दिल्ली की आप सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि आश्रय गृहों में एक दिन दो समय भोजन देना पर्याप्त है और वर्तमान आर्थिक हालात में वह इससे अधिक कुछ नहीं कर सकता.
नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि लॉकडाउन के कारण बनाए गए आश्रय गृहों में एक दिन में दो समय का भोजन देना पर्याप्त है और वर्तमान आर्थिक हालात में वह इससे अधिक कुछ नहीं कर सकती.
आप सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि आश्रय गृहों में दिन में तीन बार भोजन देने की केंद्र की योजना 31 जुलाई को समाप्त हो गई और कोष तथा अन्य प्राथमिकताओं को देखते हुए वह दिन में दो बार भोजन मुहैया करा रही है और आगे भी इसे जारी रखेगी.
दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की खंडपीठ को बताया कि आश्रय गृहों में रह रहे बेघर लोग, रोजगार पा सकते हैं और अपनी आजीविका चला सकते हैं बशर्ते वे ऐसा करने में सक्षम हैं तो.
आप सरकार ने यह बयान एक जनहित याचिका के जवाब में दिया, जिसमें दावा किया गया था कि शहर के आश्रय गृह उनमें रहने वालों को दिन में तीन बार गुणवत्तापरक भोजन देने से इनकार रहे हैं.
अदालत ने 27 अगस्त के अपने आदेश में कहा था, ‘जो लोग भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते उनके लिए पर्याप्त भोजन के प्रावधान संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश को देखते हुए हम यह निर्देश देते हैं कि एनसीटी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) की दिल्ली सरकार विशेषज्ञों की सहायता से जांच करे कि क्या वर्तमान के प्रावधान बेघर आश्रयों गृह में व्यक्तियों की न्यूनतम पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं.’
पीठ ने दिल्ली सरकार को आश्रय गृहों में रहने वाले बेघर व्यक्तियों को तब एक दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराने की सिफारिश कीए जब उसकी आर्थिक स्थिति ऐसा करने की अनुमति दे.
पीठ ने दिल्ली सरकार को वर्तमान में महामारी के वक्त आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों को प्रति दिन कम से कम तीन भोजन उपलब्ध कराने की भी सिफारिश की.
इन सिफारिशों के साथ ही न्यायालय ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया.
याचिका सराय काले खां के एक आश्रय गृह में रहने वाली एक महिला ने दाखिल की थी और कहा था कि केंद्र सरकार ने 28 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आश्रय गृहों में एक दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
महिला ने याचिका में दावा किया कि आश्रय गृहों में इस आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
याचिका में दावा किया गया है कि अधिसूचना के अनुसार, ‘आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों को एक दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिसके लिए प्रति दिन प्रति बेघर 100 रुपये की राशि खर्च की जा सकती है.’
याचिका में आरोप लगाया गया कि उपर्युक्त अधिसूचना का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) आश्रय गृहों में लोगों को सिर्फ दोपहर और रात को केवल 20-20 रुपये का भोजन प्रदान कर रहा था.
इसमें यह भी आरोप लगाया है कि खाने की गुणवत्ता खराब है और न्यूनतम मानक के नीचे है. खाने में केवल सादा चावल और दाल उपलब्ध कराया जा रहा है जो कि बाजार में उपलब्ध न्यूनतम गुणवत्ता के होते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)