पूर्वोत्तर मामलों के भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार राम माधव ने आरोप लगाया है कि पिछले दिनों राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस जो आरोप भाजपा पर लगा रही थी, दरअसल वही सारे काम वह मणिपुर में भाजपा नीत एन. बीरेन सिंह सरकार को गिराने के लिए कर रही थी.
नई दिल्ली: भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा है कि पिछले दिनों राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस जो फालतू आरोप भगवा पार्टी पर लगा रही थी, दरअसल वही सारे काम वह मणिपुर में भाजपा नीत एन. बीरेन सिंह सरकार को गिराने के लिए कर रही थी.
माधव ने ये आरोप बुधवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में लगाए, जहां उनकी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में मणिपुर के पांच पूर्व कांग्रेस विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया.
भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व विधायकों में राज्य के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के भतीजे ओकराम हेनरी, पनोनेम ब्रोकेन, ओइनाम लुखोई सिंह, नामथंग हाओकिप और गिनसुआनहव जोऊ शामिल हैं.
ये पांच विधायक उन आठ कांग्रेसी विधायकों में शामिल थे जिन्होंने मणिपुर विधानसभा में पिछले दिनों पार्टी ह्विप का उल्लंघन करते हुए विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहकर अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा नीत एन. बीरेन सिंह सरकार की जीत की राह आसान की थी.
बाद में इन सभी ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की उपस्थिति में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वैजयंत जय पांडा ने सभी पांचों पूर्व विधायकों को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता दिलाई.
Delhi: Five Manipur MLAs who had resigned from Congress, including Okram Henry Singh who is the nephew of CLP leader Okram Ibobi Singh, join BJP. Party's national general secretary Ram Madhav, national vice president Baijayant Panda and Manipur CM N Biren Singh present. pic.twitter.com/I4APqO4DPi
— ANI (@ANI) August 19, 2020
इस अवसर पर पूर्वोत्तर मामलों के भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार राम माधव ने कांग्रेस पर बीरेन सिंह सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया और दावा किया कि अब उनकी सरकार स्थिर है.
उन्होंने कहा, ‘ये सरकार स्थायी रूप से चलेगी. डेढ़ साल का बचा कार्यकाल तो पूरा करेगी ही, साढ़े छह साल हमारी सरकार चलेगी. हम अगला चुनाव जीतेंगे और फिर से सरकार में आएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘वहां (मणिपुर) के कांग्रेस वाले पिछले एक-डेढ़ साल से लगातार इस सरकार और लोकप्रिय मुख्यमंत्री के खिलाफ षड्यंत्र करते रहे. इस सरकार को गिराने के तमाम प्रयास किए. कई प्रकार के प्रलोभन, कई अन्य प्रकार के काफी षड्यंत्र किए.’
भाजपा महासचिव ने पिछले दिनों राजस्थान और उससे पहले मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इन राज्यों में जो कुछ हुआ उस पर मीडिया का बहुत ज्यादा ध्यान गया.
उन्होंने कहा, ‘जिन चीजों को लेकर हमारे ऊपर फालतू आरोप कांग्रेस लगाती रही है. राजस्थान वगैरह को लेकर, वे सारे गलत काम वास्तव में कांग्रेस मणिपुर में कर रही थी. लोकप्रिय और लोकतांत्रिक सरकार को गिराने का षड्यंत्र कर रही थी.’
उन्होंने दावा कि कैंप लगाकर, भाजपा के तीन-तीन विधायकों को रखकर वे राज्य सरकार को गिराने की कोशश करते रहे. इससे बात नहीं बनी तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को अस्थिर करने की कोशश हुई. यहां तक कि राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार को हराने के ऐसे ही प्रयास हुए.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के तमाम प्रयास विफल हुए. बीरेन सिंह सरकार विधानसभा में खुद विश्वास मत लेकर आई और जीत हासिल की.
माधव ने दावा किया कि कांग्रेस के षड्यंत्रों से राज्य के कांग्रेस विधायकों में असंतोष था. इसी का परिणाम है कि उसके विधायक भाजपा में आ रहे हैं.
माधव ने कहा कि इन पांच के साथ बीरेन सरकार के पास 34 विधायकों का समर्थन हासिल है. अभी विधानसभा की प्रभावी संख्या 47 हैं और 13 सीट रिक्त हैं.
उन्होंने दावा किया कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में पिछले साढ़े तीन वर्षों में राज्य विकास के रास्ते पर अच्छी तरह आगे बढ़ा है.
उन्होंने कहा, ‘मणिपुर करीब 15 साल तक कांग्रेस के कुशासन में रहा. 2017 में राजग की सरकार बनी. पिछले साढ़े तीन सालों में पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाले राज्यों में मणिपुर शामिल हुआ. मुख्यमंत्री ने राज्य की अर्थव्यवस्था को भी अच्छी तरह से संभाला.’
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मंगलवार को पार्टी ह्विप का उल्लंघन करते हुए विधानसभा के एक दिवसीय सत्र से दूर रहने वाले कांग्रेस के छह विधायकों के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. इन विधायकों ने कांग्रेस के साथ-साथ विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है.
मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने बीते 17 जून को उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था, जब छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था, जबकि भाजपा के तीन विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
बीते 10 अगस्त को भाजपा-नीत सरकार ने राज्य विधानसभा में 16 के मुकाबले 28 वोट से विश्वास मत जीता था. कांग्रेस के आठ विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लिया था.
विश्वास मत से पहले इबोबी सिंह द्वारा बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में केवल 13 विधायक पहुंचे थे. इसके फौरन बाद मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सात पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था.
बीरेन सिंह की जीत लगभग तय मानी जा रही थी लेकिन कांग्रेस के आठ विधायकों के अनुपस्थित रहने से उनका रास्ता और आसान हो गया. मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)