मामला श्रावस्ती ज़िले का है, जहां छेड़छाड़ के आरोप में हिरासत में लिए गए युवक वाजिद का शव लॉकअप में मिला था. युवक के परिजनों के अनुसार भूमि विवाद के चलते झूठे आरोप में फंसाकर वाजिद को गिरफ़्तार करवाया गया और फिर दो लाख रुपये रिश्वत देने से इनकार करने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रताड़ित किया.
श्रावस्ती: पुलिस हिरासत में शुक्रवार को एक युवक की मौत होने के बाद थानाध्यक्ष सहित छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.
थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिस वालों के खिलाफ हत्या, घूसखोरी व अन्य अपराध संबंधी धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार 22 वर्षीय वाजिद अली को कथित तौर पर दो लाख रुपये की रिश्वत देने से इनकार करने पर हिरासत में बुरी तरह प्रताड़ित किया गया.
वाजिद को एक युवती से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जो उनके परिवार के मुताबिक एक मनगढ़ंत मामला है.
पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने शनिवार को बताया, ‘गिलौला थाना क्षेत्र के दर्जीपुरवा गांव निवासी वाजिद अली (22) के खिलाफ पिछले माह अनुसूचित जाति की युवती से छेड़छाड़ व एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया गया था. इसी के सिलसिले में पूछताछ के लिए उसे हिरासत में लिया गया था.’
पुलिस के अनुसार, शुक्रवार को हिरासत के दौरान युवक का शव थाने की हवालात में स्थित शौचालय में गमछे से लटकता मिला. उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां हालत नाजुक देख उसे बहराइच जिला अस्पताल भेजा गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.’
एसपी ने कहा, ‘अली के पिता ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनके पुत्र को दो-तीन दिन से थाने में अवैध हिरासत में रखा गया था. पिता ने पुलिस पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए हैं.’
उन्होंने आगे बताया, ‘थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद कुमार, तीन सब इंस्पेक्टर व दो अन्य पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. मृतक के पिता मोहम्मद उमर की तहरीर पर थाना प्रभारी व दो अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, भ्रष्टाचार व अवैध रूप से हिरासत में रखने का मामला दर्ज कराया गया है.’
सिंह ने यह भी कहा कि उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा विवेचना व विभागीय जांच कराई जा रही है. जिलाधिकारी ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘मामले में निष्पक्ष जांच होगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा. आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की जाएगी.’
इससे पहले शुक्रवार को घटना को लेकर मृतक के परिजन व ग्रामीण थाना परिसर के आसपास काफी देर तक हंगामा करते रहे. अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्रवाई के आश्वासन पर लोग शांत हुए.
उधर मृतक के भाई सद्दाम ने पत्रकारों के समक्ष आरोप लगाया कि पड़ोसियों के साथ जमीन के एक विवाद के बाद वाजिद को यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाया गया.
उन्होंने बताया, ‘दोनों परिवारों के बीच जमीन का विवाद चल रहा था. विरोधी पक्ष ने पहले वाजिद अली की पिटाई की और बाद में रिपोर्ट लिखाकर पुलिस से गिरफ्तार करा दिया.
अली के भाई ने दावा लगाया, ‘वाजिद को कई दिन से थाने पर लाकर रखा गया था. युवक को छोड़ने के एवज में थाना प्रभारी की मांग पर 50 हजार रुपये घूस दी गई थी, दो लाख रुपये और मांगे जा रहे थे. दो लाख रुपये न दे पाने के कारण पुलिस ने वाजिद अली को मार दिया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)