इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन मंगलवार को देशभर में शुरू हो गई. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले छात्र, जो परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच सकते, वे दोबारा परीक्षा के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को आवेदन कर सकते हैं.
मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को जेईई मेन परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
अदालत ने हालांकि कहा कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले छात्र जो परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच सकते या बाढ़ की वजह से परीक्षा केंद्रों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे दोबारा परीक्षा देने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को आवेदन कर सकते हैं.
जस्टिस रवि देशपांडे और जस्टिस पुष्पा गणेदीवाला की पीठ ने कहा कि एनटीए इस तरह के आवेदनों पर विचार करेगा और इनकी सत्यता की जांच के बाद उसी के अनुरूप फैसला करेगा.
इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन मंगलवार को देशभर में सुबह नौ बजे से शुरू हो गई.
पीठ ने कहा, ‘बाढ़ की वजह से कई जिलों में स्थिति गंभीर है. छात्रों को उस गलती का खामियाजा नहीं भुगतने देना चाहिए, जो उन्होंने नहीं की.’
अदालत ने कहा कि कोई भी पीड़ित छात्र अपने केंद्र समन्वयक के जरिये एनटीए को आवेदन कर सकता है.
अदालत ने आदेश में कहा, ‘एनटीए को 15 दिनों के भीतर संबंधित जिला कलेक्टर से विचार विमर्श कर आवेदन पर फैसला लेगा.’
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भंडारा जिले के निवासी नीतेश बावनकर के लिखे पत्र पर संज्ञान लिया था, जिसमें यह चिंता जताई गई थी कि बाढ़ की स्थिति के बीच जेईई के लिए छात्र परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचेंगे?
बावनकर ने नागपुर, अमरावती, अकोला, चंद्रपुर, गोंदिया और गढ़चिरौली जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों में रह रहे छात्रों के लिए परीक्षा स्थगित करने की मांग की थी.
उन्होंने कहा था कि बाढ़ की वजह से इन इलाकों के छात्रों के लिए जेईई मेन के लिए परीक्षा केंद्र पहुंचना मुश्किल होगा.
अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, एनटीए और इन जिलों के कलेक्टरों को बाढ़ प्रभावित इलाकों के छात्रों के लिए जेईई-मेन स्थगित करने पर विचार करने के निर्देश दिए थे.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)