कोविड महामारी के साथ नस्लवाद और भेदभाव में भी इज़ाफ़ा हुआ है: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख

धर्म या आस्था के आधार पर हिंसा का शिकार होने को लेकर 22 अगस्त को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस के अपने संदेश में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव और अन्य संबंधित घृणा अपराधों को समाप्त किया जाना चाहिए.

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस. (फोटो: रॉयटर्स)

धर्म या आस्था के आधार पर हिंसा का शिकार होने को लेकर 22 अगस्त को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस के अपने संदेश में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव और अन्य संबंधित घृणा अपराधों को समाप्त किया जाना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस. (फोटो: रॉयटर्स)
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस. (फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और अन्य संबंधित घृणा अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया.

धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा का शिकार होने को लेकर 22 अगस्त को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिवस के अपने संदेश में पीड़ितों का स्मरण करते हुए गुतारेस ने कहा, ‘धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का अधिकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में दृढ़ता से निहित है और यह समावेशी, समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज की आधारशिला है.’

उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी में वृद्धि के साथ ही नस्लवाद और भेदभाव की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव के कुछ परेशान करने वाले उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए कहा कि लोगों व धार्मिक स्थलों पर हमले, कुछ आबादियों को उनके धर्म व आस्थाओं के कारण नफ़रत भरे हमलों व ज़्यादतियों का निशाना बनाया जा रहा है.

महासचिव ने इस भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिए असहिष्णुता और भेदभाव के मूलभूत कारणों पर ध्यान देने का आह्वान किया.

एंतोनियो गुतारेस ने कहा, ‘धार्मिक स्वतंत्रता या आस्था का अधिकार अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून में बहुत गहराई से गुथा हुआ है और समावेशी, समृद्ध और शांतिपूर्ण समाजों के लिए यह महत्वपूर्ण पड़ाव है.’

उन्होंने कहा कि लोगों के धार्मिक व आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार की हिफ़ाज़त करना देशों की ज़िम्मेदारी है.

देशों के लिए ये ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए बहुत से कार्यक्रम व पहल शुरू किए हैं, जिनमें मानवाधिकारों के लिए कार्रवाई करने की अपील, हेट स्पीच यानी नफ़रत भरे टिप्पणियों पर रणनीति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई योजना शामिल हैं.

दुनिया भर में बढ़ती असहिष्णुता और इंसानों के ख़िलाफ़ उनके धर्म या आस्था के आधार पर हिंसा बढ़ने के माहौल को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में मई 2019 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें यह व्यवस्था की गई थी.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जून 2019 में अपनी रणनीति शुरू करते हुए कहा था कि, ‘नस्लवाद, ख़ुद से अलग लोगों को शत्रु के रूप में पेश करना, असहिष्णुता, महिलाओं के खिलाफ हिंसक बैर, यहूदी विरोध और मुस्लिम विरोधी भावना को पूरी दुनिया में बढ़ता हुआ देखा गया है.’

उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ स्थानों पर ईसाइयों पर भी व्यवस्थित रूप से हमले किए गए हैं.

यूएन महासचिव ने कहा कि इस रणनीति में नफ़रत भाषा का विरोध करने वाले लोगों और समूहों को एक साथ लाकर, परंपरागत व सोशल मीडिया के साथ मिलकर काम करके और संचार के माध्यम से दिशा-निर्देश तैयार करके नफ़रत का सामना करने की बात कही गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)