कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं सागर गोरखे और रमेश गयचोर का कहना है कि एनआईए उन पर दबाव बना रही है कि वे माओवादियों से संबंध की बात स्वीकार कर ले. माफ़ीनामा लिखकर देने पर उन्हें छोड़ने की बात कही गई है. एल्गार परिषद मामले में अब तक कुल 14 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
मुंबईः राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद मामले में कबीर कला मंच के सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं सागर गोरखे और रमेश गयचोर को कई दिनों की पूछताछ के बाद सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया.
इनकी गिरफ्तारियों के साथ ही 2018 के एल्गार परिषद मामले में अब तक कुल 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.
जाने-माने सांस्कृतिक गायक और पुणे के जाति विरोधी कार्यकर्ता गोरखे (32) और गयचोर (38) भीमा-कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान का हिस्सा थे.
इसी बैनर के तहत 31 अगस्त 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा इलाके में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ था.
दक्षिणपंथी तुषार दामगुडे ने कथित तौर पर पुणे में मराठों और दलितों के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश करने के लिए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें छह लोगों को नामजद किया गया था.
Kabir Kala Manch activists Sagar Gorkhe & Ramesh Gaichor have alleged that they're being forced by the NIA to give confessional statements claiming they are a part of Maoist organization. The two refused, and were arrested today.
(This video was recorded on Sep 5.)@thewire_in pic.twitter.com/1YytI1CGXs— Sukanya Shantha (@sukanyashantha) September 7, 2020
वहीं, गोरखे और गयचोर का आरोप है कि एनआईए उन पर इस मामले में गिरफ्तार हो चुके लोगों के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाल रही है.
पांच दिसंबर को रिकॉर्ड एक वीडियो में दोनों कह रहे हैं, ‘एल्गार परिषद मामले में हमें पिछले महीने पूछताछ के लिए बुलाया गया था फिर छोड़ दिया गया था, लेकिन चार सिंतबर को हमें दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया. एनआईए का कहना है कि हमारे माओवादियों से संबंध हैं, अगर हम इसे स्वीकार कर लेंगे तो हमें छोड़ दिया जाएगा.
दोनों आगे कहते हैं, हमसे माफीनामा लिखने को कहा गया है लेकिन हम सावरकर की औलादें नहीं हैं, हम बाबा साहेब आंबेडकर की औलादें हैं, हम माफीनामा नहीं लिखेंगे. हमने कुछ गलत नहीं किया है, हम संविधान के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं.’
उन्होंने कहा, ‘एनआईए गलत बयान देने के लिए हम पर दबाव बना रही है कि हम प्रतिबंधित (सीपीआई) माओवादी संगठन से जुड़े हुए हैं. अधिकारी हमसे इस मामले में गिरफ्तार हुए अन्य लोगों को फंसाने के लिए दबाव बना रही है. हमारे इनकार करने पर एनआईए हमें आज गिरफ्तार कर सकती है.’
उन्होंने वीडियो में कहा, ‘यह जान-बूझकर अपनाई गई रणनीति है कि एल्गार परिषद का कार्यक्रम माओवादी कार्यक्रम था. वे हमें उन चीजों को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिनमें हम कभी शामिल नहीं रहे और फिर इसे ही वे बाद में मामले में गिरफ्तार लोगों के खिलाफ इस्तेमाल करेंगे और पूरे एल्गार परिषद के कार्यक्रम को माओवादी कार्यक्रम घोषित करेंगे. यह हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है और हम यह होने नहीं देंगे.’
गोरखे और गयचोर का नाम एफआईआर में दर्ज था लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था.
इस साल जुलाई में उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन फिर जाने दिया जाता लेकिन चार सितंबर को उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया.
यह पहली बार नहीं है कि कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया है.
महाराष्ट्र के कई अन्य दलित बहुजन युवाओं के साथ गोरखे और गयचोर को 2013 में गिरफ्तार किया गया था. उस समय राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार थी. इन पर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन से कथित संबंधों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
गोरखे और गयचोर को 2017 में जमानत पर रिहा किया गया था और तब से यह मामला मुंबई की सत्र अदालत में लंबित था.
बता दें कि इसी तरह के आरोप दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू एमटी ने लगाए गए थे. उन्हें 28 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था.
इससे पहले सोमवार को ही एनआईए ने एल्गार परिषद मामले की जांच के संबंध में पूछताछ के लिए हैदराबाद के एक शिक्षाविद् और कोलकाता के पत्रकार को तलब किया था.
जिन दो लोगों को तलब किया गया है, उनमें से एक हैदराबाद के इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू) में प्रोफेसर के. सत्यनारायण (51) हैं, जबकि दूसरे द हिंदू के पत्रकार केवी कुरमानाथ हैं.
ये दोनों ही एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव के दामाद हैं.
इसके साथ ही एनआईए ने कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) में एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे को भी एल्गार परिषद मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है.
पार्थसारथी ने एनआईए द्वारा उन्हें तलब करने को प्रताड़ित करने की रणनीति करार दिया है.
बता दें कि एनआईए आगामी महीने में वरिष्ठ पत्रकार और कार्यकर्ता गौतम नवलखा और अकादमिक एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने वाली है, जो इस मामले में अब तक की तीसरी चार्जशीट होगी.
बीते कुछ हफ्तों में कई लोगों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है. कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों के अलावा एनआईए ने इस मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों को भी तलब किया है.
इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
मामले में पहले की दौर की गिरफ्तारियां जून 2018 में हुई थीं, जब पुणे पुलिस ने लेखक और मुंबई के दलित अधिकार कार्यकर्ता सुधीर धावले, यूएपीए विशेष और वकील सुरेंद्र गाडलिंग, गढ़चिरौली से विस्थापन मामलों के युवा कार्यकर्ता महेश राउत, नागपुर यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग की प्रमुख शोमा सेन और दिल्ली के नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन शामिल थे.
दूसरे दौर की गिरफ्तारियां अगस्त 2018 से हुईं, जिसमें वकील अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, लेखक वरवरा राव और वर्नोन गॉन्जाल्विस को हिरासत में लिया गया था.
शुरुआत में पुणे पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी लेकिन महाराष्ट्र से भाजपा की सरकार जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नवंबर 2019 में इस मामले को एनआईए को सौंपा था.
इसके बाद एनआईए ने 14 अप्रैल 2020 को आनंद तेलतुम्बड़े और कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया और फिर जुलाई 2020 में हेनी बाबू की गिरफ़्तारी हुई.
इससे पहले पुणे पुलिस ने पहली चार्जशीट दाखिल की थी, जो 5,000 से अधिक पेजों की थी. पुलिस ने दावा किया था कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) से संबंध हैं और 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद कार्यक्रम आयोजित करने में इन्होंने मदद की थी.
इस मामले में फरवरी 2019 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई थी और राज्य सरकार का कहना था कि माओवादी नेता गणपति एल्गार परिषद मामले के मास्टरमाइंड हैं.
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