लद्दाख में सीमाई तनाव के बीच चीनी रक्षा मंत्री से मिले राजनाथ सिंह, महत्वपूर्ण प्रगति के संकेत नहीं

मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर की यह पहली बैठक थी. भारत और चीन के बीच पीछे हटने और तनाव कम करने पर सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता जुलाई के मध्य से आगे नहीं बढ़ पाई है.

//
चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही के साथ राजनाथ सिंह की मुलाकात. (फोटो: ट्विटर/@ DefenceMinIndia)

मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद बढ़ने के बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर की यह पहली बैठक थी. भारत और चीन के बीच पीछे हटने और तनाव कम करने पर सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता जुलाई के मध्य से आगे नहीं बढ़ पाई है.

चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही के साथ राजनाथ सिंह की मुलाकात. (फोटो: ट्विटर/@ DefenceMinIndia)
चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही के साथ राजनाथ सिंह की मुलाकात. (फोटो: ट्विटर/@ DefenceMinIndia)

मास्को/नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को मास्को में अपने चीनी समकक्ष वेई फेंगही से वार्ता की .

रूस की राजधानी मास्को में एक प्रमुख होटल में रात साढ़े नौ बजे (भारतीय समयानुसार) वार्ता शुरू हुई. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा भी हैं.

मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद बढ़ने के बाद दोनों पक्षों के बीच शीर्ष स्तर की आमने-सामने की यह पहली मुलाकात है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सीमा गतिरोध पर पूर्व में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बात की थी. सिंह और वेई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं. एससीओ की बैठक शुक्रवार में आयोजित हुई थी.

भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि चीनी रक्षा मंत्री के अनुरोध पर यह बैठक आयोजित की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने चीन को बताया कि चीनी सैनिकों की कार्रवाई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना, उनके आक्रामक व्यवहार और यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन था और दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझ को ध्यान में रखते हुए नहीं था.’

हालांकि, चीन के रक्षा मंत्रालय के एक बयान में फेंगही ने सिंह से कहा कि तनाव की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत पर है.

पीछे हटने और तनाव कम करने पर सैन्य और राजनयिक वार्ता जुलाई के मध्य से आगे नहीं बढ़ पाई है और रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक के बाद के बयान लद्दाख में संकट के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने में किसी भी महत्वपूर्ण प्रगति को हीं दिखाते हैं, जहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.

रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है, वहीं भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए.’

उन्होंने पिछले कुछ महीनों में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में गलवान घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ हुए घटनाक्रमों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया.

बता दें कि दोनों नेता रूस में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर मिले थे और इस दौरान उन्होंने भारत-चीन सीमाई इलाकों में जारी घटनाक्रमों के साथ दोनों देशों के रिश्तों के बारे में खुलकर चर्चा की.

चीनी बयान के अनुसार, वेई ने कहा, ‘दोनों पक्षों को प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहुंची सहमति को स्पष्ट रूप से लागू करना चाहिए, बातचीत और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को हल करना जारी रखना चाहिए, विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का सख्ती से पालन करना चाहिए, विनियमन को मजबूत करना चाहिए.’

बयान में कहा गया, ‘दोनों देशों को भारत-चीन संबंधों की समग्र स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जल्द से जल्द तनाव को कम करने और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.’

इस बयान में उल्लेख किया गया है कि वई ने यह भी सुझाव दिया है कि दोनों पक्षों को दोनों मंत्रियों के बीच सभी स्तरों पर संचार बनाए रखना चाहिए.

बयान के अनुसार वेई ने सिंह को बताया, ‘चीन का इलाका नहीं खो सकता. चीनी सेना पूरी तरह से दृढ़, सक्षम और राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए आश्वस्त है.’

पूर्वी लद्दाख में कई जगह भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है. तनाव तब और बढ़ गया था जब पांच दिन पहले पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जे का असफल प्रयास किया, वो भी तब जब दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के जरिये विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले कई इलाकों पर मुस्तैद है और चीन की किसी भी गतिविधि को नाकाम करने के लिए उसने ‘फिंगर-2’ और ‘फिंगर-3’ में अपनी मौजूदगी और मजबूत की है.

चीन ने भारत के कदम का कड़ा विरोध किया है. हालांकि भारत का कहना है कि ये ऊंचे क्षेत्र एलएसी में उसकी तरफ वाले हिस्से में हैं.

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने भी बृहस्पतिवार और शुक्रवार को लद्दाख का दो दिवसीय दौरा किया और क्षेत्र में सुरक्षा हालात की गहन समीक्षा की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)