अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में बताया था कि फेसबुक ने नाराज़गी के डर से भाजपा नेता की एंटी-मुस्लिम पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की थी. सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा है कि वे इस मामले में फेसबुक का पक्ष सुनना चाहेंगे.
नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस रिपोर्ट पर विचार करेगी जिसमें ये कहा गया है कि फेसबुक ने नाराजगी के डर से भाजपा नेता की एंटी-मुस्लिम पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की.
रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में फेसबुक की एक शीर्ष अधिकारी ने भाजपा के एक नेता और अन्य ‘हिंदू राष्ट्रवादी लोगों और समूहों’ की नफरत भरी पोस्ट को लेकर उन पर फेसबुक के हेट स्पीच नियम लगाए जाने का विरोध किया था.
संसदीय समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, ‘समिति इन रिपोर्टों के बारे में जरूर फेसबुक से सुनना चाहेगी और ये भी जानना चाहेगी की भारत में हेट स्पीच खत्म करने के लिए उनका क्या प्रस्ताव है.’
Our Parliamentary committee will, in the normal course, consider testimony under the topic “Safeguarding citizens’ rights & prevention of misuse of social/online news media platforms”. The subject is squarely within the IT Cmt’s mandate& @Facebook has been summoned in the past. https://t.co/saoK8B7VCN
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 16, 2020
थरूर ने आगे कहा, ‘हमारी संसदीय समिति ‘नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक/ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने’ संबंधी विषय के संदर्भ में इस रिपोर्ट विचार करेगी. यह विषय सूचना प्रौद्योगिकी समिति के अधिकार क्षेत्र में है और इससे पहले भी फेसबुक को तलब भी किया जा चुका है.’
हालांकि थरूर की टिप्पणी पर भाजपा सांसद और इस समिति के सदस्य निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्हीं विषयों को समिति के समक्ष उठाया जा सकता है जो स्वीकार्य हैं और संसदीय स्थायी समितियों के नियमों के अनुरूप हैं.
उन्होंने कहा कि इन समितियों को सदस्यों द्वारा अपनी पार्टी के नेताओं के ‘अहम’ के तुष्टीकरण के लिए राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिए.
दुबे ने कहा, ‘स्थायी समिति के अध्यक्ष के पास अपने सदस्य के साथ एजेंडा पर चर्चा के बिना कुछ भी करने का अधिकार नहीं है. शशि थरूर को समिति और स्पीकर की सहमति के बिना इस तरह राहुल गांधी के एजेंडा का प्रसार नहीं करना चाहिए.’
The Chairman of Standing Commitee does not have the authority to do anything without discussion of the agenda with its member. @ShashiTharoor stop @RahulGandhi agenda without authorisation by the Committee and Speaker @ombirlakota https://t.co/4mKjoBgx6k
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) August 17, 2020
गौरतलब है कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.
टी. राजा सिंह तेलंगाना विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक हैं और वह अपने सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं.
अमेरिकी अख़बार की इस रिपोर्ट में फेसबुक के कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया था कि आंखी दास ने अपने स्टाफ को बताया कि मोदी के नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें दंडित करने से भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर फेसबुक के प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हम हेट स्पीच और हिंसा फैलाने वाली सामग्री पर रोक लगाते हैं. हम किसी भी राजनीतिक पार्टी या इससे संबद्धता के बिना विश्व स्तर पर इन नीतियों को लागू करते हैं. हालांकि हमारा मानना है कि हमें इस दिशा में और कदम उठाने हैं, हम इस दिशा में प्रगति कर रहे हैं और निष्पक्षता तथा सटीकता सुनिश्चित करने के लिए हम नियमित ऑडिट करवाते हैं.’
इस रिपोर्ट के बाद से कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिपोर्ट को लेकर भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर फेसबुक तथा वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ‘फर्जी खबरें’ फैलाने का आरोप लगाया.
इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी दल को कैंब्रिज एनालिटिका मुद्दे की याद दिलाने का प्रयास किया.
प्रसाद ने पलटवार करते हुए ट्वीट किया, ‘जो हारने वाले लोग अपनी ही पार्टी में लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते, वे ऐसा माहौल बनाते रहते हैं कि पूरी दुनिया पर भाजपा और आरएसएस का नियंत्रण है.’
उन्होंने कहा, ‘आप चुनाव से पहले आंकड़ों को हथियार बनाने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका तथा फेसबुक के साथ गठजोड़ करते हुए रंगे हाथ पकड़े गए थे और अब हमसे सवाल पूछने की धृष्टता कर रहे हैं.’
The fact is that today access to information and freedom of expression has been democratized. It is no longer controlled by retainers of your family and that is why it hurts.
Btw, haven’t yet heard your condemnation of the Bangalore riots. Where did your courage disappear?
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) August 16, 2020
इससे पहले राहुल ने रिपोर्ट की एक तस्वीर डालते हुए ट्वीट किया था और भाजपा और संघ पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा और आरएसएस भारत में फेसबुक तथा वॉट्सऐप पर नियंत्रण करते हैं. वे इसके माध्यम से फर्जी खबरें तथा नफरत फैलाते हैं और मतदाताओं को लुभाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. अंतत: अमेरिकी मीडिया ने फेसबुक के बारे में सच सामने ला दिया है.’
राहुल के बयानों पर जवाब देते हुए प्रसाद ने यह भी कहा, ‘सच यह है कि आज सूचना प्राप्त करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लोकतांत्रिक रूप दिया गया है. अब इन पर आपके परिवार के अनुयायियों का कब्जा नहीं रहा है और इसलिए यह बात आपको चुभती है.’
प्रसाद ने जिस कैंब्रिज एनालिटिका का जिक्र किया वह 2018 में कांग्रेस पर लगे आरोपों से संबंधित हैं.
आरोप थे कि ब्रिटिश कंपनी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस को फेसबुक की अनेक पोस्ट का विश्लेषण करने की पेशकश की थी. कांग्रेस ने आरोपों को खारिज कर दिया था.
वहीं, कांग्रेस ने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग करते हुए कहा कि ये भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद के लिए खतरा हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों में जेपीसी जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि फेसबुक ने भाजपा सांसदों के मामले में अपनी घृणा भाषण वाली नीति की अनदेखी की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)