ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आंकड़े जारी कर बताया कि कोरोना मरीज़ों की देखभाल के दौरान महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक स्टाफ नर्स कोरोना संक्रमित हैं और कोविड से सबसे अधिक नर्सों की मौत भी इन्हीं राज्यों में हुई है.
नई दिल्लीः ट्रेंड नर्सेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएनएआई) का कहना है कि महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक स्टाफ नर्स कोरोना संक्रमित हैं और कोरोना से सबसे अधिक नर्सों की मौत भी इन्हीं राज्यों में हुई है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सबसे बड़ी नर्सिंग एसोसिएशन टीएनएआई ने देश में कोरोना महामारी के फैलाव के बाद पहली बार इससे जुड़े आंकड़े पेश किए, जिससे पता चलता है कि कोरोना मरीजों की देखभाल के दौरान 509 नर्सिंग स्टाफ संक्रमित हुईं जबकि 20 की मौत हो गई.
आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 111 कोरोना संक्रमित नर्स हैं जबकि राज्य में कोरोना से तीन नर्सों की मौत हो गई है.
महाराष्ट्र में कोरोना से 75 नर्सें संक्रमित हुईं जबकि छह नर्सों की मौत हुई है जबकि गुजरात में कोरोना से 96 नर्सें संक्रमित हुईं जबकि चार नर्सों की मौत हुई है.
मिजोरम, छत्तीसगढ़, केरल और उत्तर प्रदेश में सबसे कम नर्स कोरोना संक्रमित हुई हैं जबकि राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में सबसे कम नर्सों की कोरोना से मौत हुई है.
इस बीच केंद्र सरकार का कहना है कि मार्च से लेकर अब तक राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों में 3.4 करोड़ रुपये के एन95 मास्क और 1.28 करोड़ से अधिक की धनराशि के पीपीई किट का निशुल्क वितरण किया गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है, ‘इस समयावधि के दौरान 10.83 करोड़ की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) टैबलेट्स का भी वितरण किया गया है जबकि 22,533 मेक इन इंडिया वेंटिलेटर्स विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों में भेजे गए हैं.’
मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार इन वेंटिलेटर्स को अच्छे से स्थापित करने और इनका सही ढंग से शुरू किया जाना सुनिश्चित कर रही है.
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, ‘मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के साथ कोविड-19 इकाइयों में वृद्धि करना हमारी शीर्ष प्राथमिकता है. केंद्र सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निशुल्क में मेडिकल सामान की सप्लाई कर रही है. इन्हें कई मंत्रालयों के संयुक्त प्रयासों के द्वारा किया जा रहा है.’
मंत्रालय का कहना है कि एक लाख से अधिक फ्रंटलाइन वर्कर्स के सहयोग के साथ देशभर में कोरोना टेस्टिंग को कारगर बनाया गया है.