पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, अभियोजन निदेशक और सरकारी मुकदमा और क़ानून विभाग ने सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज मामलों को वापस न लेने की सिफ़ारिश की थी. वापस लिए गए मामलों में कर्नाटक के क़ानून मंत्री और पर्यटन मंत्री के ख़िलाफ़ दर्ज केस भी शामिल हैं.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार ने पार्टी के कई नेताओं के खिलाफ 62 आपराधिक मामलों को रद्द करने का फैसला किया है, जिनमें मौजूदा सांसद और विधायक भी शामिल हैं.
न्यूज 18 के अनुसार, राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली एक उप-समिति के सुझावों पर निर्णय लिया गया था.
हालांकि, राज्य के पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक, अभियोजन निदेशक और सरकारी मुकदमा और कानून विभाग ने मामलों को वापस लेने के खिलाफ सिफारिश की थी.
जिन मामलों को वापस लिया जा रहा है, उनमें राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी और पर्यटन मंत्री सीटी रवि पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 (गैरकानूनी सभा) और 147 (दंगा फैलाना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
यह मामला नवंबर 2015 में मैसूर जिले के हंसूर शहर में दो समुदायों के छात्रों के बीच हुई हाथापाई से जुड़ा है.
2017 के एक अन्य मामले को भी वापस लिया गया है जो होसपेट से विधायक आनंद सिंह के खिलाफ दर्ज था. उनके खिलाफ यह मामला पत्थरबाजी और तोड़-फोड़ के बाद 300 स्थानीय लोगों द्वारा तालुक कार्यालय को अवरुद्ध करने से संबंधित था.
इस घटना से तीन लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था. उस समय कांग्रेस में रहे आनंद सिंह पर आपराधिक धमकी, एक सरकारी अधिकारी पर हमला और ड्यूटी में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था.
कर्नाटक के कृषि मंत्री बीसी पाटिल के खिलाफ 2012 में गणेश मूर्ति के विसर्जन से संबंधित एक मामला दर्ज था और वह भी कथित तौर पर हटाए गए मामलों में शामिल है.
मामलों को वापस लिए जाने के खिलाफ अपने विभाग के सुझाव के बावजूद मधुस्वामी ने दावा किया कि यह एक नियमित मामला था.
उन्होंने न्यूज 18 से कहा, ‘इन 62 मामलों पर निर्णय पहले ही लिया गया था, हमने अतीत में उन मामलों को भी वापस ले लिया है जिनमें कांग्रेस और जद (एस) के नेता शामिल थे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो सकता है कि बेंगलुरु दंगों और लूट जैसे मामलों में शामिल लोगों को बख्शा जाएगा.’
मधुस्वामी ने कहा कि वापस लिए जा रहे मामले केवल वे थे, जहां संबंधित व्यक्ति अधिकारों के लिए लड़े थे.
राज्य के कानून मंत्री ने कहा कि उप-समिति ने मामलों का नियमित मूल्यांकन किया और इसने अदालतों पर बोझ कम करने के लिए उनमें से कई को सक्रिय रूप से वापस ले लिया.
उन्होंने दावा किया कि जो मुकदमे वापस लिए गए या जिन्हें वापस लेने पर विचार किया जा रहा है वे मामूली दंड वाले मामले हैं.