नगालैंड: एनपीएफ ने नगा शांति मुद्दे पर गठित फोरम से ख़ुद को अलग किया

केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी के बीच नगालैंड के मुख्य विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट ने इस मसले पर गठित विधायकों के फोरम से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए मौजूदा सरकार की अनिच्छा की वजह से इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.

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एनपीएफ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग. (फोटो साभार: फेसबुक/@TRZeliang)

केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी के बीच नगालैंड के मुख्य विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट ने इस मसले पर गठित विधायकों के फोरम से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए मौजूदा सरकार की अनिच्छा की वजह से इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.

एनपीएफ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग. (फोटो साभार: फेसबुक/@TRZeliang)
एनपीएफ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग. (फोटो साभार: फेसबुक/@TRZeliang)

कोहिमा: नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया को लेकर मची खींचतान के बीच नगालैंड में विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) नगा राजनीतिक मुद्दों पर गठित संयुक्त विधायक मंच (जेएलएफ) से यह कहते हुए अलग हो गया कि यह मुद्दे के समाधान के लिए प्रगति करने में असफल रहा.

जेएलएफ से अलग होने का फैसला दीमापुर में एनपीएफ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीआर जेलियांग के आवास पर मंगलवार को हुई नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के विधायक दल की बैठक में लिया गया.

एनपीएफ ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह मामले के शीघ्र समाधान के लिए ‘सक्रिय सहायक’ की भूमिका जारी रखेगा.

नॉर्थईस्ट नाउ की खबर के अनुसार, एनपीएफ ने कहा कि जेएलएफ के वर्तमान ढांचे में भरोसे की बेहद कमी है और इसके आगे अस्तित्व में रहने का कोई उद्देश्य नजर नहीं आता. जमीन पर इसका कोई काम नहीं दिखाई देता.

पार्टी ने यह भी कहा कि एनपीएफ के इससे जुड़े रहने का भी कोई वाजिब कारण नहीं हैं क्योंकि सत्ता पक्ष को ही इसके विधायकों पर विश्वास नहीं है.

गौरतलब है कि 60 सदस्यीय विधानसभा के सभी सदस्य जेएलएफ के सदस्य हैं. इस मंच की 20 सदस्यीय कोर समिति भी है, जिसमें एनपीएफ के पांच विधायक सदस्य हैं.

पार्टी ने कहा कि नगा राजनीतिक मसलों सहित नगा लोगों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के प्रस्ताव को 13वीं विधानसभा के पिछले छठे सत्र में भी ठुकरा दिया गया था.

मंगलवार को हुई बैठक में पारित पस्ताव में कहा गया कि गत 23 साल में नगा राजनीतिक समस्या को सुलझाने के लिए एनपीएफ ने विभिन्न चरणों में सक्रिय भूमिका निभाई है.

प्रस्ताव में कहा गया कि एनपीएफ स्वेच्छा से जेएलएफ का हिस्सा इस उम्मीद से बना था कि यह आकांक्षाओें के अनुरूप समस्या के समाधान के लिए काम करेगा.

हालांकि, 18 सितंबर 2018 को जेएलएफ के पुनर्गठन के बाद मौजूदा सरकार की अनिच्छा की वजह से इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.

गौरतलब है कि बीते रविवार को केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल सबसे बड़े नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुईवाह (एनएससीएन-आईएम) ने 2015 में सरकार के साथ हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट की प्रति सार्वजनिक करते हुए कहा कि वार्ताकार आरएन रवि नगा राजनीतिक मसले को संवैधानिक क़ानून-व्यवस्था की समस्या का रंग दे रहे हैं.

इससे पहले एनएससीएन-आईएम आरएन रवि पर पर नगा राजनीतिक मुद्दों के अंतिम समाधान में बाधक बनने का आरोप लगाते हुए शांति वार्ता आगे बढ़ाने के लिए नए वार्ताकार को नियुक्त किए जाने की मांग कर चुका है.

संगठन की ओर से उन्हें हटाए जाने की मांग करते हुए कहा गया था कि जब तक वार्ताकार बदले नहीं जाते, तब तक शांति वार्ता की प्रक्रिया का आगे बढ़ पाना संभव नहीं है.

बीते कुछ समय से एनएससीएन-आईएम शांति प्रक्रिया में रवि की भूमिका को लेकर काफी आलोचनात्मक रहा है. वहीं रवि ने भी अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में राज्य सरकार के साथ उन पर भी निशाना साधा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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