2019 के चुनाव से पहले भाजपा के कहने पर फेसबुक ने उसके विरोधी 14 पेजों को बंद किया था: रिपोर्ट

पिछले साल नवंबर में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को डिलीट किए जा चुके 17 पेजों को भी दोबारा से शुरू करने के लिए कहा था, जिसमें दो न्यूज़ वेबसाइट- ‘द चौपाल’ और ‘ऑप इंडिया’ शामिल थीं. जिन फेसबुक पेजों की पार्टी ने शिकायत की थी, उनमें ‘भीम आर्मी’ का आधिकारिक अकाउंट, ‘वी हेट बीजेपी’, ‘द ट्रूथ ऑफ गुजरात’ और पत्रकार रवीश कुमार तथा विनोद दुआ के समर्थन वाले पेज शामिल थे.

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Facebook logo is reflected in glasses in this picture illustration taken on Apr 1, 2019. (Photo: REUTERS/Akhtar Soomro)

पिछले साल नवंबर में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को डिलीट किए जा चुके 17 पेजों को भी दोबारा से शुरू करने के लिए कहा था, जिसमें दो न्यूज़ वेबसाइट- ‘द चौपाल’ और ‘ऑप इंडिया’ शामिल थीं. जिन फेसबुक पेजों की पार्टी ने शिकायत की थी, उनमें ‘भीम आर्मी’ का आधिकारिक अकाउंट, ‘वी हेट बीजेपी’, ‘द ट्रूथ ऑफ गुजरात’ और पत्रकार रवीश कुमार तथा विनोद दुआ के समर्थन वाले पेज शामिल थे.

A smartphone user shows the Facebook application on his phone in the central Bosnian town of Zenica in this photo illustration taken May 2 2013 Facebook Inc said its systems to remove hate speech haven t worked as well as the company had hoped amid reports that advertisers are pulling their brands off the social network in the face of a backlash from women s groups May 29 2013 REUTERS Dado Ruvic Files BOSNIA AND HERZEGOVINA - Tags SOCIETY SCIENCE TECHNOLOGY BUSINESS
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जनवरी में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को ऐसे 44 पेजों की सूची भेजी थी, जो उसका विरोध करती थीं. पार्टी ने दावा किया था कि वे पेज फेसबुक के तय मानकों का उल्लंघन करते थे और बिना किसी तथ्य के पोस्ट करते थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 31 अगस्त तक उनमें से 14 पेज फेसबुक पर मौजूद नहीं थे.

फेसबुक पर मौजूद जिन पेजों की भाजपा ने शिकायत की थी, उनमें ‘भीम आर्मी’ का आधिकारिक अकाउंट, व्यंग्यात्मक साइट ‘वी हेट बीजेपी’, अनाधिकारिक तौर पर कांग्रेस समर्थित पेज और ‘द ट्रूथ ऑफ गुजरात’ नामक एक पेज, जो कि अधिकतर ‘ऑल्ट न्यूज’ के फैक्ट चेक को शेयर करता था, शामिल हैं.

वहीं, जिन पेजों को फेसबुक ने बंद किया है, उनमें पत्रकार रवीश कुमार और विनोद दुआ के समर्थन वाले पेज शामिल थे.

पिछले साल नवंबर में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को डिलीट किए जा चुके 17 पेजों को भी दोबारा से शुरू करने और मोनेटाइज करने के लिए कहा था जिसमें दो दक्षिणपंथी न्यूज वेबसाइट- ‘द चौपाल’ और ‘ऑप इंडिया’ शामिल थीं. पेजों के मोनेटाइज होने पर उन्हें विज्ञापन के लिए पैसे मिलते हैं.

उन सभी 17 पेजों को फेसबुक ने दोबारा शुरू कर दिया. फेसबुक ने भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को बताया कि उन पेजों को गलती से बंद कर दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में ‘द चौपाल’ के संस्थापक विकास पांडे ने कहा कि मार्च 2019 में फेसबुक द्वारा मोनेटाइजेशन को रद्द किए जाने के बाद उनकी साइट को मोनेटाइजेशन की मंजूरी नहीं मिली. वहीं, ‘ऑप इंडिया’ ने सवालों का जवाब नहीं दिया.

बीजेपी के अनुरोध पर फेसबुक इंडिया द्वारा बहाल किए गए सभी 17 पेज वर्तमान में सिर्फ ‘पोस्टकार्ड न्यूज’ की सामग्री साझा करते हैं, जिसमें से कई कन्नड़ भाषा में हैं. हालांकि इनमें से किसी पेज को सीधे तौर पर भाजपा से जुड़ा हुआ नहीं बताया गया है.

17 पेजों में एक पेज पर ‘पोस्टकार्ड न्यूज’ के संस्थापक महेश वी. हेगड़े का नाम है. हेगड़े को फेक न्यूज पोस्ट करके सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के आरोपों में मार्च, 2018 में बेंगलुरु में गिरफ्तार किया गया था.

उस समय बेंगलुरु पुलिस ने यह जांच भी की थी कि क्या हेगड़े को भाजपा नेताओं का समर्थन हासिल है. अदालत में हेगड़े का प्रतिनिधित्व भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने किया था. फेसबुक ने जुलाई, 2018 में ‘पोस्टकार्ड न्यूज’ के आधिकारिक पेज को बंद कर दिया था.

हेगड़े ने इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस के किसी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.

ये अनुरोध मालवीय और फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी कार्यकारियों आंखी दास और शिवनाथ ठकराल के बीच ईमेल के माध्यम से किए गए थे. दास और ठकराल ने भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

फरवरी 2019 के ईमेलों में भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक बैठक का जिक्र किया जहां फेसबुक इंडिया और उन्होंने भाजपा के कुछ फेसबुक पेजों को किसी भी कार्रवाई से बचाने पर चर्चा की थी.

मालवीय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ठकराल ने जनवरी 2019 की एक बैठक में यह सुझाव दिया था कि ऐसे पेजों की शिकायतों का निस्तारण किया जाए, जिन्हें भाजपा समझती है कि गलत तरीके से निशाना बनाया जाए.

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘बचाने का कोई नियम नहीं है. हमारे पास क्रॉस-चेक नामक एक प्रक्रिया है जो कुछ पेजों और प्रोफाइल से सामग्री सुनिश्चित करके प्रवर्तन में गलतियों की एक प्रणाली है, जिसके माध्यम से दूसरे स्तर की समीक्षा करके हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमने अपनी नीतियों को सही तरीके से लागू किया है. यदि हमारे सामुदायिक मानकों का उल्लंघन पाया जाता है तो यह प्रवर्तन कार्रवाई को रोकता नहीं है.’

मालवीय ने कहा, ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी और वास्तविक वालंटियरों द्वारा चलाए जा रहे अन्य बड़े पेजों को डर था कि उन्हें बंद किया जा सकता है. हमने अतीत में फेसबुक से बात की थी और उनसे सही काम करने को कहा है. वे मुश्किल से ही हमें जवाब देते हैं. हम एक अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली की मांग कर रहे थे. जाहिर है उन्होंने दूसरी तरह से सोचा है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या पब्लिक पॉलिसी का कंटेंट से संबंधित फैसले लिए जाने में दखल है तो फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि पब्लिक पॉलिसी का केवल तभी दखल होता है जब निर्धारित कंटेंट पॉलिसी टीम अन्य टीमों को शामिल करने का फैसला करती है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘पब्लिक पॉलिसी टीम में बाहरी कर्मचारियों के रूप में राजनीतिक और सरकारी सदस्य भी शामिल हैं. पब्लिक पॉलिसी टीम 2019 के चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दलों के लिए संपर्क का पहला बिंदु था. चुनाव प्रचार के दौरान कई दलों ने अपने आधिकारिक और समर्थन वाले पेजों के मुद्दों को उठाया था. हमारी आतंरिक प्रक्रिया के तहत इन मुद्दों को विभिन्न विशेषज्ञ टीमों को भेजा जाता है, जो इन पर फैसला लेती हैं और उन्हें लागू करती हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वैश्विक चुनाव टीमें, कंटेंट पॉलिसी टीमों के साथ मिलकर निर्णय लेने में मदद करती हैं. कंटेंट पॉलिसी टीमें सामुदायिक मानकों के आधार पर प्रवर्तन की निगरानी करती हैं और साथ ही संचालन टीम की भी निगरानी करती हैं जो प्रवर्तन की निगरानी करती हैं. अन्य हितधारकों जैसे नागरिक समाज, मीडिया या सरकारी संस्थानों की तरह, सभी राजनीतिक दल उन मुद्दों को चिह्नित कर सकते हैं जिनका वे सामना कर रहे हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, मालवीय ने नवंबर में पेजों को कार्रवाई से बचाने के लिए एक रिमाइंडर भेजा था, जिसमें आठ पेजों की एक सूची थी. इन आठ पेजों में कुछ फेसबुक पर भाजपा के सबसे बड़े समर्थक पेज थे. हालांकि फेसबुक पर इनके भाजपा समर्थित होने की कोई जानकारी नहीं है. इसमें ‘द चौपाल’ और ‘पीएमओ इंडिया: रिपोर्ट कार्ड’ जैसे पेज शामिल हैं.

मालूम हो कि बीते 14 अगस्त को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.

अमेरिकी अख़बार की इस रिपोर्ट में फेसबुक के कुछ पूर्व और कुछ वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया था कि आंखी दास ने अपने स्टाफ को बताया कि मोदी के नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें दंडित करने से भारत में कंपनी की कारोबारी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि भारत में फेसबुक की शीर्ष अधिकारी ने भाजपा नेता के अलावा अन्य ‘हिंदू राष्ट्रवादी लोगों और समूहों’ की नफरत भरी पोस्ट को लेकर उन पर फेसबुक के हेट स्पीच नियम लगाए जाने का विरोध किया था.

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में आंतरिक मैसेजों के आधार पर बताया था कि दास भाजपा का समर्थन करती हैं और उसके विरोधियों को खारिज करती हैं.

‘द चौपाल’ फेसबुक पर समाचार और मीडिया वेबसाइट’ है, 2018 के बाद से राजनीतिक विज्ञापनों पर पांच लाख रुपये खर्च करती है और उसे एक करोड़ लोग फॉलो करते हैं.

‘ऑप इंडिया’ के आधिकारिक पेज को दो लाख लोग फॉलो करते हैं और उसने मार्च से जून 2019 के बीच विज्ञापन पर 90 हजार रुपये खर्च किए. इसके साथ ‘पीएमओ इंडिया: रिपोर्ट कार्ड’ के 20 लाख फॉलोवर हैं जबकि उसने इस दौरान विज्ञापनों पर एक लाख रुपये खर्च किए थे.