बिहारः गर्भवती महिलाओं को प्रसव राशि देने में हुआ फ़र्ज़ीवाड़ा, एफआईआर दर्ज

मुजफ़्फ़रपुर में सरकारी संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन योजना के तहत लाभार्थी के रूप में आम महिलाओं का रिकॉर्ड दिखाकर उनके नाम पर पैसों की हेरफेर का मामला सामने आया है. 18 महिलाओं को लाभार्थी दिखाकर पैसे ट्रांसफर हुए लेकिन इनमें से न कोई महिला गर्भवती थी, न ही उन्हें इस बारे में कोई जानकारी थी.

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(प्रती​कात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुजफ़्फ़रपुर में सरकारी संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन योजना के तहत लाभार्थी के रूप में आम महिलाओं का रिकॉर्ड दिखाकर उनके नाम पर पैसों की हेरफेर का मामला सामने आया है. 18 महिलाओं को लाभार्थी दिखाकर पैसे ट्रांसफर हुए लेकिन इनमें से न कोई महिला गर्भवती थी, न ही उन्हें इस बारे में कोई जानकारी थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पटनाः बिहार के मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के छोटी कोठिया गांव की रहने वाली लीला देवी (65)  के छह बच्चे हैं, जिनमें उनका सबसे छोटा बेटा 21 साल का है.

लेकिन मुशहरी ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रिकॉर्ड के अनुसार 65 साल की लीला देवी ने बीते 18 महीनों में 13 बच्चों को जन्म दिया है.

लीला देवी अकेली नहीं हैं. वह उन 18 महिलाओं में शामिल हैं, जिनका नाम संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन योजना में लाभार्थी के रूप में नामांकित हैं लेकिन इन महिलाओं को इसकी कोई जानकारी नहीं है और इनके नाम पर लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है.

यह मामला उस समय सामने आया, जब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक ग्राहक सेवा केंद्र के एक ऑपरेटर ने छह अगस्त को लीला देवी के घर आकर बताया कि सरकार की ओर से उनके खाते में जमा कराई गई कुछ धनराशि गलत तरीके से दूसरे खाते में ट्रांसफर हो गई है.

ऑपरेटर ने महिला से ग्राहक सेवा केंद्र आकर फॉर्म पर अपने अंगूठा लगाने को कहा ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके.

हालांकि, लीला देवी को कुछ संदेह हुआ क्योंकि वह इस तरह की किसी भी सरकारी योजना में लाभार्थी के रूप में नामांकित नहीं हैं.

लीला कहती हैं, ‘मैं ग्राहक सेवा केंद्र के बजाए मुशहरी ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गईं, जहां मुझे पता चला कि मेरे गांव और पास के रहुआ गांव की 17 महिलाएं संस्थागत प्रसव योजना में लाभार्थी के तौर पर सूचीबद्ध है.’

हालांकि, इन सभी 18 महिलाओं में से कोई भी गर्भवती नहीं थीं.

बता दें कि संस्थागत प्रसव प्रोत्साहन योजना के लिए एक महिला को 1,400 रुपये और महिला को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाने वाली आशा कार्यकर्ता को 600 रुपये मिलते हैं.

दो अगस्त को इन 18 महिलाओं के बैंक खातों में इसी तरह का भुगतान किया गया. ये सभी खाते ग्राहक सेवा केंद्र के ऑपरेटर सुशील कुमार द्वारा खोले गए थे.

इसी तरह ब्लॉक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रिकॉर्ड में दिखाया गया है कि छोटी कोठिया गांव की शीला देवी (59) ने बीते 13 महीनों में आठ बच्चों को जन्म दिया है.

रिकॉर्ड के अनुसार, शीला ने एक-एक दिन के अंतराल पर दो बच्चों को जन्म दिया लेकिन वास्तव में शीला के चार बच्चे हैं और उनकी सबसे छोटी संतान 17 साल की बेटी है.

शीला ने कहा, ‘मुझे लीला से पता चला कि मेरा नाम भी सूची में है लेकिन मुझे खाते में पैसे ट्रांसफर होने के बारे में कुछ नहीं पता.’

मुजफ्फरपुर पुलिस ने इस मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एकाउंटेंट अवधेश कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जो इस समय फरार है.

इस मामले के उजागर होने के बाद से ही एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्र के ऑपरेटर सुशील कुमार ने सेवा केंद्र नहीं खोला है.

जिला जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह का कहना है कि जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से बीते दो सालों में संस्थागत प्रसव मामलों में किए गए भुगतान का पूरा ब्योरा पेश करने को कहा है.

इससे पहले एडीएम राजेश कुमार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति ने इस मामले में रिपोर्ट पेश की.

कमल सिंह ने कहा, ‘यह भी पता चला है कि कुछ संगठनों के खातों में भी पैसा ट्रांसफर किया गया है. हम इस धोखाधड़ी में शामिल सभी लोगों का पता लगा लेंगे.’