कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी और अगले छह महीने में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा. पार्टी में उस वक्त सियासी तूफान आ गया था, जब पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आई थी.
नई दिल्ली: कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को कई घंटे तक चली मैराथन मीटिंग के बाद यह फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी और अगले छह महीने में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.
कांग्रेस कार्य समिति बैठक के बाद सोनिया गांधी से आग्रह किया कि संगठन में बदलाव एवं मजबूती के लिए अगले अध्यक्ष के चुने जाने तक वह अंतरिम अध्यक्ष की भूमिका निभाती रहें.
करीब सात घंटे तक चली बैठक के बाद सूत्रों ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों ने सोनिया के नेतृत्व में विश्वास जताया और कहा कि नया अध्यक्ष चुने जाने तक तक वह अंतरिम अध्यक्ष बनी रहें.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सीडब्ल्यूसी के सदस्य पीएल पुनिया ने कहा, ‘सदस्यों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भरोसा जताया है और उनसे (सोनिया गांधी) पार्टी का नेतृत्व करने का आग्रह किया है, जिस पर उन्होंने सहमति जता दी है.’
There is freedom to express views but discussion should be held on party forum, not in public domain, members expressed concerns over it. Sonia Gandhi ji said everyone is family & has to strengthen party together: PL Punia, Congress on members' letter over party leadership https://t.co/GuHybZn6tF
— ANI (@ANI) August 24, 2020
उन्होंने कहा, ‘नया अध्यक्ष चुनने के लिए अगली बैठक जल्द होगी. संभवत: छह महीने भीतर बैठक बुलाई जाएगी. तब तक सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बने रहने के लिए मान गई हैं.’
कांग्रेस के कुछ सदस्यों द्वारा नेतृत्व को लेकर लिखे गए पत्र के संबंध में पुनिया ने कहा, ‘विचार साझा करने की स्वतंत्रता है, लेकिन बातचीत सार्वजनिक तौर पर नहीं, पार्टी फोरम में होनी चाहिए. सोनिया गांधी जी ने कहा है कि हर एक व्यक्ति परिवार है और सभी को साथ मिलकर पार्टी को मजबूत बनाना है.’
कांग्रेस कार्यसमिति ने कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी द्वारा संगठन महासचिव को लिखे गए पत्र एवं कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्षा को लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया: श्री @rssurjewala
— Congress (@INCIndia) August 24, 2020
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘कांग्रेस कार्य समिति ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी द्वारा संगठन महासचिव को लिखे गए पत्र एवं कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया है.
उन्होंने आगे कहा, ‘सीडब्ल्यूसी की राय है कि पार्टी और इसके नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती है. हर कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं नेता की जिम्मेदारी है कि वह भारत के लोकतंत्र, बहुलतावाद व विविधता पर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे कुत्सित हमलों का डटकर मुकाबला करे.’
सुरजेवाला के अनुसार, ‘सीडब्ल्यूसी ने संज्ञान लिया कि पार्टी के अंदरूनी मामलों पर विचार-विमर्श मीडिया या सार्वजनिक पटल पर नहीं किया जा सकता. सीडब्लूसी ने सबको राय दी कि पार्टी से संबंधित मुद्दे पार्टी के मंच पर ही रखे जाएं, ताकि उपयुक्त अनुशासन भी रहे और संगठन की गरिमा भी.’
कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पारित प्रस्ताव pic.twitter.com/JJXHOUSPwE
— Congress (@INCIndia) August 24, 2020
इससे पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक शुरू होने के साथ ही सोनिया ने पद छोड़ने की पेशकश की और कहा था कि सीडब्ल्यूसी नया अध्यक्ष चुनने के लिए शुरू करे. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि वह पद पर बनी रहें.
सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद और पत्र लिखने वाले कुछ नेताओं एवं उनकी ओर से उठाए गए मुद्दों का हवाला दिया.
सोमवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. इस दौरान पार्टी के बड़े नेताओं ने एक दूसरे के संबंध में बयानबाजी की, आरोप लगाया और बाद में उसे वापस ले लिया गया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि जब पार्टी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में विरोधी ताकतों से लड़ रही थी और सोनिया गांधी अस्वस्थ थीं, तो उस समय ऐसा पत्र क्यों लिखा गया.
सोनिया को पत्र लिखने वाले नेताओं पर ‘भाजपा के साथ साठगांठ’ करने के आरोप से जुड़ी राहुल गांधी की एक कथित टिप्पणी की खबर आने और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के मोर्चा खोलने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया, हालांकि बाद में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया.
इस बयान को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने आपत्ति जताई थी. सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में सिब्बल और आजाद भी शामिल थे.
आजाद ने ट्वीट कर कहा, ‘मीडिया का एक धड़ा ये गलत मतलब निकाल रहा है कि मैंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी से ये कहा कि वे साबित करें कि उनके (एवं अन्य कांग्रेस नेताओं) द्वारा लिखा गया पत्र भाजपा के सहयोग के लिए था. मैं यहां एकदम स्पष्ट कर दूं कि राहुल गांधी ने न तो बैठक में और न ही बाहर कहीं भी ये कहा है कि यह पत्र भाजपा के इशारे पर लिखा गया था.’
What I said was, yesterday some Congress person had said that we did it at behest of BJP & in that context I said "It is most unfortunate that some colleagues (outside CWC) have accused us of collusion with BJP, and if those people can prove this allegation, I will resign".
— Ghulam Nabi Azad (@ghulamnazad) August 24, 2020
उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने ये कहा था कि कल (रविवार) एक कांग्रेसी नेता ने कहा था कि हम लोगों ने जो पत्र लिखा है वो भाजपा के इशारे पर लिखा गया है और इस संदर्भ में मैंने कहा था ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ सहकर्मियों (सीडब्ल्यूसी के बाहर) ने हम पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है और अगर वे लोग इस आरोप को साबित कर देते हैं, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा.’
इस बीच कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा कि पिछले 30 सालों में उन्होंने किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान भी नहीं दिया है, फिर भी उन पर ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ करने का आरोप लगाया जा रहा है.
Kapil Sibal tweets, "Was informed by Rahul Gandhi personally that he never said what was attributed to him. I withdraw my tweet", on "collusion with BJP" remark https://t.co/g5AvFXIpM2 pic.twitter.com/YDd5a8LrY2
— ANI (@ANI) August 24, 2020
हालांकि बाद में उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और कहा कि राहुल गांधी में उन्हें व्यक्तिगत रूप से बताया है कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है.
इसके बाद कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने इस तरह की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देकर राहुल गांधी का बचाव किया और कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं की है.
उन्होंने कपिल सिब्बल के ट्वीट के जवाब में लिखा, ‘कृपया मीडिया की गलत खबरें या उनके बहकावे में न आएं. राहुल गांधी ने मिलीभगत के संबंध में एक भी शब्द नहीं बोला है. लेकिन हां, तानाशाही मोदी शासन से लड़ने के लिए हम सभी को एक साथ कार्य करना होगा, बजाय कि हम आपस में लड़ते रहें.’
Sh. Rahul Gandhi hasn’t said a word of this nature nor alluded to it.
Pl don’t be mislead by false media discourse or misinformation being spread.
But yes, we all need to work together in fighting the draconian Modi rule rather then fighting & hurting each other & the Congress. https://t.co/x6FvPpe7I1
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 24, 2020
बता दें कि सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले शनिवार को पार्टी में उस वक्त नया सियासी तूफान आ गया था, जब पूर्णकालिक एवं जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आई.
पिछले छह सालों में लोकसभा एवं विभिन्न विधानसभा चुनावों में लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में मजबूत बदलाव लाने, जवाबदेही तय करने, नियुक्ति प्रक्रिया को मजबूत बनाने और हार का उचित आकलन करने की मांग की थी.
पत्र में कहा गया था कि पार्टी का प्रदर्शन सुधारने के लिए ऊपर से लेकर नीचे तक के नेतृत्व में व्यापक परिवर्तन लाने और फैसले लेने के लिए एक मजबूत तंत्र की स्थापना की जरूरत है.
हालांकि, इस पत्र की खबर सामने आने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ एवं युवा नेताओं ने सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताया और इस बात पर जोर दिया कि गांधी परिवार ही पार्टी को एकजुट रख सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)