पहले होता ये था कि विभागों तक तय योजनाओं का पैसा पहुंचने में दो-तीन महीने लग जाते थे. मॉनसून की वजह से और देरी होती थी. इस बार ऐसा नहीं हुआ है. इस वजह से आधारभूत ढांचे से जुड़े कार्यों को पूरा करने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय मिल गया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल जून के मुकाबले इस बार 30 प्रतिशत ज्यादा राशि खर्च की गई है. आधारभूत ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में इस बार पूंजीगत व्यय पिछले साल के मुकाबले 49 प्रतिशत बढ़ा है.
उन्होंने कहा कि योजनाओं पर पैसा खर्च करने का जो ट्रेंड सामने आ रहा है, उससे ये तय है कि अब पूरे साल भर एक संतुलित तरीके से योजनाओं पर तय राशि खर्च होगी जबकि पहले मॉनसून खत्म होने के बाद खर्च शुरू होते थे और फिर उस पैसे को मार्च से पहले खत्म करने का दबाव बढ़ जाता था. ये व्यवस्था में कई तरह की गड़बड़ियों की भी वजह थी.
बाढ़ से पूर्वोत्तर में संकट
उत्तर-पूर्वी राज्यों में बाढ़ की स्थिति पर मोदी ने कहा कि देश के कई हिस्सों और विशेषकर उत्तर पूर्व के राज्यों में बाढ़ और बारिश की वजह से संकट के हालात बने हुए हैं. केंद्र सरकार राज्यों के संपर्क में है और इस पर लगातार नजर रख रही है.
उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ समेत केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियां बाढ़ राहत के कार्य में जुटी हुई हैं. राज्य सरकारों को कहा गया है कि वे किसी भी तरह की आवश्यकता पड़ने पर तुरंत बताएं.
इसके अलावा, सवर्दलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष हो रहे हैं, हमें इस पर संसद में चर्चा करनी चाहिए.
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव आम सहमति से होता तो अच्छा होता. इसके बावजूद चुनाव अभियान का गरिमा और शालीनता के साथ होना संतोष की बात है. इसके लिए सभी दल बधाई के पात्र हैं. सभी पार्टियां अपने सांसदों-विधायकों को मतदान हेतु प्रशिक्षित करें ताकि एक भी वोट खराब न हो.