केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इस जनजाति के सिर्फ़ 59 लोग ही बचे हुए हैं. इनमें से अधिकांश लोग इस द्वीप समूह के स्ट्रेट आईलैंड पर, जबकि कुछ राजधानी पोर्ट ब्लेयर में रहते हैं.
पोर्ट ब्लेयर: ग्रेट अंडमानी जनजाति के चार और लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद इस जनजाति में संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 10 हो गई है.
केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इस जनजाति के लोगों की संख्या बहुत ही कम रह गई है. वर्तमान में इस जनजाति के सिर्फ 59 लोग ही बचे हुए हैं.
पोर्ट ब्लेयर में इस जनजाति के लोगों के 6 सदस्यों के संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्ट्रेट द्वीप पर एक दल को भेजा था, जो इस जनजाति के लोगों को निवास स्थान है.
स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक और नोडल अधिकारी अविजित रॉय ने कहा कि 37 नमूनों की जांच की गई थी, जिनमें से ग्रेट अंडमानी जनजाति के चार और सदस्यों में संक्रमण की पुष्टि हुई.
रॉय ने कहा कि संक्रमितों में से कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और कुछ को घर में क्वारंटीन में रखा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इन 10 लोगों में से पांच लोग ठीक हो चुके हैं और बाकि संक्रमित लोगों की स्थिति ठीक है.
रॉय ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि ग्रेट अंडमानी जनजाति के सभी 59 सदस्यों की जांच की गई है, जिनमें से 34 स्ट्रेट आइलैंड पर और 24 पोर्ट ब्लेयर में रह रहे हैं.
रॉय ने बताया कि सरकार ने जनजाति के लोगों को राजधानी पोर्ट ब्लेयर में रहने के लिए एक विशेष घर बनाकर दिया है.
अंडमान निकोबार ट्राइबल रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के निदेशक विश्वजीत पांड्या ने कहा, ग्रेट अंडमानी जनजाति के लोगों की जनसंख्या बहुत कम हैं, लेकिन वे आम आबादी के संपर्क हैं. स्ट्रेट आइलैंड में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं हैं, लेकिन उन्हें पोर्ट ब्लेयर आकर रहने की अनुमति मिली हुई हैं, इसलिए उनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है.
बृहस्पतिवार तक अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,985 मामले सामने आ चुके थे और कोविड-19 के 2,309 मरीज ठीक हो चुके हैं. अब तक इस केंद्रशासित प्रदेश में कोविड-19 के 41 मरीजों की मौत हो चुकी है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस जनजाति में बीमारियों के खतरे की ओर इशारा करते हुए एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में मानव विज्ञानी अमित कुमार घोष ने बताया, ‘1850 के दशक में इस जनजाति के लोगों की संख्या पांच हजार से आठ हजार के बीच थी. साल 1901 तक फ्लू, सीफिलिस जैसी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आकर इनकी संख्या घटकर 625 रह गई. 1931 की जनगणना में इनकी संख्या सिर्फ 90 थी. 60 के दशक में इनकी संख्या 19 पर आकर सिमट गई.’
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में ग्रेट अंडमानी जनजाति के अलावा, जारवा, शोमपेन और ओंगे जनजातियां भी रहती हैं, जिनका ग्रेट अंडमानी लोगों की तरह बाहरी दुनिया से बहुत संपर्क नहीं है.
घोष ने आगे कहा, ‘अन्य जनजाति समुदाय के लिए खतरा और ज्यादा है. ग्रेट अंडमानी जनजाति के लोग पिछले 50 सालों से बाहरी लोगों के संपर्क में हैं, लेकिन इस तरह की बीमारी (कोरोना वायरस) जारवा और सेंटिनेलीज जैसी जनजातियों को पूरी तरह से खत्म कर सकती है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)